वेगनर का महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत क्या है? इसके पक्ष में तर्क एवं आलोचना

वेगनर का महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत क्या है (vegnar ka mahadvipiya visthapan siddhant kya hai ias) –

जर्मन वैज्ञानिक अल्फ्रेड वेगनर ने महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत सन 1912 ई. में प्रस्तुत किया, जो महासागर एवं महाद्वीपों के वितरण से संबंधित था! उन्होंने पाया कि वर्तमान में महाद्वीपों को मिलाकर इनमें भौगोलिक एकरूपता की स्थापना की जा सकती है! 

महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत की मूलभूत मान्यता थी कि सभी महाद्वीप कार्बोनिफेरस युग में एक भूखंड के रूप में आपस में जुड़े हुए थे तथा यह भूखंड एक बड़े महासागर से घिरा हुआ था! उन्होंने इस बड़े महाद्वीप को पेंजिया नाम दिया, जिसका तात्पर्य है – संपूर्ण पृथ्वी, जबकि विशाल महासागर का पैथालासा कहा, जिसका अर्थ है – जल ही जल! 

वेगनर के तर्क के अनुसार ट्रियासिक युग में इस बड़े महाद्वीप पैंजिया का विभाजन का आरंभ हुआ और इसका एक भाग उत्तर की ओर, जबकि दूसरा भाग दक्षिण की ओर प्रवाहित हुआ! पैंजिया के दो बड़े भाग उत्तरी एवं दक्षिणी महाद्वीपीय पिंडों को क्रमशः अंगारालैण्ड एवं गोंडवाना लैण्ड कहा गया! इन दोनों भागों के एक-दूसरे से विपरीत दिशा में खिसकने के कारण बीच में एक महासागर खुला, जिसे टेथिस सागर कहते थे!  

महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के पक्ष में प्रमाण (mahadvipiy visthapan siddhant ke paksh me praman) – 

(1) महाद्वीपों में साम्यता – 

अटलांटिक महासागर के दोनों तटों पर भौगोलिक एकरूपता पाई जाती है, अर्थात दक्षिण अमेरिका एवं अफ्रीका की आमने-सामने की तट रेखाएं त्रुटिरहित एकरूपता दिखाती है! दोनों तट एक-दूसरे से मिलाए जा सकते है! इस प्रकार सामय्ता को वेगनर ने साम्य स्थापना कहा है! इसी प्रकार उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट को यूरोप के पश्चिमी तट से तथा दक्षिण अमेरिका के पूर्वी तट को आफ्रिका के पश्चिमी तट से मिलाया जा सकता है! 

(2) महासागरों के पार चट्टानों की आयु में समानता – 

आधुनिक समय में महाद्वीपों की चट्टानों के निर्माण के समय को रेडियोमेट्रिक काल निर्धारण प्रणाली से आसानी से जाना जा सकता है! 200 करोड़ वर्ष प्राचीन शैल समूह की पट्टी ब्राजील तट और अफ्रीका तट पर मिलती है, जो आपस में मेल खाती है! इससे यह सिद्ध होता है कि कभी यह आपस में एक दूसरे से जुड़े हुए थे! 

(3) जीवाश्मों का वितरण – 

विभिन्न महाद्वीपों में पाए जाने वाले जीवाश्म का वितरण वेगनर के सिद्वांत को कहीं न कहीं पुष्ट करता है, जैसे – छोटे जंतुओं लेमिंग मछली के जीवाश्म का कनाडा में पाया जाना या मेसोसारस नाम के छोटे रेंगने वाले जीवो का दक्षिण अफ्रीका तथा ब्राजील के दक्षिणी क्षेत्रों में पाया जाना आदि!  

(4) हिमानी निक्षेपण – 

कार्बोनिफरस यूग के हिमानीकरण के प्रभाव ब्राजील, फाकलैंड, दक्षिण अफ्रीका, प्रायद्वीपीय भारत तथा ऑस्ट्रेलिया में पाया जाना तभी संभव हो सकता है, जब सभी स्थल भाग कभी एक साथ रहे हो तथा दक्षिण ध्रुव डरबन के पास रहा हो! 

प्रवाह संबंधी बल –

वेगनर के अनुसार जब पैंजिया में विभाजन हुआ तो उसमें दो दिशा में प्रवाह हुआ – उत्तर की ओर या भूमध्य रेखा की ओर तथा पश्चिम की ओर! ये प्रवाह दो प्रकार के बलों द्वारा संभव हुआ! 

