विज्ञान के मौलिक सिद्धांत (Vigyan ke maulik sidhant Mppsc)

 

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Vigyaan ke molik sidhant

विज्ञान के प्रमुख मौलिक सिद्धांत Mppsc ( Vigyan ke maulik Sidhant ya Fandamental law of science ) –

भौतिक विज्ञान ( Bhautik Vigyan ke Maulik Sidhant ) –

भौतिकी –  
भौतिकी की प्राकृतिक विज्ञान की वह शाखा है जिसमें द्रव्य तथा ऊर्जा और उसके परस्पर क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है ? 

न्यूटन के नियम –

(1) न्यूटन का प्रथम गति  नियम –

 यदि कोई वस्तु विराम अवस्था में है तो वह विराम अवस्था में ही रहेगी या यदि वस्तु एक समान चाल से सीधी रेखा में गति कर रही है तो वह गति करती रहेगी, जब तक कि उस पर कोई बाहय बल लगाकर उसकी वर्तमान अवस्था में परिवर्तन ना किया जाए! 

प्रथम नियम को गैलीलियो का नियम या जड़त्व का नियम भी कहते हैं.प्रथम नियम से बल की परिभाषा मिलती है  ! 
 
(2) न्यूटन का द्वितीय गति नियम 
किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर उस वस्तु पर लगाए गए बल के समानुपाती होती है, संवेग में परिवर्तन की बल की दिशा में होता है 
F = MA
 
(3) न्यूटन का तृतीय गति नियम –
प्रत्येक क्रिया के बराबर परंतु विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है , उदाहरण – बंदूक से गोली चलाने पर चलाने वाले को पीछे  की ओर धक्का लगता है ,राकेट को उड़ाने में! 

Vigyaan ke Molik Sidhant

संवेग संरक्षण का नियम –

यदि कणों के किसी समूह या निकाय पर कोई बाहय बल नहीं लग रहा हो, तो उस निकाय का कुल संवेग नियत रहता है अर्थात टक्कर के पहले का संवेग और टक्कर के बाद का संवेग बराबर होता है  ! 
 

ऊर्जा संरक्षण का नियम –

ऊर्जा को ना तो उत्पन्न ने किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है ! ऊर्जा केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित की जा सकती है !जब भी ऊर्जा  किसी रूप में लुप्त होती है तब उतनी ही ऊर्जा अन्य रूपों प्रकट होती है ! अत: विश्व की संपूर्ण ऊर्जा का परिमाण स्थिर रहता है ! यह ऊर्जा संरक्षण का नियम कहलाता है! 

न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम –

किन्हीं दो पिंडों के बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल उन पिंडों के द्रव्यमान के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है
 

केपलर के ग्रह से संबंधित नियम –

(1) प्रत्येक ग्रह सूर्य के चारों ओर एक दीघ वृत्ताकार कक्षा  में परिक्रमा करता है तथा सूर्य ग्रह की कक्षा  के एक फोकस बिंदु पर स्थित होता है ! 
 
(2) प्रत्येक ग्रह का क्षेत्रीय वेग नियत रहता है  इसका प्रभाव यह होता है कि जब ग्रह सूर्य के समीप होता है तो उसका वेग बढ़ जाता है जब वह दूर होता है तो उसका वेग कम हो जाता है 
 
(3) सूर्य के चारों ओर ग्रह एक चक्कर जितने समय में लगाता है, उसे उसका परिक्रमण काल कहते हैं, परिक्रमण काल का वर्ग ग्रह की सूर्य से औसत दूरी के घन के अनुक्रमानुपाती होता है
 

पास्कल का प्रथम नियम –

यदि गुरुत्वीय प्रभाव को नगण्य माना जाए तो संतुलन की अवस्था में द्रव के भीतर प्रत्येक बिंदु पर दाब का मान समान होता है! Vigyaan ke Molik Sidhant

पास्कल का द्वितीय नियम –

किसी बर्तन में बंद द्रव के किसी भाग पर आरोपित बल,द्रव द्वारा सभी दिशाओं में समान परिमाण के साथ संचारित कर दिया जाता है ! हाइड्रोलिक लिफ्ट, हाइड्रोलिक प्रेस, हाइड्रोलिक ब्रेक आदि पास्कल के नियम पर आधारित है! 

