प्लेट विवर्तनिकी क्या हैं (Plate Vivartaniki siddhant)-
प्लेट विवर्तनिकी (Plate Vivartaniki) एक वैज्ञानिक सिद्धांत है जो पृथ्वी के स्थलमंडल में बड़े पैमाने पर होने वाली गतियों की व्याखया प्रस्तुत करता है! साथ ही महाद्वीपों, महासागरों और पर्वतों के रूप में धरातलीय उच्चावच के निर्माण तथा भूकंप और ज्वालामुखी जैसी घटनाओं के भौगोलिक वितरण की व्याख्या प्रस्तुत करने का प्रयास करता है!
प्लेट विवर्तनिकी का इतिहास (History of Plate Vivartaniki in hindi) –
प्लेट विवर्तनिकी में विवर्तनिकी शब्द यूनानी भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ निर्माण से संबंधित है! प्लेट शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग कनाडा के भूवैज्ञानिक विल्सन ने किया था और प्लेट टेक्टोनिक्स शब्द का पहली बार प्रयोग मोर्गन द्वारा किया गया था!
यह सिद्धांत बीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक में अभिकल्पित महादीपीय विस्थापन नामक संकल्पना से विकसित हुआ जब 1960 के दशक में ऐसे नवीन साक्ष्यों की खोज हुई जिनसे महाद्वीपों के स्थिर होने के बजाय गतिशील होने की अवधारणा को बल मिला! इन साक्ष्यों में सबसे महत्वपूर्ण है!
पूराचुंबकत्व से संबंधित साक्ष्य जिन्हें सागर नितल प्रसरण की पुष्टि हुई! हैरी हेंस द्वारा सागर नितल प्रसरण की खोज को इस सिद्धांत के प्रतिपादन का प्रारंभ माना जाता है और विल्सन, मोर्गन, मैकेंजी, ओलिवर, पार्कर इत्यादि विद्वानों ने इसके पक्ष में प्रमाण उपलब्ध कराते हुए इसके संवर्धन में योगदान दिया!
प्लेट विवर्तनिकी सिद्वांत क्या हैं (Plate Vivartaniki siddhant kya hai)-
इस सिद्धांतों के अनुसार पृथ्वी की ऊपरी लगभग 80 से 100 किमी. मोटी परत, जिसे स्थलमंडल कहा जाता है और जिसमें भूपर्पटी और प्रवार के ऊपरी हिस्से सम्मिलित है कई टुकड़ों में टूटी हुई है जिन्हें प्लेट कहा जाता है! यह प्लेट नीचे स्थित एस्थेनोस्फीयर की अर्धपिघलित परत पर तैर रही है और सामान्यतः लगभग 10 से 40 मिमी/वर्ष की गति से गतिशील है हालांकि इनमें कुछ की गति 160 मिमी/वर्ष भी है!
इन्ही प्लेटो के गतिशील होने से पृथ्वी के वर्तमान धरातलीय स्वरूप की उत्पत्ति और पर्वत निर्माण की व्याख्या प्रस्तुत की जाती है और यह भी देखा जाता है कि प्रायः भूकंप इन प्लेटों की सीमाओं पर ही आते हैं और ज्वालामुखी भी इन्हीं प्लेट सीमाओं के सहारे पाए जाते हैं!
इन स्थलमंडलीय प्लेटो के इस संचलन को महाद्वीपों और महासागरों के वर्तमान वितरण के लिए उत्तरदाई माना जाता है! जहां दो प्लेट विपरीत दिशाओं में अपसरित होती है! उन किनारो को रचनात्मक प्लेट किनारा या अपसारी सीमांत कहते हैं! जब दो प्लेटें आमने-सामने अभिसरित होती है तो इन्हें विनाशशील प्लेट किनारे अथवा अभिसारी सीमांत कहते हैं!
कुछ प्रमुख प्लेटें –
भारतीय प्लेट, अरब प्लेट, कैरेबियन प्लेट, दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट पर स्थित नाज्का प्लेट और दक्षिणी अटलांटिक महासागर की स्कॉटिया प्लेट आदि प्रमुख प्लेट हैं! लगभग 5 से 5.5 करोड वर्ष पूर्व भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई प्लेट एक ही थी!
प्लेट के संचालन का कारण –
विवर्तनिक प्लेटें स्वतंत्र रूप से दुर्बलता मंडल पर उत्प्लावित है तथा एक दृढ इकाई के रूप में क्षैतिज अवस्था में गतिमान है! पृथ्वी के अधिकांश भूकंप एवं ज्वालामुखी क्रियाएँ इन प्लेटो की सीमाओं पर घटित होती है!
भूगर्भ में गहराई के साथ तापमान बढ़ता जाता है, जिससे भू-पटल के नीचे वाली मेंटल परत में सभी पदार्थ की पिघली हुई अवस्था में पाए जाते हैं, जिन्हें हम मैग्मा कहते हैं! अत्याधिक गर्मी के कारण यह पिघला हुआ मैग्मा संवहन धाराओं के रूप में ऊपर उठता है!
