मार्ले मिंटो सुधार 1909 (marley minto sudhar adhiniyam 1909 In Hindi) –
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भारत परिषद अधिनियम (मार्ले मिंटो सुधार 1909) के समय लॉर्ड मार्ले इंग्लैंड में भारत के सचिव थे और लॉर्ड मिंटो भारत में वायसराय थे इसलिए इससे मार्ले मिंटो सुधार (Marle Minto Sudhar 1909) भी कहा जाता है इस सुधार के अंतर्गत निम्न प्रावधान किए गए
मार्ले मिंटो सुधार 1909 या भारतीय परिषद अधिनियम 1909 की विशेषताएं –
(1) अधिनियम के द्वारा केंद्रीय और प्रांतीय विधान परिषदों के आकार में काफी वृद्धि की गई केंद्रीय परिषद में इनकी कुल संख्या 16 से 60 हो गई!
(2) इस अधिनियम के द्वारा प्रथम बार मुस्लिम समुदाय के लिए प्रथक प्रतिनिधित्व का उपबंध किया गया जिसके अंतर्गत मौसम सदस्यों का चुनाव मुस्लिम मतदाता ही कर सकते थे लॉर्ड मिंटो को सांप्रदायिक निर्वाचन का जनक कहा जाता है
(3) भारतीयों को भारत सचिव एवं गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी परिषदों में नियुक्ति दी गई !
(4) इस अधिनियम के द्वारा पहली बार केंद्रीय और प्रांतीय विधान परिषदों को बजट पर वाद-विवाद करने, सार्वजनिक हित के विषयों पर प्रस्ताव पेश करने, पूरक प्रश्न पूछने और मत देने का अधिकार दिया गया!
(5) इस अधिनियम के तहत प्रेसिडेंसी कारपोरेशन, चेंबर ऑफ कॉमर्स, विश्वविद्यालय और जमींदारों के लिए अलग प्रतिनिधित्व का प्रावधान किया गया!
(6) इसने कैंद्रीय परिषद में सरकारी बहुमत को बनाए रखा लेकिन प्रांतीय परिषदों में यह सरकारी सदस्यों को गम्मत की अनुमति थी!
(7) इस अधिनियम के द्वारा पहली बार किसी भारतीय को वायसराय और गवर्नर की कार्यपरिषद के साथ एसोसिएशन बनाने का प्रावधान किया गया
(8) सत्येंद्र प्रसाद सिंहा वायसराय की कार्यपालिका परिषद के प्रथम भारतीय सदस्य बने, उन्हें विधि सदस्य बनाया गया था!
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