भारत का राष्ट्रपति (bharat ka rashtrapati) :-
राष्ट्रपति (rashtrapati), भारत का राज्य प्रमुख होता है। वह भारत का प्रथम नागरिक है और राष्ट्र की एकता, अखंडता एवं सुदृढ़ता का प्रतीक है। ब्रिटेन के संविधान का अनुकरण करते हुए भारत में भी संविधान द्वारा संसदीय शासन की स्थापना की गई है।
भारत का राष्ट्रपति राज्य का औपचारिक प्रमुख होता है और संघ की वास्तविक शक्ति मंत्रिपरिषद् में निहित होती है। इन दोनों देशों के प्रमुखों में मूलभूत अंतर यह है कि ब्रिटेन का राज्य प्रमुख वंशानुगत होता है, जबकि भारत का राष्ट्रपति एक निर्वाचित मंडल द्वारा निर्वाचित होता है। इसी अंतर के कारण भारत को लोकतांत्रिक गणतंत्र कहा जाता है।
राष्ट्रपति का वेतन (rashtrapati ki salary) –
भारत के राष्ट्रपति का वेतन ₹5.00.000/- प्रतिमाह होता है।
राष्ट्रपति का निर्वाचन (bharat ke rashtrapati ki nirvachan paddti):-
संविधान के अनुच्छेद 54 व 55 में राष्ट्रपति की निर्वाचन संबंधित प्रावधान दिए गए हैं। अनुच्छेद 54 यह बताना कि राष्ट्रपति के निर्वाचन में किसे मत देने का अधिकार है। भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन जनता प्रत्यक्ष रूप से नहीं करती बल्कि एक निर्वाचन मंडल के सदस्यों द्वारा उसका निर्वाचन किया जाता है। इसमें निम्न लोग शामिल होते हैं:
1. संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य,
2. राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्य,
3 केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली में पांडुचेरी विधानसभा के निर्वाचित सदस्य।
इस प्रकार संसद के दोनों सदनों के मनोनीत सदस्य, राज्य विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य, राज्य विधानपरिषदों (द्विसदनीय विधायिका के मामलों में) के सदस्य (निर्वाचित व मनोनीत) और दिल्ली तथा पांडुचेरी विधानसभा के मनोनीत सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग नहीं लेते है। जब कोई सभा विघटित हो गई हो तो उसके सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन में मतदान नहीं कर सकते। उस स्थिति में भी जबकि विघटित सभा का चुनाव राष्ट्रपति के निर्वाचन से पूर्व न हुआ हो।
राष्ट्रपति के कार्य एवं शक्तियां (rashtrapati ki shaktiyan aur adhikar) –
भारतीय संविधान द्वारा राष्ट्रपति को निम्नलिखित शक्ति तथा अधिकार प्रदान किए गए हैं-
राष्ट्रपति की कार्यपालिका शक्तियां (rashtrapati ki karyapalika shakti) –
संविधान के अनुच्छेद 53 अनुसार संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है और वह अपनी इस शक्ति का प्रयोग अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से करता है। यहां अधीनस्थ प्राधिकारी का तात्पर्य केंद्रीय मंत्री परिषद से है। राष्ट्रपति की कार्यपालिका शक्तियां निम्नलिखित है-ज्ञ
1. प्रधानमंत्री की नियुक्ति को मंत्रिपरिषद का गठन-
अनुच्छेद 74 के अनुसार राष्ट्रपति संघ की कार्यपालिका शक्ति के संचालन में सलाह देने के लिए मंत्रीपरिषद् का गठन करता है, जिसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है। सामान्यता: राष्ट्रपति ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त करता है, जो लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता हो। इस प्रकार नियुक्त किए गए प्रधानमंत्री की सलाह पर वह मंत्री परिषद के अन्य सदस्यों की नियुक्ति करता है।
2. नियुक्ति संबंधी शक्ति-
संविधान द्वारा राष्ट्रपति को यह शक्ति दी गई है कि वह संघ एवं राज्यों से संबंधित महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों पर नियुक्तियां करें। जैसे- महान्यायवादी, नियंत्रक महालेखा परीक्षक।संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा अन्य सदस्य। उच्चतम न्यायालय तथा अन्य उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों। वित्त आयोग के सदस्यो। मुख्य निर्वाचन आयुक्त, अन्य निर्वाचन आयुक्त। राज्यों के राज्यपालों।
राष्ट्रपति ये नियुक्तियां मंत्रिपरिषद की सलाह से करता है। वह अपने द्वारा नियुक्त प्राधिकारियों तथा अधिकारियों को पद मुक्त कर सकता है।
3. आयोग का गठन-
