मैदान किसे कहते हैं? मैदान के प्रकार एवं महत्व (maidan)

मैदान किसे कहते हैं (maidan kise kahate hain)

500 फीट से कम ऊंचाई वाले भूपृष्ठ के समतल भाग को मैदान (maidan) कहते हैं मैदान अति कम स्थानीय उच्चावच के क्षेत्र होते हैं तथा इनका ढाल अति मंद होता है! कुछ मैदान काफी समतल होते हैं तथा कुछ उर्मिल और तरंगित हो सकते हैं! किसी क्षेत्र में सबसे ऊंचे तथा सबसे नीचे स्थानों के बीच ऊंचाई के अंतर को स्थानीय उच्चावच कहते हैं! 

मैदान (maidan) धरातल के 55% भाग पर फैले हुए हैं नदियों के अलावा कुछ मैदानों का निर्माण वायु, ज्वालामुखी और हिमानी द्वारा भी होता है! भारत के 43% भूभाग पर मैदान पाए जाते हैं! 

मैदान कैसे बनते हैं (maidan kaise bante hain) –

सामान्यतः माध्य समुद्री तल से 200 मीटर से अधिक ऊंचे नहीं होते हैं! कुछ मैदान काफी समतल होते हैं! कुछ उर्मिल तथा तरंगित हो सकते हैं! अधिकांश मैदान नदियों और उनके सहायक नदियों द्वारा बने हैं! नदियां पर्वत के ढालों पर नीचे की ओर बहती है तथा उन्हें अपरदित कर देती हैं!

 
वे अपरदित पदार्थों को अपने साथ आगे की ओर ले जाती है! अपने साथ ढोए जाने वाले पदार्थों; जैसे – पत्थर, बालू तथा सिल्ट को वे घाटियों में निक्षेपित कर देती हैं! इन्ही निक्षेपों से मैदानों का निर्माण होता है!  
 

मैदान के प्रकार (types of plains in hindi) –

बनावट के आधार पर मैदान तीन प्रकार के होते हैं, maidan ke prakar इस प्रकार हैं –

Plains maidan

संरचनात्मक मैदान क्या हैं (sanrachnatmak maidan) –

इन मैदानों का निर्माण मुख्यतः सागरीय तल अर्थात महाद्वीपीय निम्न तट के उत्थान के कारण होता है! ऐसे मैदान प्राय सभी महाद्वीपों के किनारों पर मिलते हैं! मेक्सिको की खाड़ी के सहारे फैला संयुक्त राज्य अमेरिका का दक्षिण पूर्वी मैदान इसका उदाहरण है ! भूमि के नीचे धसने के कारण भी संरचनात्मक मैदानों का निर्माण होता है ! ऑस्ट्रेलिया के मध्यवर्ती मैदान का निर्माण इसी प्रकार से हुआ है !  

निक्षेपण के द्वारा बने मैदान (Ground formed by deposition in hindi –

ऐसे मैदानों का निर्माण नदी, हिमानी, पवन आदि तथा संतुलन के कारकों द्वारा ढोये अवसादो से झील या समुद्र जैसे गर्तो के भरने से होता है! 

जब मैदानों का निर्माण नदी द्वारा ढोयें गए अवसादो के निक्षेपण से होता है तो उसे नदीकृत या जलोढ़ मैदान कहते हैं! उदाहरण – सिंधु- गंगा का मैदान ,गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान , हॉगहो का मैदान ( चीन ) लोम्बार्डी का मैदान ( पो नदी, इटली) 

जब मैदानों का निर्माण झील में अवसादों के निक्षेपण से होता है तो उसे सरोवरी या झील मैदान कहते हैं उदाहरण- कश्मीर और मणिपुर की घाटीयां! 

जब मैदान का निर्माण हिमानी द्वारा ढोयें पदार्थों के निक्षेपण से होता है तो उसे हिमानी कृत् या हिमोढ़ मैदान कहते हैं ! उदाहरण – कनाडा और उत्तरी – पश्चिमी यूरोप के मैदान! 

जब निक्षेपण का प्रमुख कारक पवन होती है तो लोयस मैदान बनते हैं! उदाहरण – उत्तरी पश्चिमी चीन के लोयस मैदान! 

अपरदनात्मक मैदान क्या हैं (Erosional Plains in hindi)

 नदी, हिमानी, पवन जैसी शक्तियों के अपरदन से इस प्रकार के मैदान बनते हैं ! जो निम्न हैं –

हवा द्वारा उडाकर लाई गई मिट्टी एवं वालों के कणों से निर्मित मैदान लोएस मैदान कहलाते हैं! 

चुने पत्थर की चट्टानों के घुलने से निर्मित मैदान क्रस्ट मैदान कहलाते हैं! 

समुद्र तट के निकट स्थित मैदान जिनका निर्माण नदियों के अपरदन के फल स्वरुप होता है, समप्राय मैदान कहलाते हैं !

हिम के जमाव के कारण निर्मित दलदली मैदान जहां केवल वन ही पाए जाते हैं, ग्लेशियल मैदान कहलाते हैं! 

रेगिस्तानी मैदान – वर्षा के कारण निर्मित नदियों के बहने के फलस्वरूप इसका निर्माण होता है 

मैदानों का महत्व ( importance Of Plains in hindi) :

समतल और उपजाऊ मृदा की प्राप्ति, उद्योग के विकास की सुविधा , आवागमन के साधनों के विस्तार की सुविधा, प्राचीन एवं आधुनिक सभ्यताओं के केंद्र और व्यापारिक नगरों और बंदरगाह की स्थापना ! मैदानों को संसार का अन्न भंडार कहा जाता है! 

मैदान मनुष्य के रहने के लिए सबसे उपयोगी क्षेत्र होते हैं! यहां की जनसंख्या बहुत अधिक होती है, क्योंकि मकानों के बनाने तथा खेती के लिए यहां समतल भूमि की प्रचुर उपलब्धता होती है! उपजाऊ मिट्टी के कारण यह भाग खेती के लिए भी काफी उपयुक्त होता है! भारत में गंगा का मैदान देश में सबसे अधिक जनसंख्या वाला क्षेत्र है! 

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Plains
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