आर्कमिडीज का सिद्धांत –

जब कोई वस्तु किसी द्रव में पूरी अथवा आंशिक रूप से डुबाई जाती है, तो उसके भार में कमी का आभास होता है भार में यह आभासी कमी वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के बराबर होती है, इस आर्कमिडीज का सिद्धांत कहते हैं! 

प्लवन का नियम –

(1) संतुलन की अवस्था में तैरने पर वस्तु अपने भार के बराबर द्रव  विस्थापित करती है! 

(2) ठोस का गुरुत्व केंद्र और हटाए गए द्रव का गुरुत्व केंद्र दोनों एक ही ऊर्ध्वाधर रेखा में होने चाहिए ! 

बरनौली का सिद्वांत  –

जब कोई आदर्श द्रव किसी नदी में धारारेखीय प्रवाह में बहता है, तो उसके मार्ग के प्रत्येक बिंदु पर उसकी एकांक आयतन की कुल ऊर्जा का योग नियत होता है! वेण्टुरीमीटर बरनौली प्रमेय पर आधारित है! 

हुक का नियम –

प्रत्यास्थता की सीमा में किसी वस्तु में उत्पन्न विकृति उस पर लगाए गए प्रतिबल के समानुपाती होती है! 

डॉप्लर प्रभाव –

जब किसी ध्वनि स्त्रोत एवं श्रोता के बीच आपेक्षिक गति होती है तो श्रोता को ध्वनि की आवृत्ति उसकी वास्तविक आवृत्ति से अलग सुनाई पड़ती है इसे डॉप्लर प्रभाव कहते हैं ! Vigyaan ke Molik Sidhant

न्यूटन का शीतलन नियम –

समान अवस्था में रहने पर विकिरण द्वारा किसी वस्तु के ठंडे होने की दर वस्तु द्वारा उसके चारों ओर के माध्यम के तापांतर के अनुक्रमानुपाती होती है! अतः वस्तुओं जैसे जैसे ठंडी होती जाती हैं, उसके ठंडे होने की दर कम होती जाती है! Vigyaan ke Molik Sidhant

जूल थॉमसन प्रभाव –

किसी गैस के प्रवाह को किसी दबाव के अंदर किसी भी देवता माध्यम में मुख्य रूप से फैला दिया जाए, तो गैस के तापमान में अंतर ‘थॉमसन प्रभाव’ कहलाता है यह प्रभावी शीतलन में प्रयुक्त होता है!

 

किरचॉफ का नियम –

किरचॉफ के अनुसार अच्छे अवशोषक ही अच्छे से उत्सर्जक होते हैं! एक अंधेरे कमरे में यदि एक काली वस्तु और एक सफेद वस्तु को समान ताप पर गर्म करके रखा जाता हैै ,तो काली वस्तु अधिक विकिरण उत्सर्जित करेंगी! अत: काली वस्तुु अंधेरे में अधिक चमकेगी! Vigyaan ke Molik Sidhant

स्टीफन का नियम –

किसी वस्तु के उत्सर्जन की क्षमता E उसके परम ताप T के चतुर्थ  घात के अनुक्रमानुपाती होती है! 

ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम –

इस नियम के अनुसार किसी निकाय को दी जाने वाली उष्मा दो प्रकार के कार्यों में खर्च होती है (1) निकाय की आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि करने में, जिससे निकाय का ताप बढ़ता है (2) बाहय कार्य करने में! 

ऊष्मागतिकी का दूसरा नियम –

ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम उष्मा के प्रवाहित होने की दिशा को व्यक्त करता है ! केल्विन के अनुसार, उष्मा का पूर्णतया कार्य में परिवर्तन संभव नहीं है! क्लासियस् के अनुसार , उष्मा अपने कम ताप की वस्तु से अधिक ताप की वस्तु की ओर प्रवाहित नहीं हो सकती हैं! Vigyaan ke Molik Sidhant

प्रकाश का फोटाॅन सिद्वांत – 

इसके अनुसार प्रकाश ऊर्जा के छोटे-छोटे बंण्डलों हो या पैकिटों के रूप में चलता है, जिसे फोटाॅन कहते हैं! 

