उत्तर भारत के विशाल मैदान का प्रादेशिक विवरण एवं भू आकृतिक प्रदेश uttar bharat ke vishal maidan

उत्तर भारत के विशाल मैदान (uttar bharat ke vishal maidan)

शिवालिक पर्वत श्रेणी के दक्षिण में उत्तर भारत के विशाल मैदान स्थित है! शिवालिक पर्वत एवं उत्तर भारत के बीच एक विशाल भ्रंश है, जिसको हिमालयन फ्रंट फाल्ट कहते हैं! पश्चिम से पूर्व की दिशा में फैले हुए इस विशाल मैदान की उत्पत्ति सिंधु, सतलज, गंगा, ब्रह्मपुत्र और उनकी सहायक नदियों द्वारा लाए गए जलोढ़ से हुई है! उत्तर भारत के विशाल मैदान (Uttar bharat ke vishal maidan) का प्रादेशिक विभाजन इस प्रकार है –

(1) पंजाब हरियाणा का मैदान –

पंजाब – हरियाणा का मैदानी भाग, देश के पंजाब, हरियाणा तथा दिल्ली राज्यों में फैला हुआ है! सतलज, रावी तथा व्यास नदियां इस मैदान पर बहने वाली प्रमुख नदियां हैं! इस मैदान का विस्तार 1,75,000 वर्ग किमी है! इस मैदान की औसत ऊंचाई 250 मी. है! इस मैदान की चौड़ाई 300 किमी तथा लंबाई 400 किमी है! 

(2) राजस्थान का मैदान –

अरावली पर्वत के पश्चिम में स्थित मरुस्थली क्षेत्र राजस्थान का मैदान या थार रेगिस्तान के नाम से जाना जाता है! यह मैदानी भाग 2,00,000 वर्ग किमी क्षेत्रफल पर विस्तृत है! इस मैदान की चौड़ाई 250 से 300 किमी. तथा लंबाई 650 किमी है तथा समुद्र तल से ऊंचाई 150 से 400 मीटर है! 

(3) ऊपरी गंगा का मैदान – 

पंजाब – हरियाणा मैदान के दक्षिण पूर्व में ऊपरी गंगा का मैदान है! गंगा, यमुना, शारदा, गोमती तथा घाघरा इस मैदान में बहने वाली प्रमुख नदियां हैं! इस मैदान की ऊंचाई 100 से 300 मीटर के मध्य है! इस मैदान का अधिकांश भाग उत्तरप्रदेश राज्य में है! 

(4) मध्यवर्ती गंगा का मैदान –

ऊपरी गंगा मैदान के पूर्व में मध्यवर्ती गंगा का मैदान स्थित है! इस मैदान में पूर्वी उत्तरप्रदेश तथा बिहार के मैदानी भाग सम्मिलित हैं! इस मैदान की समुद्र सतह से ऊंचाई 30 से 110 मीटर है! गंगा, घाघरा, गंडक और कोसी इन मैदानों में बहने वाली प्रमुख नदियां हैं! यह नदियां वर्षा ऋतु में भयंकर बाढ़ के साथ इस मैदान पर बहती हैं!

(5) निम्नवर्ती गंगा का मैदान – 

मध्यवर्ती गंगा के मैदान के दक्षिण पूर्व में निम्नवर्ती गंगा का मैदान है! इस मैदान का अधिकांश भाग पश्चिम बंगाल में है! इस मैदान का उत्तरी भाग तीस्ता, जलधाका तथा टोरसा नदियों द्वारा बिछाए गए अवसादों द्वारा निर्मित है! इस मैदान की समुद्र से औसत ऊंचाई 50 मीटर है! 

(6) ब्रह्मपुत्र का मैदान – 

भारत के सुदूर पूर्व में असम राज्य में स्थित ब्रह्मपुत्र नदी द्वारा निर्मित मैदान एक सकरा मैदानी भाग है! इसकी अधिकतम चौड़ाई 80 किमी है! इस मैदान की ऊंचाई पूर्व में 130 मीटर तथा पश्चिम में केवल 30 मीटर रह गई है! इस मैदान की लंबाई 640 किमी. है! 

