वायुमंडल किसे कहते हैं (vayumandal kise kahate hain)-
हमारी पृथ्वी चारों ओर से एक गैस की एक परत से गिरी है, जिसे वायुमंडल (एटमॉस्फेयर) कहा जाता है! वायुमंडल एक बहुस्तरीय गंधहीन, रंगहीन, पारदर्शी गैसीय आवरण है, जो पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए हैं! यह सौर विकिरण की लघु तरंगों के लिए पारदर्शी है, जबकि पार्थिव विकिरण की लंबी तरंगों के लिए अपारदर्शी है! इस प्रकार वायुमंडल पृथ्वी पर औसत तापमान बनाए रखता है जो पृथ्वी पर जीवन का आधार है!
वायुमंडल का विस्तार 10,000 किमी.की ऊंचाई तक मिलता है, जो वायुमंडल की अलग-अलग घनत्व तथा तापमान वाली विभिन्न परतों में विभक्त होता है! तापमान की स्थिति तथा अन्य विशेषताओं के आधार पर इसे पॉच विभिन्न स्तर में बांटा जाता है!
वायुमंडल का संघटन (vayumandal ka sangathan) –
वायुमंडल अनेक गैसों का यांत्रिक सम्मिश्रण है, जो गैसों, जलवाष्प एवं धूल के कणों से मिलकर बना है! इसमें नाइट्रोजन सर्वाधिक मात्रा में पाई जाती है! जबकि उसके बाद क्रमश: ऑक्सीजन, आर्गन, कार्बन डाई ऑक्साइड, नियॉन तथा हाइड्रोजन आदि गैसों का स्थान आता है! इसके अतिरिक्त एटमॉस्फेयर में जलवाष्प, धूल के कण एवं अन्य अशुद्धियाँ मौजूद है!
(1) नाइट्रोजन (78.03%) –
यहां वायुमंडलीय में गैसों में सबसे प्रमुख गैस है! स्वतंत्र वायुमंडल में नाइट्रोजन का प्रयोग लेग्यूमिनस पौधे तथा शैवाल आदि प्रजातियां मृदा में नाइट्रोजन के स्तरीकरण के रूप में करते हैं!
(2) ऑक्सीजन (20.99%) –
ऑक्सीजन वायुमंडल में 120 किमी की ऊंचाई तक पाई जाती है तथा इसके बाद इसकी मात्रा नगण्य हो जाती है! यह जंतुओं तथा मनुष्य के लिए प्राणदायिनी गैस हैं!
(3) ऑर्गन (0.93%) –
वायु मंडल में उपस्थित अक्रिय गैसों में आर्गन सर्वाधिक मात्रा में पाई जाती है इसके अतिरिक्त नियॉन, हिलियम, क्रिप्टाॅन, जेनॉन आदि अक्रिय गैसे भी वायुमंडल में पाई जाती हैं!
(4) कार्बन डाइऑक्साइड (0.03%) –
यह एक भारी गैस है! जो सौर विकिरण के लिए पारगम्य तथा पार्थिव विकिरण के लिए अपारगम्य हैं! एटमॉस्फेयर में इसकी बढ़ती मात्रा ग्रीन हाउस प्रभाव को पैदा करती है! एटमॉस्फेयर में कार्बन डाइऑक्साइड 90 किमी की ऊंचाई तक पाई जाती है! एटमॉस्फेयर के तापमान बढ़ने के कारण क्यूटो प्रोटोकॉल में इसकी मात्रा को कम किए जाने पर वैश्विक सहमति बनी है!
(5) ओजोन –
मौसम के दृष्टिकोण से ओजोन वायुमंडल का एक महत्वपूर्ण घटक है! यद्यपि वायुमंडल में इसकी मात्रा बहुत कम है, परंतु यह सूर्य से निकलने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर जीवो को चर्म कैंसर से बचाती है!
यह समताप मंडल के निचले भाग में पाई जाती है, जिसकी सामान्यता ऊंचाई 15 से 35 किमी है! सुपरसोनिक जेट विमानों से निकली हुई नाइट्रोजन ऑक्साइड तथा एयर कंडीशनर, रेरेफ्रिजरेट आदि से निकलने वाली क्लोरोफ्लोरो कार्बन इस परत को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं
(6) जलवाष्प –
वायु-मंडल में इसकी मात्रा तापमान पर निर्भर करती है, फिर भी यह वायुमंडल में सिर्फ 4% तक पाई जाती है! गर्म तथा उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में जहां जलवाष्प की मात्रा 4% तक होती है तो वहीं ठंड एवं ध्रुवीय क्षेत्रों तथा रेगिस्तानों में इसकी मात्रा 1% से कम भी होती है! विषुवत रेखा से ध्रुवों पर जलवाष्प की मात्रा में कमी आती है! जलवाष्प भी कार्बन डाइऑक्साइड की तरह ग्रीन हाउस प्रभाव को उत्पन्न करती है!
(7) धूलकण –
वायुमंडल में छोटे-छोटे धूल कण पाए जाते हैं, जिसमें समुद्री नमक, राख, मिट्टी तथा उल्काओं के कण शामिल होते हैं! यह मुख्यतः वायुमंडल के निचले स्तर में पाए जाते हैं! ध्रुवीय और विषुवतीय क्षेत्रों की अपेक्षा उपोष्ण तथा शीतोष्ण क्षेत्रों में धूल के कण अधिक मात्रा में मिलते हैं! ये धूल कण संघनन का केंद्र होते हैं! इसके अतिरिक्त ये सूर्यातप को रोकने तथा परावर्तित करने का कार्य भी करते हैं!
