Pradhanmantri,प्रधानमंत्री के कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए

Pradhanmantri Shaktiyan

प्रधानमंत्री (Pradhanmantri Or Prime Minister in hindi) –

भारत में संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया है जिसमें राष्ट्रपति केवल नाममात्र का कार्यकारी प्रमुख होता है तथा वास्तविक कार्यकारी शक्तियां प्रधानमंत्री में निहित होती है! अनुच्छेद 74 के अनुसार राष्ट्रपति के कार्यों के संपादन और सलाह देने हेतु एक मंत्रिपरिषद होती है जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होता है! 
 

प्रधानमंत्री की नियुक्ति (Pradhanmantri ki niyukti ) –

संविधान में प्रधानमंत्री का निर्वाचन और नियुक्ति के लिए कोई विशेष प्रक्रिया नहीं दी गई है! अनुच्छेद 75 केवल इतना कहता है कि राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करेगा हालांकि इसका अभिप्राय नहीं है, कि राष्ट्रपति किसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त करने हेतु स्वतंत्र है
 
सरकार की संसदीय व्यवस्था के अनुसार राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है परंतु, यदि लोकसभा में कोई भी दल स्पष्ट बहुमत में न हो तो राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति अपने व्यक्तिक स्वतंत्र का प्रयोग कर सकता है ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति सामान्यतः सबसे बड़े दल अथवा गठबंधन के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है और उसे 1 माह के भीतर सदन में विश्वास मत हासिल करने के लिए कहता है! 
 

प्रधानमंत्री की योग्यता (Prime Minister’s Qualification in hindi) –

प्रधानमंत्री की योग्यता के संबंध में संविधान में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किया गया है, लेकिन इतना अवश्य कहा गया है कि प्रधानमंत्री लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता होगा! किंतु यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि उसे अनिवार्य रूप से लोकसभा का सदस्य होना चाहिए!
 
स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री को केवल लोकसभा का विश्वास मत हासिल होना चाहिए, वह संसद के किसी भी सदन का सदस्य हो सकता है! उदाहरणार्थ – 1967 ई. में जब इंदिरा गांधी और 1996 में देवगोड़ा तथा 2004 ई. एवं 2009 ई. में मनमोहन सिंह राज्यसभा के सदस्य थे!
 
इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है, जो किसी भी सदन का सदस्य न हो, तो उसे 6 माह के समय के भीतर संसद के किसी भी सदन का सदस्य बनना अनिवार्य है अन्यथा 6 माह के बाद वह प्रधानमंत्री पद के लिए योग्य नहीं रहेगा! उदाहरणार्थ – 1991 ई. में जब पी.वी.नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किए गए, तब वे लोकसभा के सदस्य नहीं थे, लेकिन उन्होंने छह माह के अंतर्गत लोकसभा चुनाव जीतकर लोकसभा के सदस्य बने!
 

प्रधानमंत्री की पदावधि एवं शपथ (pradhanmantri ki shapath aur Tenure) –

सामान्यतः प्रधानमंत्री अपने पद ग्रहण करने की तिथि से लेकर लोकसभा के अगले चुनाव के बाद नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति तक पद पर बना रहता है, परंतु वह इसके पहले भी त्यागपत्र देकर पद मुक्त हो सकता है –

(1) राष्ट्रपति को त्यागपत्र देकर पद मुक्त हो सकता है!

(2) लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के कारण राष्ट्रपति को त्यागपत्र देकर!

(3) राष्ट्रपति द्वारा बर्खास्त किया जा सकता है!

प्रधानमंत्री को अपने पद ग्रहण करने से पूर्व राष्ट्रपति तीसरी अनुसूची में इस प्रायोजन के लिए दिए गए प्रारूप अनुसार पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाता है

प्रधानमंत्री के कार्य एवं शक्तियां (Pradhanmantri ki shaktiyan avam karya ) –

(A) मंत्री परिषद के संबंध में (Pradhanmantri ki Shaktiyan Mantriparisad Ke Samband me) –

(1) वह मंत्रियों को विभिन्न मंत्रालय आवंटित करता है और उनमें फेरबदल करता है! 
 
(2) वह मंत्री नियुक्त करने हेतु अपने दल के व्यक्तियों की राष्ट्रपति से सिफारिश करता है, राष्ट्रपति केवल उन्हीं व्यक्तियों को मंत्री नियुक्त कर सकता है जिनकी सिफारिश प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है!
 
(3) वह किसी मंत्री को त्यागपत्र देने अथवा राष्ट्रपति को उसे बर्खास्त करने की सलाह दे सकता है! 
 
(4) वह सभी मंत्रियों की गतिविधियों को नियंत्रित, निर्देशित करता है और उनमें समन्वय रखता है! 
 
(5) वह मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता करता है तथा उनके निर्णय को प्रभावित करता है
 
(6) वह पद से त्यागपत्र देकर मंत्रिमंडल को बर्खास्त कर सकता है! 
 