प्रकाश कुछ घटनाओं में तरंग की भांति तथा कुछ में कण की भांति व्यवहार करता है इसे प्रकाश की दोहरी प्रकृति कहते हैं! 

स्नेल का नियम – 

किन्हीं दो माध्यमों के लिए आपतन कोण की ज्या तथा अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात एक नियतांक होता है! 

कूलाम का नियम –

किन्हीं दो स्थिर विद्युत आवेशों के बीच लगने वाला आकर्षण या प्रतिकर्षण बल दोनों आवेशों की मात्राओं के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती  होता है तथा यह बल दोनों आवेंशों को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करता है! 

ओम का नियम – 

परिचालक की भौतिक अवस्था में कोई परिवर्तन ना हो तो चालक के सिरों पर लगाया गया विभवांतर उसमें प्रवाहित धारा के अनुक्रमानुपाती होता है!  अर्थात  V ∝ I 

द्रव्यमान ऊर्जा संबंध –

इसके अनुसार द्रव्यमान एवं ऊर्जा एक दूसरे स्वतंत्र नहीं है, बल्कि दोनों एक दूसरे से संबंधित है तथा प्रत्येक पदार्थ में उसके द्रव्यमान के कारण ऊर्जा भी होती है! इस नियम का प्रतिपादन आइंस्टीन ने 1905 में किया था, इसे सापेक्षता का सिद्धांत भी कहा जाता है!  Vigyaan ke Maulik Sidhant 

रसायन विज्ञान के मौलिक सिद्धांत (Chemistry Vigyan Ke Maulik Sidhant) –

विज्ञान के मौलिक सिद्धांत vigyaan ke moulik siddhant

रसायन विज्ञान- विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत पदार्थ के गुण, संगठन, संरचना तथा उनमें होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है ! लेवायसियर को रसायन विज्ञान का जनक कहा जाता है! 
 

पाउली का अपवर्जन नियम –

इस नियम के अनुसार – एक दिए गए परमाणु में किन्हीं दो इलेक्ट्रॉनों के लिए चारो क्वांटम संख्याओं का मान समान नहीं हो सकता ; यदि दो इलेक्ट्रॉनों में  n, l और m के मान एक ही हो, तो उनका चक्रण (s) विपरीत होगा! 
 

हुण्ड का अधिकतम बहुलता का नियम –

इसके अनुसार इलेक्ट्रॉन तब तक युग्मित नहीं होते हैं जब तक की कोई रिक्त कक्षक उपलब्ध है अर्थात जब तक संभव है,  इलेक्ट्रॉन अयुग्मित रहते हैं! Vigyaan ke Maulik Sidhant
 

हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता सिद्धांत  –

इसके अनुसार किसी कण की स्थिति और वेग का एक साथ वास्तविक निर्धारण असंभव है ! 
 

बॉयल का नियम  –

स्थिर ताप पर गैस की नियत मात्रा का आयतन उसके दाब के व्युत्क्रमानुपाती होता है ! 

चार्ल्स का नियम – 

नियत दाब पर किसी गैस के नियत मात्रा आयतन उसके परम ताप का सीधा अनुपाती होता है !  V ∝T

आवोगार्ड  का नियम –

समान ताप एवं दाब पर सभी गैसों के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होती है ! 
 

ग्राहम का गैसीय विसरण – 

नियत ताप एवं दाब पर गैसों के विसरण की आपेक्षिक गतियाँ उनके घनत्व अथवा अणुभार के वर्ग के समानुपाती होती है! 
 

मेंडलीफ का आवर्त नियम – 

 
19वीं शताब्दी के मध्य में रशियन वैज्ञानिक डी.आई.मेंडलीफ ने तत्व तथा उनके यौगिकों को के तुलनात्मक अध्ययन से एक नियम प्रस्तुत किया जिसे मेंडलीफ का आवर्त नियम कहते हैं! 
 

