चक्रवात किसे कहते हैं (chakrawat kise kahate hain) –
जब भी विशिष्ट वायु राशियों के कारण वायुमंडल में भॅंवर बन जाते हैं तो उसे चक्रवात (chakrawat) कहते हैं! वायुमंडलीय आपदाओं में चक्रवात सबसे अधिक घातक होते हैं! ये वस्तुतः निम्न वायुदाब के क्षेत्र होते हैं, जिनके चारों ओर बढ़ते वायुदाब की रेखाएं पाई जाती है! इसमें अंदर से बाहर की ओर जाने पर वायुदाब क्रमशः बढ़ता जाता है!
अत: परिधि से केंद्र की ओर तीव्रगति से पवन का संचार होता है, जिसकी दिशा उत्तरी गोलार्ध में घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत तथा दक्षिणी गोलार्ध घड़ी की सुई की दिशा में होती है! इनका आकार गोलाकार, अण्डाकार अथवा “v” के समान होता है! चक्रवातों को मौसम एवं जलवायु की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि जिस स्थान पर पहुंचते हैं वहां वर्षा तथा तापमान की मात्रा में अचानक परिवर्तन आ जाता है!
चक्रवात की परिभाषा (chakrawat ki paribhasha) –
पी. लेक चक्रवात प्रायः अंडाकार आकृति की समभार रेखाओं से घिरी वह व्यवस्थाएं हैं जिसके लगभग मध्य में निम्न वायुभार का क्षेत्र पाया जाता है!
वान राइपर एक अपेक्षाकृत निम्न वायुमंडलीय दाब जिसमें अपसरण, ऊपर की ओर चढ़ती हुई और घूमती हुई वायु होती है, वायु का यह घूमना उत्तरी गोलार्ध में घड़ी की सुई के विपरीत दिशा में तथा दक्षिणी गोलार्ध में घड़ी की सुई दिशा में होता है!

चक्रवात की आंख (chakrawat ki aankh) –
चक्रवात के केन्द्र में स्थित शांत क्षेत्र जिसका व्यास 5 से 8 किमी. होता हैं, चक्रवात की आंख कहलाता है!
चक्रवात के प्रकार (chakrawat ke prakar) –
भूतल के विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावी चक्रवातों को निम्न दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है –
(1) शीतोष्ण कटिबंधीय या मध्य अक्षांशीय चक्रवात!
(2) उष्णकटिबंधीय चक्रवात या हरिकेन!
(1) शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Shitoshna katibandheey Chakravat) –
शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से दूर मध्य एवं उच्च अक्षांश में विकसित होते हैं! मध्य एवं उच्च अक्षांशों में जिन क्षेत्रों से ये गुजरते हैं, वहां मौसम संबंधी अवस्था में अचानक परिवर्तन आता है! इन क्षेत्रों में ये चक्रवात प्रायः पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर भ्रमण करते हैं!
गर्मियों में इनकी औसत गति 32 किमी प्रति घंटा, तो वही जाड़े में 48 किमी प्रति घंटा होती है! कभी-कभी यह तूफानी रफ्तार के आगे बढ़ते हैं! उत्तरी अमेरिका के उत्तरी पूर्वी भाग के पास उत्पन्न होकर ये चक्रवात पछुआ हवाओं के साथ पूर्व दिशा में चलते हैं तथा यूरोप के मध्यवर्ती भाग पर पहुंचते-पहुंचते विलीन हो जाते हैं!
(2) उष्णकटिबंधीय चक्रवात (usan katibandheey chakravat) –
कर्क तथा मकर रेखाओं के मध्य उत्पन्न होने वाले चक्रवातों को उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के नाम से जाना जाता है! शीतोष्ण चक्रवातों की तरह इन चक्रवातों में समरूपता नहीं होती हैं! इनका विकास केवल गर्म सागरों के ऊपर होता है और इनके केंद्र में वायुदाब बहुत कम होता है! भूमध्य रेखा पर ये चक्रवात नहीं पाए जाते हैं, जिसका प्रमुख कारण भू-मध्य रेखा पर कॉरिऑलिस बल की अनुपस्थिति होना है!
भू-मध्य रेखा से उत्तर या दक्षिण की ओर जाने पर कॉरिऑलिस बल तथा पृथ्वी की गति के कारण ही हवाओं की अवस्था चक्रीय हो जाती है, जो चक्रवातों के निर्माण में सहायक होती है! ये चक्रवात सागरों के ऊपर तीव्र गति से चलते हैं, परंतु स्थल पर पहुंचते-पहुंचते क्षीण हो जाते हैं!
