वित्तीय समावेशन क्या है? वित्तीय समावेशन के लाभ एवं अभाव से उत्पन्न चुनौतियां!

वित्तीय समावेशन क्या हैं (vittiya samaveshan kya hai) –

किसी भी देश के आर्थिक विकास का मुख्य आधार उस देश का बुनियादी ढांचा होता है! यदि बुनियादी ढांचा कमजोर हो तो कितना भी प्रयास किया जाए, व्यवस्था को मजबूत नहीं बनाया जा सकता हैं!

यही कारण है कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में विकास एवं उन्नति हेतु किए जाने वाले प्रयासों को बल प्रदान करने के लिए नीति निर्माताओं द्वारा एक ऐसे मार्ग का अनुसरण किया जाता है जिसके माध्यम से सरकार आम आदमी को अर्थव्यवस्था में औपचारिक माध्यम से शामिल कर सके! 

वस्तुतः यही कारण है कि वित्तीय समावेशन के तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को भी आर्थिक विकास के लाभों से संबद्ध किया जा सके, कोई भी व्यक्ति आर्थिक सुधारों वंचित ना रहे! 

इसके तहत देश के प्रत्येक नागरिक को अर्थव्यवस्था की मुख्य धारा में शामिल करने का प्रयास किया जाता है ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि गरीबों आदमी को बचत करने के साथ-साथ विभिन्न वित्तीय उत्पादों में सुरक्षित निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके!    

वित्तीय समावेशन के उद्देश्य (vittiy samaveshan ke uddeshya) –  

वित्तीय समावेशन का उद्देश्य ग्रामीणो तक बैंकिंग सेवाएं प्रदान कर उन्हें देश की अर्थव्यवस्था से जोडना, रोजगारपरक और गरीबी उन्मूलन से संबंधित योजनाओं को बैंक के माध्यम से गरीबों तक पहुंचाना, गरीबों को महाजनों और साहूकारों के चंगुल से बचाना, शहरी और अर्धशहरी क्षेत्र के गरीबों को बैकिंग सेवाएं प्रदान करनाकरना और बैकिंग से वंचित लोगों को वित्तीय सुविधाएं उपलब्ध कराना! 

वित्तीय समावेशन के अभाव से उत्पन्न चुनौतियां (vittiy samaveshan ke abhav se utpann chunotiyon) – 

vittiy samaveshan के अभाव से उत्पन्न चुनौतियां इस प्रकार है –

(1) वस्तुतः किसी व्यवस्था में वित्तीय समावेशन का अभाव होना समाज एवं व्यक्ति दोनों के लिए हानिकारक होता है! 

(2) चूकिं अनौपचारिक बैंकिंग ढांचा कानून के परदे से बाहर होता है या तो उधार देने वालों और उधार लेने वालों के बीच उत्पन्न किसी भी  प्रकार के विवाद का कानूनी तरीके से निपटारा नहीं किया जा सकता है! 

(3) वित्तीय समावेशन के अभाव में बैंकों की सुविधा लोग मजबूरीवश अनौपचारिक बैंकिंग क्षेत्र से जुड़ने के लिए बाध्य हो जाते हैं! इन क्षेत्रों की दरें भी अधिक होती है और उधार दी गई राशि की मात्रा भी काफी कम होती है! 

वित्तीय समावेशन के लाभ (vittiy samaveshan ke labh) – 

vittiy samaveshan के लाभ इस प्रकार हैं –

(1) इससे देश को पूंजी निर्माण की दर में वृद्धि करने में सहायता प्राप्त होती है! 

(2) आम आदमी को अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में शामिल किए जाने से देश की अर्थव्यवस्था को बहुत से लाभ प्राप्त होते हैं! 

(3) इसके फलस्वरूप होने वाले धन के प्रवाह से देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलने के साथ-साथ आर्थिक क्रियाकलाप को भी संवर्धन प्राप्त होता है! 

(4) वित्तीय समावेशन से सरकार को सरकारी सब्सिडी तथा कल्याणकारी कार्यक्रमों में अंतराल एवं हेरा-फेरी पर रोक लगाने में मदद मिलती है, क्योंकि इससे सरकार उत्पादों पर सब्सिडी देने के बजाय सब्सिडी की राशि सीधे लाभार्थी के खाते में अंतरिम कर सकती है! 

(5) यह औपचारिक ऋण तक आसान पहुंच की सुविधा के माध्यम से सूद पर धन देने वाले साहूकारों द्वारा कमजोर वर्ग के शोषण को कम करता है! 

वितीय समावेशन में वृद्धि हेतु किये जाने वाले प्रयास –

निम्न प्रयासों द्वारा वित्तीय समावेशन को सुधारा जा सकता हैं –

वित्तीय समावेशन हेतु डिजिटलीकरण की दिशा में बढ़ने के साथ ही देश में साइबर सुरक्षा और डेटा सुरक्षा व्यवस्था को मज़बूत करने की भी आवश्यकता है।

देश के प्रत्येक कोने में बैंकिंग शाखाओं की स्थापना करने में अधिक समय लग सकता है। ऐसे में भावी ग्राहकों तक बैंकिंग गतिविधियों की पहुँच सुनिश्चित करने के लिये ‘बैंकिंग संवाददाता मॉडल’ का उपयोग किया जा सकता है।

इस प्रकार, बैंकिंग संवाददाताओं के लिये बेहतर मौद्रिक प्रोत्साहन के साथ-साथ उन्हें बेहतर प्रशिक्षण प्रदान करने की आवश्यकता है।

जैम त्रयी योजना के साथ उचित तकनीकी विकास को जोड़कर एक डेटा शेयरिंग फ्रेमवर्क की स्थापना की जा सकती है।

विभेदीकृत बैंक जैसे- भुगतान बैंक और छोटे वित्त बैंक पिछड़े क्षेत्रों में भुगतान प्रणाली को बढ़ाने में कारगर विकल्प साबित हो सकते हैं।

‘वित्तीय समावेशन हेतु राष्ट्रीय कार्यनीति निर्माण की प्रक्रिया एक प्रभावी कदम साबित हो सकती है।

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