वायुमंडल की संरचना का चित्र (vayumandal ki sanrachna ka chitra) –

वायुमंडल की संरचना (vayumandal ki sanrachna) –
(1) क्षोभमंडल किसे कहते है (kshobh mandal kise kahte hai) –
क्षोभमंडल वायु मंडल की सबसे निचली परत है! जिसकी ऊंचाई ध्रुवों पर 8 किमी.तथा विषुवत रेखा पर लगभग 18 किमी.तक होती है! समस्त मौसम संबंधित परिवर्तन जैसे – बादल, आंधी एवं वर्षा आदि इसी मंडल में होते हैं! क्षोभमंडल में तापमान की गिरावट की दर प्रति 165 मीटर की ऊंचाई पर 1°C अथवा 1 किमी की ऊंचाई पर 6.4°C होती है! इसे सामान्य हास दर कहा जाता है!
क्षोभमंडल को संवहन मंडल कहते हैं, क्योंकि संवहन धारा इसी मंडल की सीमा तक सीमित होती है! इस मंडल को अधोमंडल भी कहते हैं! क्षोभमंडल की ऊपरी सीमा पर अत्यधिक तीव्र गति से चलने वाली पवनों को जेटस्ट्रीम कहा जाता है!
(2) समताप मंडल किसे कहते हैं (samtap mandal kise kahate hain ) –
इस मंडल में तापमान समान रहता है, इसलिए इसे समताप मंडल कहते हैं! समताप मंडल की ऊंचाई 18 से 32 किमी. तक है! समताप मंडल की मोटाई ध्रुवों पर सबसे अधिक होती है, कभी-कभी विषुवत रेखा पर का लोप हो जाता है! समताप मंडल की ऊपरी सीमा को स्ट्रेटोपाज कहते हैं!
समताप मंडल में मौसमी घटनाएं जैसे- आंधी, बादलों की गरज, बिजली कड़कना, धूल-कण एवं जलवाष्प आदि कुछ नहीं होती हैं! इस मंडल में वायुयान उड़ाने की आदर्श दशाएँ पाई जाती है! कभी-कभी समताप मंडल में विशेष प्रकार के मेघों का निर्माण होता है, जिसे मूलाभ मेघ कहते हैं!
समताप मंडल की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता ओजोन परत की उपस्थिति है, जिसका विस्तार 32 से 60 किमी की ऊंचाई तक पाया जाता है!
(3) मध्य मंडल किसे कहते हैं (Mesosphere in hindi) –
60 से 80 किमी ऊंचाई वाला वायुमंडलीय भाग मध्यमंडल कहलाता है! इसमें तापमान में अचानक गिरावट आती है, जो एटमॉस्फेयर का न्यूनतम तापमान होता है! इस न्यूनतम तापमान की सीमा को मिजोपास (Mesopause) कहते हैं! इसके ऊपर जाने पर तापमान में वृद्धि होती है!
(4) आयनमंडल किसे कहते हैं (Ionosphere in hindi) –
आयनमंडल की ऊंचाई 80 से 640 किमी. के मध्य है! आयनमंडल में विस्मयकारी विद्युतीय एवं चुंबकीय घटनाएं होती रहती है, क्योंकि इस मंडल में विद्युत आवेशित कणों की अधिकता होती है! वायु-मंडल की इस परत से विभिन्न आवृत्तियों की रेडियो तरंगे परावर्तित होती हैं! यह भाग कम वायुदाब तथा पराबैंगनी किरणों द्वारा आयनीकृत होता रहता है!
(5) बाह्यमंडल किसे कहते हैं (Exosphere in hindi) –
640 किमी. से ऊपर के भाग को बाह्यमंडल कहा जाता है! इसकी कोई ऊपरी सीमा निर्धारित नहीं है! बाह्य मंडल में हाइड्रोजन एवं हीलियम गैस की प्रधानता होती है! अज्ञात शोधों के अनुसार यहां नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हीलियम एवं हाइड्रोजन की अलग-अलग परतें विद्ममान रहती हैं! इस मंडल में 1,000 किमी. की ऊंचाई के बाद एटमॉस्फेयर अत्यंत विरल हो जाता है और अंततः 10,000 किमी की ऊंचाई के बाद क्रमशः अंतरिक्ष में विलीन हो जाता है!
वायुमंडल का महत्व (Vayumandal ka mahatva) –
वायु-मंडल एक बहुस्तरीय गैसीय आवरण है जो पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए है तथा प्राकृतिक पर्यावरण एवं जीवमण्डलीय पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण संघटक है क्योंकि एटमॉस्फेयर के सभी जीवधारियों के अस्तित्व के लिए इससे सभी आवश्यक गैसे, उष्मा तथा जल प्राप्त होता है! वायु-मंडल पृथ्वी से उसके गुरुत्वाकर्षण द्वारा संबंद्ध है!
प्रश्न :- बाह्य मंडल किसे कहते हैं
उत्तर :- 640 किमी. से ऊपर के भाग को बाह्यमंडल कहा जाता है! इसकी कोई ऊपरी सीमा निर्धारित नहीं है! बाह्य मंडल में हाइड्रोजन एवं हीलियम गैस की प्रधानता होती है! अज्ञात शोधों के अनुसार यहां नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हीलियम एवं हाइड्रोजन की अलग-अलग परतें विद्ममान रहती हैं!
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