चूंकि प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का प्रमुख होता है, अतः प्रधानमंत्री त्यागपत्र देता है अथवा की मृत्यु हो जाती है तो अन्य मंत्री कोई भी कार्य नहीं कर सकते अर्थात मंत्रिपरिषद स्वयं ही घटित हो जाती है और एक शून्यता उत्पन्न ना हो जाती है!
 

(B) संसद के संबंध में (Pradhanmantri ki Shaktiyan parliament Ke Samband Me)

प्रधानमंत्री लोकसभा का नेता होता है.इस संबंध में निम्‍न की शक्तियों का प्रयोग करता है! 
 
(1) वह राष्ट्रपति को संसद का सत्र आहूत करने का सत्रावसान करने संबंधी परामर्श देता है
 
(2) वह किसी भी समय लोकसभा विघटित करने की सिफारिश राष्ट्रपति से कर सकता है! 
 
(3) वह सभा पटल पर सरकार की नीतियों की घोषणा करता है! 
 

(C) राष्ट्रपति के संबंध में (Pradhanmantri ki Shaktiyan president Ke Samband Me) –

(1) संघ के कार्यकलाप के प्रशासन संबंधी और विधान विषयक प्रस्थापनाओ संबंधी मंत्रीपरिषद के सभी विनिश्चय राष्ट्रपति को सन सूचित करें! 
 
(2) संघ के कार्यकलाप प्रशासन संबंधी और विधान विषयक प्रस्थापनाओ संबंधी, जो जानकारी राष्ट्रपति मांगे वह दे! 
 
(3) किसी विषय की जिस पर किसी मंत्री ने विनिश्चय (प्रस्ताव तैयार) कर दिया है किंतु, मंत्रिपरिषद ने विचार नहीं किया है राष्ट्रपति द्वारा अपेक्षा किए जाने पर मंत्रीपरिषद के समक्ष विचार के लिए रखें
 
(4) वह राष्ट्रपति को विभिन्न अधिकारियों जिसे भारत का महान्यायवादी, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, यूपीएससी के अध्यक्ष एवं सदस्य, चुनाव आयुक्त, वित्त आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य एवं अन्य की नियुक्ति के संबंध में परामर्श देता है! 
 

(D) प्रधानमंत्री की अन्य शक्तियां एवं कार्य (Anay Pradhanmantri ki Shaktiyan Avam Karya) –

(1) वह नीति आयोग राष्ट्रीय विकास परिषद राष्ट्रीय एकता परिषद अंतर राज्य परिषद राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद राष्ट्रीय हिंदी परिषद आदि का अध्यक्ष होता है! 
 
(2) वह केंद्र सरकार का मुख्य प्रवक्ता होता है! 
 
(3) वह राष्ट्र की विदेश नीति को मूर्त रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है
 
(4) वह आपातकाल के दौरान मंत्रीपरिषद स्तर पर आपदा प्रबंधन का प्रमुख होता है! 
 
(5) वहां सेनाओं का राजनीतिक प्रमुख होता है! 
 
(6) देश का नेता होने के नाते वह विभिन्न राज्यों के विभिन्न वर्गों के लोगों से मिलता है उनकी समस्याओं के संबंध में ज्ञापन प्राप्त करता है और उनके समस्याओं का निवारण करने हेतु कार्य करता है! 
 
(7) वह सत्ताधारी दल का नेता होता है! 
 
(8) वह सरकार का मुखिया होने के नाते जनता व मीडिया के समक्ष सरकार के कार्य कलाप तथा नीतियों को रखता है तथा उन पर उठा जाने वाले प्रश्नों का सरकार की ओर से उत्तर देता है! 
 

(9) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करता है! विदेशों में प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व को देश की नीति समझा जाता है! वह समय-समय पर विदेशों की यात्रा करता है तथा भारत सरकार के दृष्टिकोण को दूसरे देशों के सामने प्रस्तुत करता है!  

 

प्रश्न :- भारत में पहली बार किस प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की थी

उत्तर :- भारत में पहली बार अंग्रेज सरकार ने 1946 में नोटबंदी की थी। पहली बार साल 1946 में 500, 1,000 और 10 हजार के नोटों को बंद करने का फैसला लिया गया था।! इसके बाद 1978 में भी नोटबंदी की गई थी! जनवरी 1978 में मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार सरकार ने एक कानून बनाकर 1,000, 5,000 और 10 हजार के नोट बंद कर दिए।।2016 में तीसरी बार देश में नोटबंदी की गई थी। 2016 में मोदी सरकार ने 500 और 1000 के नोटों की नोटबंदी या विमुद्रीकरण का फैसला किया! भारतीय अर्थव्यवस्था में 500 और 1,000 के नोटों का प्रचलन लगभग 86% था। यही नोट बाजार में सबसे अधिक चलते थे।

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