आधुनिक आवर्त सारणी –

आधुनिक आवर्त सारणी मोसले के नियम पर आधारित है! इसके अनुसार तत्वों के गुण उनके परमाणु संख्या के आवर्त फलन होते हैं! 
मेंडलीफ की आवर्त नियम के अनुसार तत्वों का भौतिक एवं रासायनिक गुण उनके परमाणु भारों के आवर्ती फलन होते हैं
 

आरहेनियस का सिद्वांत – 

अम्ल एक ऐसा योगिक है, जो जल में घुलकर H+ आयन देता है! 
 

बॉरॉन्सटेड एंव लॉरी सिद्धांत –

अम्ल वह पदार्थ है जो किसी दूसरे पदार्थ को प्रोटॉन प्रदान करने की क्षमता रखता है!  
 

लोएस इलेक्ट्रॉनिक सिद्धांत  –

अम्ल वह यौगिक है, जिसमें इलेक्ट्रान की एक निर्जल जोड़ी स्वीकार करने की प्रवृत्ति होती है! 
 

जीव विज्ञान के मौलिक सिद्धांत (Biology Vigyan ke Maulik Sidhant) –

लैमार्कवाद (1809) – 

इस सिद्धांत के अनुसार जीवों एवं उनके अंगों में सतत बड़े होते रहने की प्रवृत्ति होती है ! इन जीवो में वातावरणीय परिवर्तन का सीधा प्रभाव पड़ता है! इसके कारण जीवो में विभिन्न अंगों का उपयोग  घटता बढ़ता रहता है! अधिक उपयोग में आने वाले अंगो का विकास अधिक एवं कम उपयोग में आने वाले अंगों का विकास कम होने लगता है ! इसे अंगों के कम या अधिक उपभोग का सिद्धांत भी कहते हैं! Vigyaan ke Maulik Sidhant
 

डार्विनवाद –

डार्विनवाद के अनुसार सभी जीवो में पृथ्वी और संतान उत्पत्ति की क्षमता होती है! अतः अधिक आबादी के कारण प्रत्येक जीवों को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु दूसरे जीवों से जीवंतपर्यंन्त संघर्ष करना पड़ता है! 
 

नव डार्विनवाद – 

डार्विनवाद के पश्चात उनके समर्थकों द्वारा डार्विनवाद को जींनवाद  के ढांचे में डाल दिया गया जिसे नव डार्विनवाद  कहां जाता है! 
 

मेंडल के नियम –

(1) प्रभाविकता का नियम – 

एक जोड़ा में विपर्यायी  वाले शुद्व पिता या माता में संकरण करने से प्रथम पीढ़ी में  प्रभावी गुुण प्रकट होते हैं, जबकि यह प्रभावी गुण छिप जाते हैं! प्रथम पीढ़ी में केवल प्रभावी  गुण दिखाई देता है !लेकिन अप्रभावी गुण उपस्थिति अवश्य रहता है ! यह दूसरी पीढ़ी में प्रकट होता है! 

(2) पृथक्करण का नियम –  

लक्षण कारकों के जोड़ों के दोनों कारक युग्म बनाते समय पृथक हो जाते हैं और उनमें से केवल एक कारक ही किसी एक युग्मक में पहुंचता है! इस नियम को युग्मकों की शुद्धता का नियम भी कहते हैं! 
 

(3) स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम – 

जब दो जोड़ी विपरीत लक्षणों वाले पौधों के बीच संकरण कराया जाता है तो दोनों लक्षणों का पृथक्करण स्वतंत्र रूप से होता है – एक लक्षण की वंशागति दूसरे को प्रभावित नहीं करती! Vigyaan ke Molik Sidhant
 

कोशिका सिद्धांत  (1838-39) –

इस सिद्धांत का प्रतिपादन पादप वैज्ञानिक मैथियास श्लाइडन एवं जंतु वैज्ञानिक थियोडोर श्वान किया था, इसके अनुसार-
 
(1) प्रत्येक जीव का शरीर एक या अनेक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है! 
 
(2) कोशिका सभी जैविक क्रियाओं की मूलभूत इकाई है! 
 
(3) कोशिका अनुवांशिकी की इकाई है, क्योंकि इनके केंद्रक में अनुवांशिकी पदार्थ पाया जाता है! 
 
(4) रुडोल्फ विरचों (1855) प्रत्येक नई कोशिकाओं का निर्माण उसकी पूर्ववर्ती कोशिका के विभाजन द्बारा होता है! 
 
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