निजीकरण क्या है? निजीकरण के कारण, उददेश्य, लाभ-हानि, उठाए गए कदम

निजीकरण क्या है (Nijikaran Kya Hai) – 

साधारण भाषा में निजीकरण (Nijikaran) का अर्थ निजी क्षेत्र को उन क्षेत्रों में उद्योग लगाने की अनुमति देना है जो पहले सार्वजनिक क्षेत्र के लिए आरक्षित थे! इस नीति के तहत कई सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को निजी क्षेत्र को बेच दिया गया था! निजीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें निजी क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू) के मालिकाना हक स्थानांतरण निजी हाथों में हो जाता है! 

निजीकरण का अभिप्राय है कि आर्थिक क्रियाओं में सरकार के हस्तक्षेप को उत्तरोत्तर कम किया जाए, प्रेरणा और प्रतिस्पर्धा पर आधारित निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित किया जाए, सरकारी खजाने पर बोझ बन चुके और अलाभकारी सरकारी प्रतिष्ठानों का विक्रय अथवा विनिवेश के माध्यम से निजी स्वामित्व और नियंत्रण को सौंप दिया जाए, प्रबंधन की कुशलता को सुनिश्चित करने के लिए सरकारी प्रतिष्ठानों में निजी निवेशकों की सहभागिता बढ़ाई जाए और नए व्यवसायिक एवं औद्योगिक प्रतिष्ठानों की स्थापना करते समय निजी क्षेत्र को प्राथमिकता दी जाए 

जिस अर्थ में निजीकरण का प्रयोग किया जाता है, वह विश्वभर में विनिवेश की प्रक्रिया है! इस प्रक्रिया में शेयरों को राष्ट्र स्वामित्व वाली कंपनियों से निजी क्षेत्र को बेचना सम्मिलित है! विनिवेश राज्य से निजी क्षेत्र को बेचना सम्मिलित है विनिवेश राज्य निजी क्षेत्र को 100% कम स्वामित्व का अंतरण है! 

यदि सरकार द्वारा परिसंपत्ति का केवल 49% बेचा जाए और शेष स्वामित्व अपने पास रखा जाता है तो इसे विचारार्थ  निजीकरण कहा जाता है, यदि राष्ट्र स्वामित्व शेयरों की बिक्री 51% तक की जाए तो स्वामित्व निजी क्षेत्र को हस्तांतरित किया जाएगा और इसके तब भी निजीकरण कहा जाएगा! 

निजीकरण के कारण (Nijikaran ke karan) –

निजीकरण का मुख्य कारण राजनीतिक हस्तक्षेप की वजह से पीएसयू का घाटे में चलना था! इन कंपनियों के प्रबंधक स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं कर सकते थे इस कारण उनकी उत्पादन क्षमता कम हो गई थी! प्रतिस्पर्धा या गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण कर दिया गया! 

सरकार के अनुसार, इस प्रकार की बिक्री का मुख्य उद्देश्य वित्तीय अनुशासन को बढ़ाना और आधुनिकीकरण में सहायता देना था! यह भी अपेक्षा की गई थी कि निजी पूंजी और प्रबंधन क्षमताओं का उपयोग इन सार्वजनिक उद्यमों के निष्पादन को सुधारने में प्रभावोत्पादक सिद्ध होगा! सरकार को यह भी आशा थी कि निजीकरण से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा! 

निजीकरण के लिए उठाए गए कदम (Nijikaran ke liye uthaye gaye kadam) – 

(1) शेयरों की बिक्री –

भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के शेयरों को सार्वजनिक और वित्तीय संस्थानों को भेज दिया उदाहरण के लिए सरकार ने मारुति उद्योग लिमिटेड के शेयर बेच दिए बेचे गए यह शेयर निजी उद्यमियों के हाथ में चले गए! 

(2) पीएसयू में विनिवेश – 

सरकार ने उन पीएसयू में विनिवेश की प्रक्रिया शुरू कर दी थी जो घाटे में चल रहे थे! इसका तात्पर्य साफ था कि सरकार ने उद्योगों को निजी क्षेत्रों को बेच दिया! सरकार ने 30,000 करोड रुपए की कीमत के उद्यमों को निजी क्षेत्र को बेच दिया! 

