उदारीकरण (liberalization) क्या है? इसके प्रभाव, लाभ और हानि

उदारीकरण क्या है (liberalization meaning in hindi) –

1980 के दशक में उदारीकरण (liberalization) शब्द की उत्पत्ति राजनीतिक विचारधारा उदारवाद से हुई है! इस शब्द को कई बार मेटा विचारधारा के रूप में व्यक्त किया जाता है, जो कि कई विरोधी मूल्यों और मान्यताओं को अपनाने में सक्षम है! यह विचारधारा सामंतवाद के विघटन और बाजार या पूंजीवाद समाज की वृद्धि का परिणाम है, जो कि एडम स्मिथ के लेखनी में परिलक्षित हुई और जिसने अहस्तक्षेप के सिद्धांत के रूप में पहचान प्राप्त की!

उदारीकरण शब्द का अर्थव्यवस्था में वही अर्थ होगा, जो कि इसके मूल शब्द उदारवाद का है! अर्थव्यवस्था में बाजार समर्थक या पूंजीवादी समर्थक की ओर आर्थिक नीतियों का झुकाव ही उदारीकरण है! राज्य अर्थव्यवस्था के घटते लक्षण और बाजार अर्थव्यवस्था के बढ़ते लक्षण उदारीकरण है अर्थात अर्थव्यवस्था में राज्य का हस्तक्षेप कम होना और बाजार का हस्तक्षेप ज्यादा होना ही उदारीकरण है! 

भारतीय मामलों में उदारीकरण को आर्थिक सुधार की दिशा दिखाने के लिए प्रयुक्त किया गया है जिसमें राष्ट्र या योजना या कमांड अर्थव्यवस्था घटता प्रभुत्व हो और खुले बाजार या पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का बढ़ता प्रभुत्व हो! 


उदारीकरण के सकारात्मक प्रभाव (Positive effects of liberalization in hindi) – 

उदारीकरण की नीति का परिणामस्वरूप देश में उद्योग एवं संरचना के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में बेहद वृद्धि हुई! जिससे औद्योगिक क्षेत्र में मंदी में कमी आई! सकल घरेलू उत्पाद में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई! 

विभिन्न प्रोजेक्टों की स्थापना में व्यापक निवेश और आधुनिकीकरण ने विशेष रूप से कपड़ा, ऑटोमोबाइल, कोयला खदान, रसायन और पेट्रो रसायन, धातु, खाद्य प्रसंस्करण  सॉफ्टवेयर उद्योग इत्यादि को ऊंचा उठाया! अवसंरचना के विकास के साथ रोजगार वृद्धि हुई! 

उदारीकरण के नकारात्मक प्रभाव (Negative effects of liberalization in hindi)-

कुछ चुनिंदा राज्यों में ही निवेश हुआ जिससे प्रादेशिक असमानता की खाई चौड़ी हुई! जिससे इन औद्योगिक रूप से पिछड़े राज्यों में बेरोजगारी और गरीबी के समस्या समृद्धि की, मुद्रास्फीति की दर में वृद्धि और अन्य सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं को बढ़ाया! 

लिबरलाइजेशन ने बड़ी कंपनियों और बहुराष्ट्रीय निगमों की सवृद्धि को सुनिश्चित किया लेकिन परंपरागत कुटीर और लघु पैमाने के उद्योगों, विशेष रूप से सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े राज्यों में, को बुरी तरह प्रभावित किया! लघु उद्योग बड़े उद्योगों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में अक्षम हैं और इन्हें सफल होने के लिए तकनीकी पहुंच और नेटवर्क एवं अधिक वित्त और अनुदान की आवश्यकता है! 


उदारीकरण के लाभ (udarikaran ke labh)- 

(1) उत्पादन में सरकार का हस्तक्षेप कम होना या नहीं होना! 

(2) उत्पादन इकाइयो की स्थापना करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई!

(3) विदेशी निवेश की स्वतंत्रता मिली, जिससे भारत में विदेशी धन का आगमन हुआ

(4) नई पूंजीगत वस्तु और तकनीकों का प्रयोग किया गया जिससे उत्पादन लागत में कमी आई

(5) उद्यमियों को प्रोत्साहन मिला, जिससे उन्होंने उद्योग क्षेत्र में निवेश किया तथा नए उद्योगों की स्थापना की. जिससे रोजगार के अवसरों का सृजन हुआ

उदारीकरण की हानियाँ (Disadvantages of Liberalization in hindi) – 

(1) सामाजिक कल्याण की अनदेखी का खतरा बढ़ गया

(2) लिबरलाइजेशन के कारण धनवान और समृद्ध साले लोगों को उद्योग जगत में एकाधिकार में वृद्धि हुई!

(3) इससे धनी एवं निर्धन लोगों के बीच आर्थिक विषमता में वृद्धि हुई!

(4) निजी उद्योग लाभ पर आधारित होते हैं जिसके कारण कमजोर वर्ग का शोषण प्रारंभ हो गया!

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