स्वयं सहायता समूह किसे कहते हैं? इसकी आवश्यकता, उद्देश्य, महत्व,लाभ, सूत्र

स्वयं सहायता समूह किसे कहते हैं (swayam sahayata samuh kise kahate hain) – 

स्वयं सहायता समूह एक समान सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों वाले निर्धन लोगों का समूह है, जो अपने सदस्यों को मध्य समान समस्याओं को आपसी सहायता से समझाते हैं! इन समूहों गठन सामान्यतः गैर सरकारी संगठन अथवा सहकारी निकायों के रूप में किया जाता है! ये अनौपचारिक समूह होते हैं! इनका निर्माण 15 से 20 लोग आपस में मिलकर करते हैं, किंतु पर्वतीय या मरुस्थलीय या कम जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्रों में सदस्यों की संख्या 5 भी हो सकती है! 

भारत में स्वयं सहायता समूहों की उत्पत्ति 1970 के दशक में हुई, जब 1972 में सेल्फ एम्लाई एसोसिएशन का गठन हुआ, जिसनें  निर्धनता, उन्मूलन, महिला रोजगार व महिला सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई! आगे चलकर सरकार की विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के तहत इन समूहों के गठन व निर्माण किया गया! उदाहरण के लिए – स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना, 1999 आदि! 

स्वयं सहायता समूहों की आवश्यकता (swayam sahayata samuh ki avashyakta) –

भारत में जनसंख्या का 70% गांव में निवास करता है! इन ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक सुविधा या अवसंरचनात्मक विकास की कमी के कारण प्रत्येक व्यक्ति तक वित्तीय सुविधा की पहुंच एक चुनौती बनकर उभरी है! दूसरे शब्दों में कहें तो अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों को वित्तीय समावेशन की प्रक्रिया से नहीं जोड़ा जा सका है! 

ऐसी स्थिति में स्वयं सहायता समूह बिना किसी अवसंरचना के लोगों को छोटी-छोटी बचत एकत्र करने हेतु प्रोत्साहित करते हैं, ताकि उस एकत्रित राशि को किसी बड़े उद्देश्य की प्राप्ति में लगाया जा सके! इन समूहों से ग्रामीण लोगों के जीवन स्तर में सुधार हुआ है, वहीं दूसरी ओर महिलाओं का योगदान भी बढ़ा है! इससे गांव में सामाजिक-आर्थिक न्याय के आदर्श को प्राप्त करने में सहायता मिली है!

स्वयं सहायता समूह के उद्देश्य (swayam sahayata samuh ke uddeshya) – 

स्वयं सहायता समूहों के उद्देश्य इस प्रकार है –

(1) स्वरोजगार को बढ़ाकर समावेशी व सतत विकास करना! 
(2) निर्धनों का जीवन स्तर उच्च बनाना! 
(3) उनको छोटी बचतों से लाभ कमाने के लिए प्रेरित करना! 
(4) महिलाओं को वित्त प्रबंधन व सामूहिक निर्णय में भागीदार बनाना! 
(5) महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना! 

(6)व्यक्तिगत और सामूहिक उद्यमिता को प्रोत्साहित करना।

स्वयं सहायता समूह के लाभ (swayam sahayata samuh ke labh) –

(1) समूह में आने जाने से विभिन्न सामाजिक एवं आर्थिक मुद्दों की जानकारी प्राप्त होती हैं! 

(2) महिलाओं के विरुद्ध कोई अन्याय या गलत निर्णय लिया जाता हैं, तो उसका सामूहिक विरोध किया जा सकता हैं! 

(3) सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ लिया जा सकता हैं! 

(4) सदस्यों के ज्ञान, क्षमता और आत्मविश्वास में वृद्धि होती हैं! 

(5) पैसों की आवश्यकता पड़ने पर किसी पर आश्रित नहीं होना पड़ता हैं! 

(6) समूह के सदस्यों के बीच सहयोग और समर्थन से सामाजिक एकता और सामुदायिकता की भावना को बढ़ावा मिलता है।

स्वयं सहायता समूह का महत्व या भूमिका (swayam sahayata samuh ka mahatva) – 

स्वयं सहायता समूह के माध्यम से सदस्यों को न सिर्फ लोकतांत्रिक प्रणाली की जानकारी व उपादेयता का पता चलता है, बल्कि समूह के सदस्यों की चेतना,ज्ञान, कौशल एवं आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है! इन संपूर्ण समूह के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों एवं सामान्य समस्याओं पर चर्चा के साथ सुधार के लिए भी कदम उठाए जाते हैं! 

महिलाओं के सशक्तिकरण के साथ स्वयं-सहायता समूह अपने सदस्यों की राजनीतिक चेतना निर्माण तथा जनप्रतिनिधियों से संवाद स्थापित कर समाज में सम्मानित एवं गरिमापूर्ण स्थान प्राप्त में मदद करते हैं! महिलाओं के सशक्तिकरण में स्वयं सहायता समूह की भूमिका महत्वपूर्ण है! स्वयं सहायता समूह से महिलाओं में स्व के प्रति जागरूकता के साथ-साथ आत्मविश्वास में वृद्धि होती है! 

महिला के अधिकारों की स्थापना, स्वतंत्रता और समानता की प्राप्ति तथा गरिमापूर्ण जीवन की प्राप्ति में स्वयं-सहायता समूह एक आंदोलन के रूप में उभर रहे हैं! इससे महिलाएँ आर्थिक विकास में योगदान कर रही है और उनके उद्यमिता को प्रोत्साहन मिल रहा है!

स्वयं सहायता समूह के 5 सूत्र –

(1) स्वयं-सहायता समूह की नियमित बैठक करना!

(2) समूह के अंदर नियमित बचत करना!

(3) समूह के अंदर मांग के अनुसार लोन का परिचालन करना!

(4) लोन का समय पर भुगतान करना!

(5) बहीखातों का सही रखरखाव एवं उनको भरना!

प्रश्न :- स्वयं सहायता समूह क्या हैं (swayam sahayata samuh kya hai)?

उत्तर :- स्वयं-सहायता समूह एक समान सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों वाले निर्धन लोगों का समूह है, जो अपने सदस्यों को मध्य समान समस्याओं को आपसी सहायता से समझाते हैं! इन समूहों गठन सामान्यतः गैर सरकारी संगठन अथवा सहकारी निकायों के रूप में किया जाता है! ये अनौपचारिक समूह होते हैं! इनका निर्माण 15 से 20 लोग आपस में मिलकर करते हैं, किंतु पर्वतीय या मरुस्थलीय या कम जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्रों में सदस्यों की संख्या 5 भी हो सकती है! 

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2 thoughts on “स्वयं सहायता समूह किसे कहते हैं? इसकी आवश्यकता, उद्देश्य, महत्व,लाभ, सूत्र”

  1. आपके द्वारा दी गयी जानकारी बहुत ही अच्छी है। अन्य पोस्ट को भी देखा है आप बहुत अच्छी तरह से लिखते हैं। आप हमेशा इसीतरह सक्रिय रहें।

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