भारत में वनों के प्रकार का मैप (types of forest in india map)

वनों के प्रकार (Types of forest in hindi) –
भारत में वनों (Forest) को अनेक प्रकार से वर्गीकृत किया गया है जिसमें से कुछ प्रमुख वर्गीकरण इस प्रकार है –
वनों का वनस्पति के आधार पर वर्गीकरण (Classification of forests on the basis of vegetation in hindi) –
भारत में वनस्पति के आधार पर मुख्यतः 11 प्रकार के वन पाए जाते हैं
(1) उष्णकटिबंधीय सदाबहारी वन!
(2) उष्णकटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन!
(3) उष्णकटिबंधीय कटीले वन!
(4) उपोष्ण पर्वतीय वन!
(5) शुष्क पतझड़ वन!
(6) हिमालय के आर्द्र वन!
(7) हिमालय के शुष्क शीतोष्ण वन!
(8) पर्वतीय आर्द्र शीतोष्ण वन!
(9) अल्पाइन तथा अर्द्ध-अल्पाइन वन!
(10) मरूस्थल वनस्पति!
(11) ज्वारीय वन (कच्छ वनस्पति)
(1) उष्णकटिबंधीय सदाबहारी वन (tropical evergreen forest in hindi) –
यह वन 200 सेंटीमीटर या उससे अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं! ऐसे क्षेत्रों में वर्षभर आर्द्रता 70% से अधिक तथा तापमान 24° से 30° के मध्य रहता है! इन वनों में पाए जाने वाले वृक्ष की ऊँचाई 20 से 60 मीटर तक होती हैं तथा इनकी लकड़ी कठोर होती है! यह वन उड़ीसा, उत्तर पूर्वी भारत, भारतीय पश्चिमी घाट, तथा अंडमान निकोबार द्वीप समूह में पाए जाते है!
(2) उष्णकटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन –
यह प्ररूपी मानसून वन है, जहां साल और सागवान प्रमुख जातियां हैं! ये वन देश के उन सभी भागों में पाए जाते है जहां औसत वर्षा 100 से 200 से. मी. के बीच होती है! यह वन सहा्द्री, प्रायद्वीप के उत्तर पूर्वी भाग में तथा हिमालय के पादगिरी में पाए जाते हैं!
(3) उष्णकटिबंधीय कटीले वन –
उष्णकटिबंधीय कटीले वन आर्द्र पतझड़ वनों का एक निम्नकृत रूप हैं! ये वन उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहां औसत वर्षा 75 से 100 सेमी. के बीच तथा औसत तापमान 16° से 22°C के बीच होता हैं!
ऐसे वन प्रायद्वीपीय भारत, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश तथा हिमालय के पादगिरी में पाए जाते हैं! इन वनों में मुख्य वृक्ष बबूल झाड़ खेर, कैक्टस, खेजड़ा, नागफनी, पलाश आदि!
(4) उपोष्ण पर्वतीय वन –
ये वन उन प्रदेशों में पाए जाते हैं जहां औसत वार्षिक वर्षा 100 से 200 सेंटीमीटर के बीच होती है तथा औसत वार्षिक तापांतर 15° से 20°C के बीच रहता है! यह वन उत्तर-पश्चिमी हिमालय (कश्मीर और लद्दाख को छोड़कर), हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश तथा उत्तर पूर्वी राज्यों के ढलान पर पाए जाते हैं! इस प्रकार के वनों में चीड़, ओक, जामुन, रोडोडेंड्रॉन आदि प्रकार की वनस्पति पाई जाती है!
(5) शुष्क पतझड़ वन –
ये वन उन प्रदेशों में पाए जाते हैं जहाँ औसत वार्षिक वर्षा 100 से 150 से.मी. के बीच होती है। इन वनों की विशेषता बन्द तथा असामान्य वितान है। तथा लताओं के विकास के लिए धरातल तक पर्याप्त प्रकाश पहुंचता है। बबूल, जामुन, मोस्ता तथा पिस्तासिया यहाँ के मुख्य वृक्ष हैं। इन वनों में घास तथा झाड़ियाँ बरसात के मौसम में देखो जा सकती है।
वनों का प्रशासनिक वर्गीकरण (vano ka prashasnik vargikaran) –
सुरक्षा की दृष्टि से भारत में तीन प्रकार के वन पाए जाते हैं –
(1) सुरक्षित वन (Safe forest in hindi ) –
इस श्रेणी के वन पूर्णतया सरकारी संपत्ति माने जाते हैं! इन वनों में लकड़ी काटना तथा पशु चराना आदि पूर्णतया प्रतिबंध है! भारत में इस श्रेणी में वन भारत के कुल वन क्षेत्र लगभग 54% भाग पर पाए जाते हैं! भूमि अपरदन से सुरक्षा, मरुस्थल का प्रसार रोकने तथा बाढो़ को नियंत्रण तथा जलवायु में मृदुलता कायम रखने की दृष्टि से इन वनों का सर्वाधिक महत्व है!