भू पटल के नीचे संवहन धारा की संकल्पना हार्पर किन्स ने सन 1839 में प्रस्तुत की! बाद में आर्थर होम्स ने सन 1928 में रेडियोधर्मिता द्वारा पृथ्वी के भीतर संवहन धारा के चलने की बात बतायी! इसके पश्चात रैने ने तापीय संवहन धारा की प्रक्रिया को सैद्धांतिक रूप से प्रस्तुत किया तथा गास में उसका सत्यापन किया! अधिकांश वैज्ञानिक भूपटल के नीचे तापीय संवहन धारा को ही भू प्लेट में गति होने का मुख्य कारण मानते हैं!
प्लेट प्रवाह दर –
सामान्य व उत्क्रमण चुंबकीय क्षेत्र की पट्टियां जो मध्य-महासागर कटक के समांतर है, प्लेट प्रवाह की दर समझने में वैज्ञानिक के लिए सहायक सिद्ध हुई हैं! प्रवाह की ये दरें बहुत भिन्न है! आर्कटिक कटक का प्रवाह दर सबसे कम है! ईस्टर द्वीप के निकट पूर्वी प्रशांत महासागरीय उभार, जो चिली से 3,400 किमी. पश्चिम की ओर दक्षिण प्रशांत महासागर में है, इसके प्रवाह की दर सर्वाधिक है! (5 सेमी प्रति वर्ष से भी कम)
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत की आलोचना (plate vivartaniki siddhant ki aalochana)-
(1) प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत में हिमालय, रॉकी तथा एंडीज जैसे पर्वतों के निर्माण की प्रक्रिया तो स्पष्ट हो जाती है परंतु ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तटीय पर्वत, ब्राजील का सियरा डेलमार तथा दक्षिण अफ्रीका का ड्रेकेन्सबर्ग पर्वतों के निर्माण के विषय में यह सिद्धांत कोई प्रकाश नहीं डाल पाता!
(2) प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत इस बात की व्याख्या नहीं कर पाता कि सभी महासागरों में समुद्र तल का प्रसार हो रहा है परंतु प्रत्यावर्तन क्षेत्र केवल प्रशांत महासागर तक सीमित है, अन्य महासागरों में नहीं
(3) अफ्रीका की धंसान घाटी के संदर्भ में यह कहा जाता है कि प्लेट एक दूसरे से विलग हो रहे हैं पर क्यों? प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत इसका कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाता
(4) प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत में मध्य-कटक क्षेत्र में ज्वालामुखी प्रक्रिया की व्याख्या तो मिलती है परंतु प्लेट के मध्य भाग में ज्वालामुखी की उत्पत्ति की संतोषजनक व्याख्या नहीं होती हैं!
उपयुक्त आलोचनाओं के पश्चात भी प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत भू-भौतिकी में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखता है तथा बहुत सारी समस्याओं का एक साथ समाधान प्रस्तुत करता है! पृथ्वी की आंतरिक संरचना के बारे में हमारा ज्ञान अधूरा है! ज्ञान में वृद्धि होने पर हो सकता है कि उन आपत्तियों का समाधान किया जा सके जो अभी तक स्पष्ट नहीं है!
प्रश्न :- प्लेट विवर्तनिकी का सिद्धांत किसने दिया?
उत्तर :- हैरी हेंस द्वारा सागर नितल प्रसरण की खोज को इस सिद्धांत के प्रतिपादन का प्रारंभ माना जाता है और विल्सन, मोर्गन, मैकेंजी, ओलिवर, पार्कर इत्यादि विद्वानों ने इसके पक्ष में प्रमाण उपलब्ध कराते हुए इसके संवर्धन में योगदान दिया!
प्रश्न :- प्लेट शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया था
उत्तर :- प्लेट शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग कनाडा के भूवैज्ञानिक विल्सन ने किया था और प्लेट टेक्टोनिक्स शब्द का पहली बार प्रयोग मोर्गन द्वारा किया गया था!
प्रश्न :- प्लेट किसे कहते हैं
उत्तर :- इस सिद्धांतों के अनुसार पृथ्वी की ऊपरी लगभग 80 से 100 किमी. मोटी परत, जिसे स्थलमंडल कहा जाता है और जिसमें भूपर्पटी और प्रवार के ऊपरी हिस्से सम्मिलित है कई टुकड़ों में टूटी हुई है जिन्हें प्लेट कहा जाता है!
प्रश्न :- प्लेट विवर्तनिकी किसे कहते हैं
उत्तर :- प्लेट विवर्तनिकी एक वैज्ञानिक सिद्धांत है जो पृथ्वी के स्थलमंडल में बड़े पैमाने पर होने वाली गतियों की व्याखया प्रस्तुत करता है! साथ ही महाद्वीपों, महासागरों और पर्वतों के रूप में धरातलीय उच्चावच के निर्माण तथा भूकंप और ज्वालामुखी जैसी घटनाओं के भौगोलिक वितरण की व्याख्या प्रस्तुत करने का प्रयास करता है!
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