(3) सार्वजनिक क्षेत्र का न्यूनीकरण – 

इससे पहले सार्वजनिक क्षेत्र को महत्व दिया जाता था और ऐसा माना जाता था कि यह औद्योगीकरण को बढ़ाने के साथ-साथ गरीबी को हटाने में भी मदद करता है लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के पीएसयू नई आर्थिक नीति के अनुरूप काम नहीं कर सके और लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम रहे थे! इसी कारण बड़ी संख्या में उद्योगों को निजीकरण के लिए आरक्षित कर दिया गया था! पीएसयू की संख्या 17 से घटाकर 3 कर दी गई!

निजीकरण के उद्देश्य (Nijikaran ki niti ke uddeshy) – 

निजीकरण के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार है –

(1) सरकार की वित्तीय स्थिति को सुधारना! 

(2) लोक क्षेत्र की कंपनियों के कार्यभार को कम करना! 

(3) विनिवेश के माध्यम से धन को बढ़ाना! 

(4) सरकारी संगठनों की दक्षता में वृद्धि करना तथा समाज में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा उत्पन्न करना! 

(5) उपभोक्ता को बेहतर एवं अच्छी वस्तुएं और सेवाएं प्रदान करना! 

(6) भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना! 

निजीकरण की विशेषताएं (nijikaran ki visheshta) –

(1) निजी उपक्रम की स्थापना देश या विदेश के किसी भी व्यक्ति द्वारा की जा सकती है! 

(2) निजी उपक्रमों पर निजी क्षेत्र का स्वामित्व होता है! 

(3) निजी उपक्रम भी सरकारी नियमों के अनुसार ही संचालित होते हैं! 

(4) निजी क्षेत्र का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होता है! 

(5) निजी क्षेत्र बाजार में मांग के अनुसार काम करते हैं! 

निजीकरण के लाभ (Nijikaran ke labh) – 

प्राइवेटाइजेशन के फायदे इस प्रकार हैं –

(1) उत्पादन एवं उत्पादक क्षमता में वृद्धि होगी! 

(2) निवेश के क्षेत्र में वृद्धि होगी!  

(3) बहुराष्ट्रीय कंपनियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही हैं! 

(4) अंतरराष्ट्रीय व्यापार में सुधार होने लगा है! 

(5) जीडीपी के आकार में वृद्धि होगी! 

निजीकरण की हानियाँ या नुकसान (Nijikaran ki haniyaan) – 

निजीकरण की प्रमुख हानियां या नुकसान इस प्रकार है –

(1) सामाजिक हित के स्थान पर स्वहित का महत्व बढेगा! 

(2) सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की कमी होगी! 

(3) वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य बढ़ जाएगा! 

(4) गरीब वर्ग को और अधिक संघर्ष करना पड़ेगा! 

बैंक निजीकरण के नुकसान (Disadvantages of Bank Privatization in hindi) – 

बैंकों के निजीकरण के नुकसान इस प्रकार हैं –

(1) प्राइवेटाइजेशन होने के बाद बैंक की नौकरी में आरक्षण खत्म हो जाएगा, जिससे कमजोर वर्ग को नौकरी पाने काफी मुसीबत होगी! 

(2) सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन होने से युवाओं को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा, उनके लिए सरकारी रोजगार के अवसर कम हो जाएंगे! 

(3) गरीब जरूरतमंद लोगों को बैंक से बाहर कर दिया जाएगा और अमीर लोगों को अधिक सेवाएं प्रदान की जाएंगी।

(4) दिव्यांग व्यक्ति को बैंक में नौकरी नहीं मिलेगी।

रेलवे निजीकरण के नुकसान (Railway nijikaran ke nuksan) – 

(1) रेलवे के प्राइवेटाइजेशन के कारण किराये में वृद्धि हो सकती हैं, क्योकिं निजी क्षेत्र लाभ पर आधारित होतें हैं! 

(2) रेलवे के प्राइवेटाइजेशन के कारण सरकारी रोजगार में कमी आयेगी और प्रभावशाली लोगों को प्रोत्साहन मिलेगा! 

(3) चूंकि निजी क्षेत्र जिम्मेदारी लेने से बचते हैं, जिससे जनकल्याण के अनदेखी हो सकती हैं!  

प्रश्न :- भारत में प्राइवेटाइजेशन की शुरुआत कब हुई?

उत्तर :- भारत में प्राइवेटाइजेशन की शुरुआत 1991 से मानी जाती हैं!

प्रश्न :- 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण कब किया गया?

उत्तर :- 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण 19 जुलाई 1969 किया गया! पचास करोड़ रुपये से ज्यादा की पूंजी वाले निजी बैंकों का तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीयकरण कर दिया था।

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