भारत में वर्षा का वितरण (bharat mein varsha ka vitran) –
मौसमीय वितरण में असमानता के साथ- साथ भारत में वार्षिक वर्षा का वितरण असमान मिलता है! भारत की औसत वर्षा 112 सेमी. है! भारत में 74% वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून से, 13% वर्षा मानसून के पश्चात, 10% वर्षा मानसून के पूर्व एवं 3% वर्षा शीत ऋतु में होती है! भारत में अधिकांश वर्षा पर्वतीय प्रकार की होती है! भारत में सर्वाधिक वर्षा मासिनराम (मेघालय) 1141 सेमी. तथा थार के मरुस्थल का क्षेत्रफल में सबसे कम 5 सेमी. वर्षा का औसत है!
भारत की प्रायद्वीप की आकृति के कारण दक्षिण पश्चिम के मानसून दो शाखा में विभाजित हो जाता है – (1) अरब सागर की शाखा (2) बंगाल की खाड़ी की शाखा
भारत में वर्षा का वार्षिक वितरण की भिन्नता के आधार पर निम्नलिखित 4 वर्ग में बांटा जाता है! Bharat me varsha ka vitaran इस प्रकार हैं –
(1) अधिक वर्षा वाले क्षेत्र (adhik varsha wala kshetra) –
इसके अंतर्गत पश्चिमी घाट, पश्चिमी तट, उत्तर पूर्व उप-हिमालयी क्षेत्र तथा मेघालय की पहाड़ियां शामिल है! भारत के ऐसे क्षेत्र जहां वर्षा का वितरण औसत 200 सेंटीमीटर या उससे अधिक रहता है अधिक वर्षा वाले क्षेत्र कहलाते हैं!
(2) मध्यम वर्षा वाले क्षेत्र (madhyam varsha wala kshetra) –
भारत के वे क्षेत्र जहां वर्षा का वार्षिक औसत 100 सेमी से 200 सेमी के मध्य रहता है! मध्यम वर्षा वाले क्षेत्र कहलाते हैं! इन क्षेत्रों में दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश आते हैं!
(3) न्यून या साधारण वर्षा वाले क्षेत्र (sadharan varsha vala kshetra) –
जहां पर वर्षा का वार्षिक औसत 100 सेमी. से 50 सेमी. के मध्य है, वह न्यून वर्षा वाले क्षेत्र कहलाते हैं! दक्षिण का पठार, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा पश्चिमी उत्तरप्रदेश गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु आदि न्यून वर्षा वाले क्षेत्र है!
(4) अति न्यून या और अपर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्र (aparyaapt varsha vala kshetra) –
जहां वर्षा का औसत 50 सेमी से भी कम है वे अपर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्र कहलाते हैं, क्योंकि यह वर्षा न तो कृषि के लिए पर्याप्त है और न ही मानव जीवन और दूसरे जीवधारियों के लिए! उत्तर में लद्दाख, दक्षिण में रायलसीमा, पश्चिम में कच्छ तथा राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र अपर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्र हैं!
वर्षा का वितरण कभी-कभी मानसून में परिवर्तन के कारण कुछ परिवर्तित हो जाता है!
भारत में वर्षा का वितरण मैप (Bharat me varsha ka vitaran Map) –

भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा की विशेषताएं (bharat mein hone wali mansun varsha ki visheshtaen) –
(1) दक्षिण पश्चिम मानसून से प्राप्त वर्षा मौसमी होती है, जो जून सितंबर माह के दौरान होती है!
(2) भारत में वर्षा का वितरण विभिन्न क्षेत्रों में असमान है साथ ही इसका वितरण संपूर्ण वर्ष में भी एक समान नहीं है! भारत में अधिकांश वर्षा मात्र दो या तीन महीनों में ही हो जाती है तथा शेष महीने प्रायः शुष्क रहते हैं! कुछ स्थान ऐसे भी हैं, जहां 1,000 सेंटीमीटर से भी अधिक वर्षा होती है, तो कुछ स्थान ऐसे भी है जहां मात्र 15 सेंटीमीटर से भी कम वर्षा होती है!
(3) भारत में कभी-कभी लगातार कई दिनों तक मूसलाधार वर्षा होती है, जिससे मिट्टी का अपरदन होता है तथा अचानक पानी की मात्रा बढ़ने से जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है! कहीं-कहीं अचानक अत्याधिक मूसलाधार वर्षा होने की घटनाएं दिखाई देती हैं, जिसे बादल का फटना भी कहते हैं!
(4) मानसून वर्षा की अपर्याप्तता इसकी एक अन्य विशेषता हैं! वर्षा से प्राप्त होने वाला जल फसलों के लिए अपर्याप्त रहता है! भारत का लगभग आधा क्षेत्र वर्षा की अपर्याप्तता से ग्रसित है!
वर्षा से संबंधित प्रश्न उत्तर
प्रश्न :- भारत में वर्षा का औसत है average rainfall in india in cm in hindi
उत्तर :- भारत में वार्षिक वर्षा का वितरण असमान मिलता है! भारत की औसत वर्षा 112 सेमी. है! भारत में 74% वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून से, 13% वर्षा मानसून के पश्चात, 10% वर्षा मानसून के पूर्व एवं 3% वर्षा शीत ऋतु में होती है!
प्रश्न :- भारत में वर्षा का वार्षिक औसत है average annual rainfall of india in cm
उत्तर :- भारत में वार्षिक वर्षा का वितरण असमान मिलता है! भारत की औसत वर्षा 112 सेमी. है! भारत में 74% वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून से, 13% वर्षा मानसून के पश्चात, 10% वर्षा मानसून के पूर्व एवं 3% वर्षा शीत ऋतु में होती है!
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