(2) संरक्षित वन (protected forest in hindi)-
इस श्रेणी के वनों में विशेष नियमों के अंतर्गत लकड़ी काटने तथा पशु चराने की सुविधा भारत सरकार द्वारा प्रदान की जाती है! इस उद्देश्य से सरकार द्वारा कुछ व्यक्तियों को लाइसेंस उपलब्ध कराया जाता है! देश में 29% भाग पर यह वन पाए जाते हैं! वन उत्पाद जैसे इमारती एवं जलाऊ लकड़ी इससे प्राप्त होती है!
(3) अवर्गीकृत वन (unclassified forest in hindi ) –
उपयुक्त दोनों वर्गों को छोड़कर बचे हुए शेष वन इसी श्रेणी में आते हैं! इन वनों में लकड़ी काटने तथा पशु चराने पर कोई सरकारी प्रतिबंध नहीं होता है! यह वन निजी स्वामित्व में भी आते हैं! भारत के लगभग 16% भाग पर यह वन पाए जाते हैं!
वनों का वैधानिक (स्वामित्व) वर्गीकरण –
स्वामित्व के आधार पर वन तीन प्रकार के होते हैं-
(1) राजकीय वन (state forest in hindi)-
ये वन पूर्णतः सरकारी नियंत्रण में होते हैं! देश के लगभग 95% वन इस श्रेणी में आते हैं!
(2) सामुदायिक वन (Community Forest in hindi) –
यह वन स्थानीय निकायों जैसे – नगर पालिका, नगर निगम, ग्राम पंचायत तथा जिला परिषद के नियंत्रण में होते हैं! देश के कुल वन क्षेत्र का 3.1% क्षेत्र के अंतर्गत आता है!
(3) व्यक्तिगत वन (Individual forest in hindi)-
ये वन व्यक्तिगत अधिकार के अंतर्गत आते हैं! देश के कुल वन क्षेत्र का 1.7% भाग इन वनों के अंतर्गत आता है!
घनत्व के आधार पर वनों का वर्गीकरण (ghanatv ke aadhaar par vano ka vargikaran)-
घनत्व के आधार पर वन चार प्रकार के होते हैं –
(1) अति सघन वन –
वे सभी क्षेत्र जहां वृक्षों के शीर्षो का घनत्व 70% या उससे अधिक अधिक होता है, अति सघन वन कहलाते हैं!
(2) मध्यम सघन वन –
वह सभी क्षेत्र जहां वृक्षों के शीर्ष का घनत्व 40 से 70% के बीच हो, मध्यम सघन वन कहलाते हैं!
(3) खुले वन किसे कहते हैं –
वे सभी वन क्षेत्र जहां वृक्षों के शीर्ष का घनत्व 10 से 40% के बीच में खुले वन कहलाते हैं!
(4) मैंग्रोव वन –
यह वन समुद्र तटीय क्षेत्र में पाए जाते हैं! इन वनों को भी अतिसघन, मध्यम सघन, खुले वनों की श्रेणी में बांटा गया है! इनका आकलन उपग्रहों से प्राप्त जानकारी के विश्लेषण के आधार पर किया जाता है!
प्रश्न :- सघन वन किसे कहते है?
उत्तर :- वे वन जहाँ वृक्षों का घनत्व 70% या उससे अधिक हो, सघन वन कहलाते हैं! भारत में 12.20% क्षेत्र में सघन वन पाए जाते हैं!
प्रश्न :- खुले वन किसे कहते हैं
उत्तर :- वे सभी वन क्षेत्र जहां वृक्षों के शीर्ष का घनत्व 10 से 40% के बीच में खुले वन कहलाते हैं!
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