राष्ट्रपति को आयोगों को गठित करने की शक्ति भी प्रदान की गई है। यह भारत के राज्य क्षेत्र में सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग की दशाओ का अन्वेंषन करने के लिए आयोग, राज्य भाषा पर प्रतिवेदन देने के लिए आयोग, अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन पर रिपोर्ट देने के लिए तथा राज्य में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण संबंधी क्रियाकलापों पर रिपोर्ट देने के लिए आयोग का गठन कर सकता है।
4. अनुसूचित क्षेत्र घोषित करना-
राष्ट्रपति किसी भी क्षेत्र को अनुसूचित घोषित कर सकता है। उसे अनुसूचित क्षेत्रों तथा जनजातिय क्षेत्रों के प्रशासन की शक्तियां प्राप्त है।
राष्ट्रपति की सैन्य शक्तियां (rashtrapati ki sainya shakti) –
संघ के रक्षा बलों का समादेश राष्ट्रपति में निहीत होता है। वह भारत के सैन्य बलों का सर्वोच्च सेनापति होता है। वह युद्ध एवं उसकी समाप्ति की घोषणा करता है राष्ट्रपति अपने में निहित रक्षा बलों का समादेश उस विधि के अनुसार प्रयुक्त करता है, जिसे संसद बनाएं। वह रक्षा बलों के प्रमुखों को भी नियुक्त करता है।
राष्ट्रपति की राजनयिक शक्तियां (rashtrapati ki rajnayak shakti) –
अन्य देशों के साथ भारत का सव्यवहार राष्ट्रपति के नाम से किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय मामलों में राष्ट्रपति भारत का प्रतिनिधित्व करता है। अन्य देशों में भेजे जाने वाले राजदूत तथा उच्चायुक्त राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं साथ ही अन्य देशों से भारत में नियुक्ति पर आने वाले राजदूत या उच्चायुक्त का स्वागत भी राष्ट्रपति द्वारा ही किया जाता है।
जब अन्य देश के राजदूत या उच्चायुक्त भारत में नियुक्त होकर आते हैं तो व अपना ‘प्रत्यय पत्र’ राष्ट्रपति के समक्ष पेश करते हैंं समस्त अंतर्राष्ट्रीय करार और संधिया राष्ट्रपति के नाम से की जाती है।
राष्ट्रपति की विधायी शक्तियां (rashtrapati ki vidai shakti) :-
1. संसद से संबंधित शक्तियां-
राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग है क्योंकि संसद का गठन राष्ट्रपति और लोकसभा तथा राज्यसभा से मिलकर होता है संसद से संबंधित राष्ट्रपति की शक्तियां निम्नलिखित हैं।
( a) अनुच्छेद 331 के तहत वह लोकसभा में आंग्ल भारतीय समुदाय के दो सदस्य को मनोनीत कर सकता है, यदि उसके विचार में लोकसभा में उस समुदाय को उचित नहीं मिला है।
(b) वह सदनों या किसी सदन का सत्रावसान कर सकता है तथा लोकसभा का विघटन कर सकता है।
(c) यदि किसी विधेयक को लेकर दोनों सदनों में गतिरोध उत्पन्न हो जाए तो वह गतिरोध दूर करने के लिए संयुक्त बैठक बुला सकता है।
2. विधेयक को पेश करने की सिफारिश करने की शक्ति-
निम्नलिखित विधेयक राष्ट्रपति कि सिफारिश के बिना संसद में पेश नहीं किया जा सकते हैं। a) धन विधेयक तथा वित्त विधेयक।
(b) नए राज्य का निर्माण करने या विद्यमान राज्य के क्षेत्र सीमा या नाम में परिवर्तन करने वाले विधेयक।
(c) भूमि अधिग्रहण से संबंधित विधेयक।
(d) व्यापार की स्वतंत्रता पर रोक लगाने वाले राज्य का कोई भी विधेयक।
3. राज्य विधान मंडल द्वारा बनाई जाने वाली विधि के संबंध में राष्ट्रपति की शक्ति-
राज्य विधान मंडल द्वारा बनाई जाने वाली विधि के संबंध में राष्ट्रपति को निम्नलिखित शक्तियां प्राप्त है-
(a) यदि राज्य विधानमंडल कोई ऐसा विधेयक पारित करता है, जिससे उच्च न्यायालय की अधिकारिता प्रवाहित होती है तो राज्यपाल उस विधेयक पर अनुमति नहीं देगा और उसे राष्ट्रपति की अनुमति के लिए आरक्षित कर देगा।
(b) राज्य विधान मंडल द्वारा संपत्ति प्राप्त करने के लिए पारित विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए आरक्षित रखा जाएगा।
4. अध्यादेश जारी करने की शक्ति-
संविधान के अनुच्छेद 123 के तहत् राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान की गई है। अध्यादेश से संबंधित तथ्यो को निम्नलिखित रूप से देख सकते हैं-
(a) अध्यादेश का वही बल और प्रभाव होता है, जो संसद द्वारा पारित अधिनियम का होता है।
(b) राष्ट्रपति जब चाहे अध्यादेश को वापस ले सकता है।
5. नियम बनाने की शक्ति –
राष्ट्रपति को निम्नलिखित के संबंध में कानून बनाने की शक्ति है-
(a) अंडमान निकोबार दीप समूह, लक्षदीप, दादर एवं नागर हवेली एवं दमन दीव में शांति विकास व सुशासन के लिए नियम बना सकता है!