उत्तर भारत के विशाल मैदान के भू आकृतिक प्रदेश (uttar bharat ke vishal maidan ke bhu akriti pradesh)-

भाबर क्या है (bhabar kya hai) – 

यह शिवालिक की तलहटी में सिंधु नदी एवं तीस्ता नदी के मध्य स्थित है! इसका निर्माण हिमालय से नीचे आती नदियों द्वारा लायी गयी बजरी के जमा होने के कारण हुआ है! इसमें कंकड़ों व पत्थरो की संख्या बहुत अधिक है, जिसके कारण बहुत सी नदियाँ लुप्त हो जाती है और कुछ दूरी के पश्चात फिर से बहती हुई नजर आती हैं! इसे शिवालिक का जलोढ़ पंक भी कहा जाता हैं! इसकी चौडाई 7 से 15 किमी. के मध्य परिवर्तित होती रहती हैं! 

तराई प्रदेश क्या है (tarai pradesh kya hai) – 

यह भाभर प्रदेश के दक्षिण में स्थित है! तराई प्रदेश में भाबर प्रदेश में विलुप्त नदियाँ पुनः प्रकट हो जाती हैं तथा वहॉ 15 से 30 किमी. चौडी एक दलदली क्षेत्र को निर्मित करती हैं, जिसे तराई कहते हैं! यहां महीन कंकड़, पत्थर, रेत, चिकनी मिट्टी का जमाव मिलता है! यह प्रदेश घने वनों से ढका हुआ है! भाबर प्रदेश के अपेक्षा तराई प्रदेश अधिक समतल है! यहां साल भर भारी वर्षा होती है तथा वन्य जैव विविधता पाई जाती है! 

बांगर प्रदेश क्या है (bhangra pradesh kya hai) –

यहां पुराने जलोढ़ से बना मैदान है! सतलाज एवं गंगा के ऊपरी मैदान पर बांगर प्रदेश का विस्तार पाया जाता है! इसका निर्माण मध्य से ऊपर प्लीस्टोसीन तक माना जाता है! इस प्रदेश में बाढ़ का पानी सामान्यतः प्रवेश नहीं कर पाता है! दो नदियों के मध्य समस्त भूमि दोआब कहलाती है! पंजाब व उत्तरप्रदेश राज्यों में बांगर भूमि प्रमुखता से मिलती है! 

खादर किसे कहते हैं (khadar pradesh kya hai) –

वर्षा काल में विशाल मैदान की नदियां उसके जितने भागों में बाढ़ का जल फैला देती है, उतना क्षेत्र उस नदी का खादर क्षेत्र कहा जाता है! यह नए जलोढ़ से बना निचला प्रदेश है! इसका निर्माण ऊपर प्लास्टोसीन काल में प्रारंभ हुआ और अभी भी जारी है! डेल्टा प्रदेश की खादर प्रदेश का ही एक भाग है!  

उत्तर भारत के विशाल मैदान का महत्व (uttar bharat ke vishal maidan ka mahatva bataiye) –

हिमालय पर्वत से उद्गगमित सिंधु, सतलज, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा लाई गई जलोढ़ मिट्टी से निर्मित उत्तर भारत का विशाल मैदानी भाग इन्हीं नदियों के जल से सिंचाई सुविधा भी प्राप्त करता है! इसी कारण इस मैदान को हिमालय का उपहार भी कहा जाता है! इसका महत्व इस प्रकार है –

(1) नदियों द्वारा बहाकर लाई गई कॉप मिट्टी से बना यह मैदान कृषि की दृष्टि से भारत का सर्वाधिक उपजाऊ मैदान है! 

(2) यह मैदान सभ्यता की जन्मभूमि रहा है! 

(3) यह सघन जनसंख्या वाला प्रदेश है! देश की लगभग 50% जनसंख्या निवास करती है जबकि यह मैदान देश के एक चौथाई भूभाग पर स्थित है! 

(4) अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों के कारण भारत के अधिकांश बड़े नगर एवं व्यापारिक और औद्योगिक केंद्र भी इसी भाग में स्थित है! 

(5) इस मैदान की नदियां सततवाहिनी है जिनका उपयोग सिंचाई, जल परिवहन, विद्युत उत्पादन एवं उद्योगों के साथ-साथ पेयजल के रूप में भी किया जाता है! 

(6) तीर्थ स्थलों की दृष्टि से भी इस प्रदेश का विशेष महत्व है! कुरुक्षेत्र, मथुरा, वृंदावन, अयोध्या, प्रयाग, काशी, गया और वाराणसी आदि इसी मैदानी भाग में स्थित है

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