नैनो टेक्नोलॉजी क्या है? Nano Technology का उद्गम, अनुप्रयोग, उपयोग, हानि

नैनो टेक्नोलॉजी क्या है (What Is Nano Technology in hindi) –

नैनो एक ग्रीक भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है – सूक्ष्म या छोटा! 100 नैनोमीटर या उससे छोटे कणों को नैनो कण माना जाता है! 
 
नैनो टेक्नोलॉजी सूक्ष्मता के मापन, अध्ययन और अनुप्रयोग पर आधारित विज्ञान की शाखा है! यह अणु और परमाणु की इंजीनियरिंग है, जो भौतिकी, रसायन, जैव सूचना एवं जैव प्रौद्योगिकी विज्ञान जैसे विषयों को आपस में जोड़ती है! 
 
नैनो टेक्नोलॉजी से संबंधित प्रथम परिकल्पना सन 1959 में रिचर्ड पी.फेनमैन द्वारा दी गई थी! नैनो टेक्नोलॉजी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग वर्ष 1974 में टोक्यो विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नोरियो तानिगुची ने किया था! 
 
गर्ड बिन्निग और हेनरिक दोहरे ने स्कैनिंग टनलिंग माइक्रोस्कोप की खोज की. जिसकी सहायता से न केवल परमाणु को दिखा जा सकता था, बल्कि उनका प्रबंधन भी किया जा सकता था! इस अविष्कार ने नैनो टेक्नोलॉजी को वास्तविकता प्रदान की! इसके लिए उन्हें वर्ष 1986 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था! 

नैनों तकनीकी का उद्गम (Origin of Nano technology in hindi) –

29 दिसंबर, 1959 तक नैनो टेक्नोलॉजी या नैनो विज्ञान जैसी कोई परिकल्पना अस्तित्व में नहीं थी! नैनो टेक्नोलॉजी जैसी तकनीक सबसे पहली बार उस समय अस्तित्व में आई जब 29 दिसंबर 1959 को प्रसिद्ध भौतिकविद रिचर्ड फेनमैन ने ‘देयर इज प्लेंटी ऑफ रूम एट द बॉटम‘ नामक व्याख्यान दिया! इस व्याख्यान में उन्होंने पहली बार पदार्थ के गुण और उनसे बनने वाली वस्तुओं के संभावित विषय पर चर्चा की थी, लेकिन उन्होंने नैनो टेक्नोलॉजी शब्द का प्रयोग नहीं किया!
सबसे पहली बार नैनो टेक्नोलॉजी शब्द का प्रयोग टोक्यो  विश्वविद्यालय के नोरियो तारागुच्छ ने 1974 में किया था, लेकिन नैनो तकनीकी को विज्ञान के रूप में स्थापित करने का श्रेय अमेरिकी एरिक डेक्सलर को जाता है! इंजिन ऑफ क्रिएशन : द कमिंग नैनो टैक्नोलॉजी एरिक डेक्सलर का नैनो टेक्नोलॉजी पर आधारित प्रमुख दस्तावेज है, जो 1986 में प्रकाशित हुआ!

नैनो टेक्नोलॉजी के अनुप्रयोग (nano technology uses)-

वर्तमान में नैनो टेक्नोलॉजी का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा, ऑटोमोबाइल, चिकित्सा, कृषि एवं खाद्य, अंतरिक्ष और प्रतिरक्षा, पर्यावरण और स्वास्थ्य, कॉस्मेटिक्स आदि क्षेत्रों में किया जा रहा है! 
 
(1) नैनो तकनीक की मदद से किसी विशेष अंग तक दवा वितरण करने वाले तंत्र को विकसित किया जा सकता है! (Nano Technology)
 
(2) नैनो तकनीक का उपयोग करके चिकित्सा क्षेत्र में सूक्ष्म स्तर के ऑपरेशन को किया जा सकता है! 
 
(3) नैनो उर्वरक, नैनो खरपतवारनाशी आदि का उपयोग कृषि क्षेत्रों में फसल को बचाने और वृद्धि के लिए किया जा सकता है! 
 
(4) भंडारण, संरक्षण, गुणवत्ता के सुधार तथा फ्लेवर आदि के लिए भी नैनो तकनीक का उपयोग किया जा सकता है! 
 
(5) नैनो तकनीक का उपयोग करके इंजन में घर्षण को कम किया जा सकता है! माइलेज तथा प्रदूषण की समस्याओं का निदान हो सकता है! 
 
(6) ग्राफीन का उपयोग करके हल्के एवं मजबूत वाहन बनाए जा सकते हैं! 
 
(7) यह ईंधन की खपत को कम करने में भी उपयोग किया जा सकता है! 
 
(8) नैनो तकनीक से ज्यादा मजबूत रेशे बनाए जा सकते हैं, जो कपड़े व अन्य सामग्री के निर्माण में काम आ सकते हैं! 
 
(9) नैनो तकनीक का प्रयोग करके कंपोजिट प्लास्टिक बनाया जा सकता है, जो पर्यावरण के लिए कम हानिकारक होंगे! (Nano Technology)
 
(10) नैनो तकनीक की मदद से हथियारों को हल्का और मजबूत बनाया जा सकता है! सिपाहियों के लिए हल्के व मजबूत सुरक्षा कवच बनाए जा सकते हैं! 

कृषि में नैनो टेक्नोलॉजी का उपयोग (nano technology in agriculture) –

(1) नैनो कैप्सूल और नैनो इमल्शन से रासायनिक उर्वरक ज्यादा दक्षता से निर्मित किए जा सकते हैं!
(2) सिल्वर नैनो कणों के जरिए खाद्य पदार्थों को काफी समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है!
(3) नैनो सेंसरों के माध्यम से मिट्टी की स्थिति और फसलों पर नजर रखी जा सकती है!
(4) नैनो सेंसर खाद्य पदार्थों की पैकिंग से पहले उनमें विभिन्न रोगाणुओं और रासायनिक तत्वों की मौजूदगी का पता लगाने में उपयोगी होते हैं!
 
 

नैनो टेक्नोलॉजी से हानि (Nano technology se haniya) –

(1) खाद्य पदार्थों और कॉस्मेटिक पदार्थों में मिश्रित किए जाने वाले नैनो कणों के शरीर में प्रवेश करने की संभावना बनी रहती है! 
 
(2) नैनो चिकित्सा में शरीर के भीतर अपना काम करने के बाद नष्ट नहीं होने वाले और भीतर ही बने रहने वाले नैनो पदार्थ अंगों की नाकामी का कारण बन सकते हैं! 
(3) नैनो पदार्थों की अद्वितीय रासायनिक संरचनाओं के कारण इनसे अत्याधिक दहनशीलता, अत्याधिक आग और विस्फोट के खतरे संभव हो सकते हैं!
(4) वायु वाहित नैनो कणों के श्रमिकों के शरीर में प्रवेश करने से फेफड़ों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिसकी वजह से हदय संबंधित कई प्रकार की बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है!
 
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