खाद्य प्रसंस्करण क्या है (Food Processing in hindi)-
19वीं और 20वीं सदी में आधुनिक खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) प्रौद्योगिकी को बड़े पैमाने पर सेना की जरूरत पूरा करने के लिए विकसित किया गया! 1809 में निकोलस एप्पर्ट ने फ्रांसीसी फौज को आहार की आपूर्ति के लिए वैक्यूम बॉटलिंग तकनीक का आविष्कार किया इसलिए उन्हें ‘Father of Canning Industry‘ भी कहा जाता है! 1862 में लुइस पाश्चर द्वारा खोजा गया पाश्चुरीकरण, भोजन के सूक्ष्म-जैविक परिरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास था!
खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) में प्रसंस्करण से तात्पर्य उन्नतिकरण से है, अतः खाद्य प्रसंस्करण से तात्पर्य खाद्य पदार्थों की उन्नतिकरण से है, जैसे – गेहूं से ब्रेड का निर्माण करना, फलों के गुदों एवं रस से जैम आदि तैयार करना! साधारण शब्दों में, खाद्य प्रसंस्करण खाद्य पदार्थों के जीवन क्षमता को बढ़ाने, गुणवत्ता में सुधार लाने तथा कार्यात्मक रूप में उन्हें अधिक उपयोगी बनाने की दृष्टि से प्रभावी तरीके से खाद्य पदार्थ के विनिर्माण की तकनीक है!
खाद्य प्रसंस्करण का महत्व (Significance of Food Processing Industry in hindi) –
(1) अधिकांश लोग खाद्यान्न उत्पादन वाले क्षेत्र में काफी दूर शहरों में रहते हैं! साथ ही समय का अभाव भी रहता है! अतः प्रसंस्करित खाद्य सामग्री इनकी तत्कालीन आवश्यकता को उच्च गुणवत्ता के साथ पूरा कर सकती है!
(2) खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से खाद्य सामग्री में से हानिकारक जीवो को हटाना, परिरक्षण, आसान विपणन एवं वितरण तथा गुणवत्ता में वृद्धि होती है!
(3) खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) खाद्य पदार्थों की मौसमी उपलब्धता को बढ़ाता है व दुरस्त प्रदेशों में भी गुणवत्तापूर्ण खाद्य पदार्थों के परिवहन को सक्षम बनाता है!
(4) आधुनिक खाद्य प्रसंस्करण एलर्जी, मधुमेह वाले रोगों और कुछ सामान्य खाद्य तत्वों का सेवन न कर पाने वाले लोगों के लिए जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार लाता है! खाद्य प्रसंस्करण विटामिन, मिनरल जैसे अतिरिक्त पोषक तत्व को भी खाद्य पदार्थों में जोड़ सकता है!
(5) आधुनिक खाद्य प्रसंस्करण तकनीकों के बिना आधुनिक सुपर मार्केटो का विकास संभव नहीं होता तथा लंबे समय की यात्राएं और सैन्य अभियान का निष्पादन भी काफी महंगा और कठिन होता!
(6) खाद्य प्रसंस्करण उद्योग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के नए-नए अवसरों का सृजन करता है खाद्य प्रसंस्करण उद्योग कृषि क्षेत्र एवं औद्योगिक क्षेत्र के बीच एक सेतु का कार्य करता हैं!
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की सीमाएं (Problem of Food Processing Industry in hindi) –
(1) खाद्य प्रसंस्करण खाद्य पदार्थों के पोष्टिक मूल्य को घटाता है और ऐसे खतरों को जन्म देता है, जिनका खतरा प्राकृतिक तौर पर पाए जाने वाले उत्पादों में नहीं होता!
(2) अक्सर खाद्य पदार्थ में स्वाद और संरचना-वर्धक कारकों को खाद्य पदार्थ में मिलाया जाता है, जिससे उनका पोषण मूल्य कम हो जाता है और वह अस्वास्थ्यकर हो जाते हैं! उदाहरणार्थ – प्रसंस्करण के दौरान नाइट्राइट या सल्फाइड जैसे परिरक्षकों का उपयोग किया जाता है, इनका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है!
(3) प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में ताजा खाद्य पदार्थों की तुलना में आवश्यक पोषक तत्व काम होते हैं, जिस कारण इनसे कैलोरी भी कम मात्रा में मिलती है! सुविधा और कम लागत के लिए उपभोक्ता की मांग को संतुष्ट करने के लिए अक्सर जंक फूड जैसे खाद्य पदार्थों व्यापक पैमाने पर प्रसंस्कृत किए जाते हैं!
(4) बाजार में बढ़ती हुई मांगों को पूरा करने के लिए अक्सर इन उद्योगों में स्वच्छता मानकों को ध्यान में नहीं रखा जाता, जिससे कभी-कभी गंभीर परिणाम उत्पन्न हो जाते हैं! जैसे- मैगी के संदर्भ में ऐसे नकारात्मक परिणाम देखे गए!
(5) बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए खाद्य प्रसंस्करण पदार्थ पर्याप्त मात्रा में उत्पादित नहीं होते, जिसके कारण बाजार में निम्न गुणवत्ता वाले प्रसंस्कृत पदार्थ आ जाते हैं जिनके परिणाम नकारात्मक होते हैं!
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की पूर्ववर्ती एवं अग्रवर्ती आवश्यकता (khad prasanskaran udyog ki purvarti avn agravarti avashyakta) –
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की पूर्ववर्ती आवश्यकता (khad prasanskaran udyog ki purvarti avashyakta) –
(1) प्रसंस्कृत उत्पादों का उचित वितरण सुनिश्चित करने के लिए एक शीर्ष निकाय की स्थापना के साथ विपणन नेटवर्क की स्थापना करना!
(2) संसाधनों तथा बाजार के बीच एक मजबूत संबंध की स्थापना, जो लागत अर्थव्यवस्था तथा बिचौलियों के उन्मूलन में प्रभावकारी हो!
(3) व्यापार संगठन में चुनौतियों का सामना करने के लिए तथा बड़े पैमाने पर निर्यात प्रारंभ में करने के लिए बुनियादी सुविधा और गुणवत्ता के साथ विपणन क्षमता का विस्तार करना!
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग अग्रवर्ती आवश्यकता (khad prasanskaran udyog ki agravarti avashyakta) –
(1) कृषि उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण उत्पादन तथा उपभोक्ताओं पर पहुंचने वाली कीमत के अंतर को कम करना, जिससे अधिकतम लाभ की प्राप्ति हो!
(2) संसाधकों को सतत कच्चे माल की आपूर्ति तथा किसानों के न्यूनतम मूल्य स्थिरता को सुनिश्चित करने वाले वायदा बाजार का विकास करना!
(3) किसानों एवं संसाधनों के बीच आपसी विश्वास, समझ एवं लाभ के आधार पर एक सतत और स्थाई संबंध की स्थापना करना
प्रश्न :- फादर ऑफ केनिंग इंडस्ट्री किसे कहा जाता है?
उत्तर :- 1809 में निकोलस एप्पर्ट ने फ्रांसीसी फौज को आहार की आपूर्ति के लिए वैक्यूम बॉटलिंग तकनीक का आविष्कार किया इसलिए उन्हें ‘Father of Canning Industry‘ कहा जाता है!