चक्रवात क्यों आते हैं (chakravat Kyu aate hai) –
जब समुद्र का पानी गर्म होता है तो समुद्र के ऊपर उपस्थित हवा भी गर्म हो जाती है और ऊपर उठने लगती है. जिससे इस जगह पर निम्न दाब का क्षेत्र बनने लग जाता है. आसपास मौजूद ठंडी हवा इस निम्न दाब वाले क्षेत्र को भरने के लिए इस तरफ आगे बढ़ने लगती है. लेकिन पृथ्वी अपने अक्ष पर लट्टू की तरह घूमती है. जिसके कारण से यह हवा सीधी दिशा में न आकर घूमने लगती है और चक्कर लगाती हुई उस जगह की ओर आगे बढ़ती है. जिससे चक्रवात की उत्पति होती हैं.
चक्रवात से बचने के उपाय (Chakrawat se bachne ke upay) –
(1) सुरक्षा के आश्रय स्थलों, तटबंध, जलाशय आदि के निर्माण में चक्रवातों के प्रभाव से काफी हद तक बचा जा सकता है!
(2) चक्रवात प्रबंधन के लिए आवश्यक है कि सूक्ष्म स्तर पर चक्रवात की सुभेद्यता वाले क्षेत्रों की पहचान की जाए तथा वहां भूमि उपयोग को नियंत्रित किया जाए!
(3) तटीय क्षेत्रों में वृक्षारोपण से चक्रवातों के प्रभाव को कम करने में सहायता मिलती है!
(4) फसलों तथा पशुओं के बीमे से भी लोगों को क्षतिपूर्ति में सहायता मिलती है!
(5) चक्रवात प्रतिरोधी संरचनाओं का निर्माण करना!
चक्रवात का महत्व (chakrawat ka mahatva)-
चक्रवात विभिन्न कटिबंध के बीच होने वाले ऊष्मा विनिमय की जटिल प्रक्रिया को संपादित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं! मध्य अक्षांशीय मौसम में तो इनकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण है! वर्षा पर भी चक्रवातों का नियंत्रण होता है! आर्द्रता के स्थानांतरण में चक्रवात की भूमिका सर्वविदित है! इनके द्वारा किसी स्थान के मौसम दशाओं में तीव्र परिवर्तन होता है!
कुछ महत्वपूर्ण चक्रवाती तूफान (mahatvpurn chakrawati tufan) –
(1) चक्रवात रोआनू –
15 मई 2016 को बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न रोआनू तूफान से तमिलनाडु ,आंध्रप्रदेश, उड़ीसा तथा बांग्लादेश के कुछ हिस्से प्रभावित हुए! लगभग 15 दिनों तक विद्यमान रहने वाले तूफान से 120 लोगों की मृत्यु हो गई तथा 150 से अधिक लोग लापता हो गए! साथ ही बहुत अधिक मात्रा में संपत्ति का नुकसान भी हुआ!
(2) चक्रवात वरदा –
12 दिसंबर, 2016 बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न हुआ है! यह तूफान आंध्रप्रदेश एवं तमिलनाडु के तटों पर विनाशकारी रहा! पाकिस्तान द्वारा इसे वरदा अर्थात ‘लाल गुलाब’ नाम दिया गया! इसके चक्रवात से निपटने के लिए एनडीआरएफ की 12 टुकडियों को तैनात किया गया ! साथ ही समुद्र में मछुआरों का जाना कुछ समय के लिए प्रतिबंधित किया गया! इस तूफान के कारण 12 लोगों की मृत्यु हो गई!
(3) चक्रवात हुदहुद –
12 अक्टूबर 2014 को हिंद महासागर में उत्पन्न हुदहुद तूफान भारत के पूर्वी तट पर आंध्रप्रदेश के विशाखापत्तनम तट से टकराया! इस चक्रवात का नाम हुदहुद को ओमान देश के द्वारा एक चिड़िया के नाम पर दिया गया! भारतीय मौसम विभाग के अनुसार इस तूफान के अधिकतम गति 200 किमी प्रति घंटा मापी गई, अतः इसे ‘अत्याधिक खतरनाक चक्रवाती तूफान’ माना गया! आंध्र प्रदेश के पूर्वी इलाकों में हुदहुद चक्रवाती तूफान ने जमकर तबाही मचाई थी!
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