संविधान संशोधन (Samvidhan Sansodhan in hindi) –
किसी अन्य लिखित संविधान के समान भारतीय संविधान में भी परिस्थितियों एवं आवश्यकता के अनुरूप उसे संशोधित एवं))व्यवस्थित करने की व्यवस्था है!
भारतीय संविधान ना तो लचीला है, न ही कठोर है; यद्यपि यह दोनों का सम्मिश्रण है क्योंकि संविधान संशोधन(Samvidhan Sansodhan) प्रक्रिया ब्रिटेन के समान सरल अथवा अमेरिका के समान अत्याधिक कठोर नहीं है! संविधान संशोधन 20 वें भाग में है
भारतीय संविधान के भाग 20 के अनुच्छेद 368 में संसद को संविधान एवं उसकी व्यवस्था में संशोधन की शक्तियां प्रदान की गई है! यह उल्लेखित करता है कि संसद अपनी संविधायी शक्ति का प्रयोग, करते हुए संविधान किसी उपबंध का परिवर्धन, परिवर्तन या निरसन के रूप में संशोधन कर सकती है! केशवानंद भारती मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह व्यवस्था की गई कि संसद भारतीय संविधान के मूल ढांचे में संशोधन नहीं कर सकती!
संविधान संशोधन की प्रक्रिया (Samvidhan Sansodhan Ki Prakriya)-
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 में निम्नलिखित संविधान संशोधन (Samvidhan Sansodhan) की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है –
(1) संविधान संशोधन का प्रारंभ संसद के किसी भी सदन (लोकसभा और राज्यसभा) में इस प्रयोजन के लिए विधेयक पूर्व स्थापित करके ही किया जा सकेगा और राज्य विधानमंडल में नहीं!
(2) विधेयक को किसी मंत्री या गैर सरकारी सदस्य द्वारा पूर्व स्थापित किया जा सकता है और इसके लिए राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती!
(3) विधेयक को दोनों सदनों में विशेष बहुमत से पारित करवाना अनिवार्य होता है! यह बहुमत (50% से अधिक) सदन की कुल जनसंख्या के आधार पर सदन में उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई बहुमत या मतदान द्वारा होना चाहिए!
(4) प्रत्येक सदन में विधेयक को अलग-अलग पारित करना अनिवार्य होता है! दोनों शब्दों के बीच सहमति होने पर दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में विधेयक को पारित कराने का प्रावधान नहीं है!
(5) यदि कोई विधेयक संविधान की संघ व्यवस्था के संशोधन के मुद्दे पर हो तो उसे आधे राज्यों के विधान मंडलों से भी सामान्य बहुमत से पारित होना अनिवार्य होता है! यह बहुमत सदन में उपस्थित सदस्यों की बीच मतदान के तहत हो!
(6) संसद के दोनों सदनों में पारित होने एवं राज्य विधानमंडलों की संस्तुति के बाद जहां आवश्यक हो, कि राष्ट्रपति के पास समाधि के लिए भेजा जाता है!
(7) राष्ट्रपति न तो विधेयक को अपने पास रख सकते हैं और न ही संसद के पास पुनर्विचार के लिए भेज सकते हैं! इस प्रकार राष्ट्रपति को संविधान संशोधन विधेयक पर सहमति देना अनिवार्य है!
(8) राष्ट्रपति की सहमति के बाद विधेयक एक अधिनियम बन जाता है (संविधान संशोधन अधिनियम) और संविधान में अधिनियम के तरह इसका समावेशन कर लिया जाता है!
संविधान में संशोधन क्यों किया जाता है –
कानून गतिशील प्रक्रिया होती है ,जिसमें समय के साथ परिवर्तन होता रहता है. इसलिए भारत के सर्वोच्च कानून संविधान में समयानुसार परिवर्तन किया जाता है! संविधान में संशोधन करके परिस्थिति के अनुकूल कानूनों को बनाया जाता है.जिससे किसी प्रकार का प्रतिरोध उत्पन्न ना हो!
भारत के प्रमुख संविधान संशोधन (Pramukh Samvidhan Sansodhan) –
संविधान में किए गए प्रमुख संविधान संशोधन Pramukh Samvidhan Sansodhan इस प्रकार है –
प्रथम संशोधन (1951) –
प्रथम संशोधन के द्वारा नौवीं अनुसूची को जोड़ा गया, नौवीं अनुसूची में लिखित कानूनों को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती थी!
तीसरा संशोधन 1952 –
खाद्य पदार्थ के संबंध में केंद्र को शक्तियां प्रदान करना तथा आवश्यक खाद्य पदार्थों को राज्य सूची से निकालकर संघ सूची में शामिल कर दिया गया!
5 वा संशोधन 1955 –
पांचवे संविधान संशोधन के द्वारा राज्य पुनर्गठन के विषय में विधानमंडलों का मत जानने हेतु समय सीमा का निर्धारण करना !
7 वां संशोधन 1956 –
दूसरी अनुसूची में संशोधन. दो या दो से अधिक राज्यों के लिए एक संयुक्त न्यायालय की व्यवस्था!
9 वां संशोधन 1960 –
भारतीय भू-भागों के हस्तांतरण की व्यवस्था!
10 वां संशोधन 1961 –
दादर एवं नगर हवेली को भारत में शामिल कर उन्हें केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया!
11 वां संशोधन 1961 –
राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के निर्वाचन के संबंध में स्पष्टीकरण
12 वां संशोधन 1962 –
गोवा दमन और दीव को भारतीय संघ में शामिल किया गया !
13 वां संशोधन 1962 –
इस संशोधन के द्वारा नागालैंड के संबंध में विशेष प्रावधान किए गए तथा उसे एक राज्य का दर्जा दिया गया !
14 वां संशोधन 1962 –
पांडुचेरी को भारतीय संघ में शामिल किया गया और हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, गोवा, दमन और दीव, पांडुचेरी केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा और मंत्री परिषद की स्थापना की गई!
17 वां संशोधन 1964 –
नौवीं अनुसूची के दायरे का विस्तार किया गया तथा राज्यों के कानूनों को भी नौवीं अनुसूची में शामिल किया गया!
18 वां संशोधन 1966 –
केंद्र शासित प्रदेशों के पुनर्गठन की शक्ति संसद को प्रदान की गई और अनुच्छेद 3 में संशोधन किया गया !
19 वां संशोधन 1966 –
उच्च न्यायालय को निर्वाचन संबंधी विवादों के निपटारे की शक्तियां प्रदान करना, इसके पहले शक्ति निर्वाचन आयोग के पास थी!
21 वां संशोधन 1967 –
हिंदी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची के अंतर्गत पंद्रहवी की भाषा के रूप में शामिल किया गया!
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