(b) राज्यसभा के सभापति तथा लोकसभा के अध्यक्ष से परामर्श करके दोनों सदनों की संयुक्त बैठक से संबंधित और उनमें परस्पर संचार से संबंधित प्रक्रिया के नियम।
6. राष्ट्रपति की वीटो शक्ति-
राष्ट्रपति के पास यह शक्ति होती है कि वह विधायक द्वारा पारित विधेयक को अधिनियम बनने से रोक सके। इसे ही राष्ट्रपति की वीटो शक्ति कहा जाता है। इस शक्ति का उद्देश्य है कि विधायिका बिना विचार विमर्श के कोई विधेयक जल्दबाजी में पारित कर दिया हो तो उसे सुधारा जा सके।
विश्व में वर्तमान राज्यों के राष्ट्र प्रमुखों को चार प्रकार के वीटो शक्ति प्राप्त है।a ) आत्यतिक वीटो(absolute veto)b ) निलंबनकारी वीटो(suspensive veto)c) जेबीय वीटो(pocket Veto)d) विशेषित वीटो(Qualified veto)
राष्ट्रपति की वित्तीय शक्तियां (rashtrapati ki vittiya shaktiyan) –
राष्ट्रपति को संविधान द्वारा निम्नलिखित वित्तीय शक्तियां प्रदान की गई है-
(1) जिस विधेयक को प्रवर्तित किए जाने पर भारत की संचित निधि में व्यय करना पड़े, उसे विधेयक को राष्ट्रपति की सिफारिश से ही संसद में पेश किया जाता है।
(2). धन विधेयक तथा वित्त विधेयक को राष्ट्रपति की सिफारिश से ही लोकसभा में पेश किया जाता है।
राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियां (rashtrapati ki nyayik shaktiya) –
संविधान द्वारा राष्ट्रपति को तीन प्रकार की न्यायिक शक्तियां प्रदान की गई जिसका विवरण निम्नलिखित प्रकार से है। –
1. न्यायाधीशों को नियुक्त करने की शक्ति-
संविधान के अनुच्छेद 124 व 217 के अंतर्गत राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को नियुक्त करने की शक्ति प्राप्त है। इसके अलावा उसे उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का स्थानांतरण की शक्ति भी प्राप्त है।
2. क्षमादान की शक्ति-
संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को किसी अपराध के लिए दोष सिद्ध ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड के संदर्भ में क्षमादान का अधिकार प्राप्त है। वह दंड को पूर्ण रूप से क्षमा कर सकते हैं, स्थगित कर सकते हैं दंड में परिवर्तन कर सकते हैंं। यह शक्ति निम्नलिखित मामलों प्राप्त होगी-
(1) सेना न्यायालय द्वारा दिए गए दंड के मामले में,
(2) मृत्यु दंड आदेश के सभी मामलों में,
(3) उन सभी हालातों में, जिनमें केंद्रीय वीधियो के विरुद्ध अपराध के लिए सजा दी गई हो।
3. उच्चतम न्यायालय से परामर्श लेने का अधिकार-
अनुच्छेद 143 के अनुसार जब राष्ट्रपति को ऐसा प्रतीत हो की विधि या तथ्य से कोई ऐसा प्रश्न उत्पन्न हुआ है, जो सार्वजनिक महत्व हो, तो उस प्रश्न पर सर्वोच्च न्यायालय की राय मांग सकता है यहा उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय अपनी राय देने के लिए बाध्य नहीं है (संवैधानिक संधि, समझौता, प्रंसविदा आदि से संबंधित प्रश्नों को छोड़कर) । साथ ही राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय की राय मानने के लिए बाध्य नहीं है।
राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां (rashtrapati ki aapatkalin shaktiyan) :-
राष्ट्रपति को निम्नलिखित आपातकालीन शक्तियां प्रदान की गई है-
(1) राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करने की (अनुच्छेद 352)
(2) राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता पर वहां राष्ट्रपति शासन घोषित करने की (अनुच्छेद 356)
(3) वित्तीय आपातकाल घोषित करने की (अनुच्छेद 360)
प्रश्न :- राष्ट्रपति को शपथ कौन दिलाता है?
उत्तर :- राष्ट्रपति अपने पद धारण करने से पूर्व एक निर्धारित प्रपत्र पर भारत के मुख्य न्यायाधीश अथवा उनकी अनुपस्थिति में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश के समक्ष शपथ लेनी पड़ती है!
प्रश्न :- भारत के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे
उत्तर :- भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद थे! जो 26.01.1950 से 13.05.1962 तक भारत के राष्ट्रपति रहे थे!
प्रश्न :- भारत के वर्तमान राष्ट्रपति का नाम क्या है?
उत्तर :- भारत के वर्तमान राष्ट्रपति का नाम श्री रामनाथ कोविंद है!
प्रश्न :- भारत के राष्ट्रपति का वेतन कितना है?
उत्तर :- भारत के राष्ट्रपति का वर्तमान में वेतन ₹5.00.000/- प्रतिमाह है।
प्रश्न :- भारत की प्रथम राष्ट्रपति महिला कौन थी?
उत्तर :- भारत के प्रथम राष्ट्रपति महिला श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल थी