(1) भूमध्य रेखा की ओर का प्रवाह गुरूत्व बल या प्लवनशीलता के बल के कारण हुआ! महाद्वीप सियाल का बना हैं तथा सीमा से कम घनत्व वाला हैं, अतः सियाल सीमा पर बिना रूकावट के तैर रहा हैं!

(2) महाद्वीपों का पश्चिमी दिशा की ओर प्रवाह सूर्य तथा चंद्रमा के ज्वारीय बल के कारण हुआ माना गया हैं! पृथ्वी पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर घूमती है! ज्वारीय रगड़ पृथ्वी के भ्रमण पर रोक का काम करती है! इस कारण महाद्वीपीय भाघ पीछे छूट जाते हैं तथा स्थलभाग पश्चिम की ओर प्रवाहित होने लगते हैं! 

वेगनर के महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत का महत्व और योगदान –

(1) भूगर्भीय प्रक्रियाओं की समझ –

इस सिद्धांत ने भूगर्भीय प्रक्रियाओं के अध्ययन की दिशा को बदल दिया और प्लेट टेक्टोनिक्स के सिद्धांत की नींव रखी।

(2) जलवायु और जीवाश्म विज्ञान –

वेगनर के प्रमाणों ने जीवाश्म विज्ञान और जलवायु विज्ञान में नए दृष्टिकोण प्रस्तुत किए, जो बाद में महत्वपूर्ण शोधों का आधार बने।

(3) पृथ्वी के विकास का अध्ययन:

इस सिद्धांत ने पृथ्वी की भूगर्भीय विकास प्रक्रिया को समझने में सहायता की, जिससे आधुनिक भूगर्भीय और भूवैज्ञानिक अनुसंधान को नई दिशा मिली।

वेगनर के महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत की आलोचना (mahadweep visthapan siddhant ki aalochana) – 

वेगनर का प्रारंभिक उद्देश्य अतीत काल में जलवायु संबंधी परिवर्तन संबंधी परिवर्तनों का समाधान करना ही था, परंतु जो समस्याएं आगे आती गयी! सिद्वांत बढ़ता गया! फल यह हुआ कि  मेघना अधिक ब्लॉक में पड़ गए तथा बीच में कई गलतियां कर बैठे हैं यहां तक कि कहीं परस्पर विरोधी बातें भी कहा गए वेगनर के सिद्धांत की निम्न आधार पर आलोचना की जाती हैं –

(1) महाद्वीपों के विस्थापन के लिए कितने बलों की आवश्यकता होती है इसकी व्याख्या वेगनर नहीं कर पाए! उनके अनुसार उत्तर की ओर विस्थापन गुरुत्वाकर्षण बल के द्वारा होता है तो पश्चिम की ओर विस्थापन ज्वारीय बल के द्वारा होता है! यह दोनों बल महाद्वीपों के विस्थापन के लिए पर्याप्त नहीं है! 

(2) अटलांटिक महासागर के दोनों तटों की भूगर्भीय विशेषताएं हर जगह मेल नहीं खाती है! 

(3) कार्बोनिफरस युग के पहले पैंजिया किस बल द्वारा स्थिर था! इसका तर्कसंगत उत्तर वेगनर नहीं दे पाते हैं! 

(4) वेगनर ने कई परस्पर विरोधी बातें बताई है! प्रारंभ में बताया कि सियाल सीमा पर बिना रुकावट के तैयार रहा था! बाद में बताया कि सीमा से सियाल पर रुकावट आयी! यदि इसे मान भी लें तो यदि सियाल से सीमा कठोर है तो सियाल उस पर तैर कैसे सकता है! 

प्रश्न :- पैंथालासा क्या है (panthalassa kya hai)?

उत्तर :- महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के अनुसार सभी महाद्वीप कार्बोनिफेरस युग में एक भूखंड के रूप में आपस में जुड़े हुए थे तथा यह भूखंड एक बड़े महासागर से घिरा हुआ था! उन्होंने इस बड़े महाद्वीप को पेंजिया नाम दिया, जिसका तात्पर्य है – संपूर्ण पृथ्वी, जबकि विशाल महासागर का पैथालासा कहा, जिसका अर्थ है – जल ही जल! 

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