पृथ्वी की आंतरिक संरचना (prithvi ki aantrik sanrachna) –
पृथ्वी की आंतरिक संरचना परतदार है! वायुमंडल के बाहरी छोर से पृथ्वी के क्रोड तक जो पदार्थ है वे समान नहीं है! वायुमंडलीय पदार्थ का घनत्व सबसे कम है! पृथ्वी की सतह से इसके भीतर भाग तक अनेक मंडल है और हर एक भाग के पदार्थ के अलग विशेषताएं हैं! पृथ्वी का आंतरिक भाग तीन तरह की परतों से मिलकर बना है, जिन्हें भूपर्पटी, मेंटल और क्रोड कहते हैं!
पृथ्वी की आंतरिक संरचना के विषय में हमारी अधिकतर जानकारी अप्रत्यक्ष स्त्रोतों से प्राप्त अनुमानों पर आधारित है! कुछ प्रत्यक्ष स्त्रोतों भी आंतरिक संरचना पर प्रकाश डालते हैं!
प्रत्यक्ष स्त्रोत –
अप्रत्यक्ष स्त्रोत –
भूपर्पटी किसे कहते हैं (Crust in hindi) –
यह ठोस पृथ्वी का सबसे बाहरी भाग है! यहां बहुत भंगुर भाग है जिसमें जल्दी टूट जाने की प्रवृत्ति पाई जाती है भूपर्पटी की मोटाई महाद्वीप और महासागरों के नीचे अलग-अलग है यह महाद्वीपों पर 30 किलोमीटर तथा महासागरीय क्षेत्र में 5 किलोमीटर मोटी है! इसका निर्माण भारी चट्टानों से हुआ है! इसका घनत्व 3 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर है!
महासागरों के नीचे ऊपर पट्टी विशाल चट्टानों से निर्मित है जिसका घनत्व 2.7 ग्राम प्रति सेंटीमीटर है! इसके दो भाग हैं सियाल और सीमा!
भूकंप की लहरों की गति में अंतर के आधार पर क्रस्ट को दो भागों में ऊपरी क्रस्ट और निचले क्रस्ट में विभक्त किया गया है दोनों के मध्य अंतर का कारण घनत्व है ऊपरी क्रस्ट और निचले क्रस्ट के बीच यह घनत्व संबंधी असंबद्धता कोनराड असंबद्धता कहलााती है!
मेंटल किसे कहते हैं (Mantle in hindi) –
भूगर्भ में भूपर्पटी के नीचे का भाग मेंटल कहलाता है ! यह मोहो और असंबद्धता से आरंभ होकर 292 किमी की गहराई तक पाई जाती है ! क्रस्ट और मेंटल के मध्य पाई जाने वाली असंबद्धता मोहो असंबद्धता कहलाती है ! मेंटल का ऊपरी भाग दुर्बलता मंडल कहलाता है इसका विस्तार 400 किलोमीटर तक पाया जाता है !
ज्वालामुखी उद्गार के समय जो लावा धरातल पर पहुंचता है उसका मुख्य स्त्रोत यही है इसका घनत्व 3.4 ग्राम प्रति घंटे में हे! भूपर्पटी एवं मेंटल का ऊपरी भाग मिलकर स्थलमंडल कहलाता है इसकी मोटाई 10 से 200 किमी के बीच पाई जाती है ! मेंटल पृथ्वी के आयतन का 83% भाग घेरे हुए हैं! मेंटल दो प्रकार का होता है – ऊपरी मेंटल तथा निचला मेंटल!
क्रोड किसे कहते हैं (Core in hindi) –
पृथ्वी के क्रोड का विस्तार 2900 से 6378 किमी तक अर्थात पृथ्वी के केंद्र तक है ! बाहय क्रोड (2900 से 5100) तरल अवस्था में है जबकि आंतरिक रोड (5100 से 6378) किमी ठोस अवस्था में है !
क्रोड का औसत घनत्व लगभग 13 ग्राम प्रति घन सेमी है! इससे पता चलता है कि पृथ्वी क्रोड भारी पदार्थों मुख्यतः निकिल(Ni) और लोहे (Fe) का बना है इसे निफे परत भी कहा जाता है! क्रोड का आयतन पृथ्वी के आयतन का 16% भाग है (prithvi aantrik sanrachna)
पृथ्वी की आंतरिक संरचना का रासायनिक संगठन –
(1) सियाल (siyal) –
परतदार शैलों के नीचे सियाल की एक सीमा पाई जाती है, जिसकी रचना ग्रेनाइट चट्टानों से हुई है! इस परत की रचना सिलिका एवं एलुमिनियम से हुई है इस कारण इस परत को सियाल पर दिखाते हैं!
(2) सीमा (seema) –
(3) निफे (nife) –
सीमा की परत के नीचे पृथ्वी की तीसरी तथा अंतिम परत पाई जाती है! जिसे निफे कहा जाता हैं, क्योंकि इसकी रचना निकेल और फेरस हुई है! इस प्रकार यह परत कठोर चट्टानों से मिलकर बनी है, जिसके कारण इसका घनत्व बहुत अधिक होता है!
पृथ्वी की उत्पत्ति से संबंधित सिद्धांत –
प्रश्न :- पृथ्वी की दूसरी परत का विस्तार है?
उत्तर :- मेटल पृथ्वी की दूसरी परत है, जिसका विस्तार 2900 किमी. हैं! मेंटल पृथ्वी के आयतन का 83% भाग घेरे हुए हैं! मेंटल दो प्रकार का होता है – ऊपरी मेंटल तथा निचला मेंटल!
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