प्रवाल विरंजन क्या है (prawal viranjan kya hai) –
प्रवाल विरंजन, प्रवाल भित्ति में होने वाले प्रकार की बीमारी है! इस बीमारी के प्रभाव में आने प्रवालों का विकास अवरुद्ध हो जाता है और वह अपना रंग परिवर्तित करने लगते हैं! ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि प्रवाल द्वारा कैल्शियम कार्बोनेट का स्त्राव बंद हो जाता है!
कैल्शियम कार्बोनेट के स्त्राव के कारण ही प्रवाल भित्तियों का विकास होता है! इस प्रकार की बीमारी प्रभावों में अधिक लंबे समय तक नहीं रहती हैं! कुछ ही अवधि में प्रवालों को इससे छुटकारा मिल जाता है! इस प्रकार की प्रवाल में होने वाली बीमारी की खोज 1983 में प्रशांत महासागर के पूर्वी तट पर की गई थी!
प्रवाल विरंजन के कारण (prawal viranjan ke karan) –
प्रवालों की विरंजित होने के कारणों का अभी तक कोई ठोस प्रमाण सामने नहीं आया है! प्रमाण के आधार पर इसके कई कारण हो सकते हैं! जैसे – वैश्विक तापन, सागरीय प्रदूषण आदि! ग्लोबल वार्मिंग आज विश्व में ज्वलंत समस्या बनी हुई है! इस तापन का प्रभाव महासागरों पर भी पड़ता है! प्रवाल समुद्रों के अभिन्न अंग है! इनके जीवित रहने के लिए उच्च तापमान की आवश्यकता होती है!
प्रवाल न अधिक जल में और न अधिक ठंडे जल में पनप सकते हैं! प्रवाल अधिक गहराई में भी नहीं पनप सकते, क्योंकि 60-70 मीटर से अधिक गहराई में प्रवाल मर जाते हैं! प्रवालों को विकसित होने के लिए स्वच्छ जल और औसत सागरीय लवणता 27% से 30% होना चाहिए अन्यथा प्रवाल जीवित नहीं रह पाएंगे! इस प्रकार के उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर प्रवाल विरंजन के कई कारण सामने आते हैं –
(1) समुद्री जहाजों की धुलाई के कारण तेल जैसे हानिकारक पदार्थ समुद्री जल में मिल जाते हैं और यह पदार्थ समुद्री जीवों को हानि पहुंचाते हैं!
(2) बढ़ता तापमान प्रवालों के विकास को बाधित करता है!
(3) परमाणु शक्ति बनने की होड़ में किए जा रहे परमाणु परीक्षण भी प्रदूषण का एक अंग है, जिससे समुद्र जीवों और प्रवालों को हानि पहुंचती है!
(4) मनुष्य प्रवाल भित्ति की खुली खान से चूना पत्थर प्राप्त करता है तथा तेल प्राप्ति की खोज में बोरिंग करता है, जिससे गाद उत्पन्न होती है! इस प्रकार के कार्य प्रवाल के लिए खतरनाक होते हैं! क्योंकि प्रवाल गंदगी या गाद में अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं!
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