अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली क्या है (adhyakshatmak shasan pranali kya hai)
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली (adhyakshatmak shasan pranali) या राष्ट्रपति सरकार को ‘गैर-संसदीय’ या ‘गैर-उत्तरदाई’ या ‘निश्चित कार्यकारी व्यवस्था’ भी कहा जाता हैं। राष्ट्रपति शासन व्यवस्था में कार्यपालिका अपनी नीतियों एवं कार्यों के लिए विधायिका के प्रति उत्तरदाई नहीं होती और यह संवैधानिक रूप से अपने कार्यकाल के मामले में विधायिका से स्वतंत्र होती है!
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली वाले देश –
यह शासन प्रणाली ब्राजील, अमेरिका, श्रीलंका, रूस आदि में प्रचलित है!
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली की प्रमुख विशेषताएं (adhyakshatmak shasan pranali ki visheshtaen)-
भारतीय संविधान के विपरीत अमेरिकी संविधान सरकार में राष्ट्रपति शासन की व्यवस्था करता है अमेरिका राष्ट्रपति शासन व्यवस्था वाली सरकार की विशेषताएं इस प्रकार है –
(1) राष्ट्रपति का निर्वाचन व्यवस्था के तहत 4 वर्ष के निश्चित कार्यकाल के लिए निर्वाचित किया जाता है! उसे कांग्रेस द्वारा गैर संवैधानिक कार्य के लिए दोषी पाए जाने के अतिरिक्त नहीं हटाया जा सकता!
(2) राष्ट्रपति कैबिनेट या किचन केबिनेट के माध्यम से शासन का संचालन करता है! यह केवल एक परामर्शदात्री इकाई होती है और इसमें गैर निर्वाचित विभागीय सचिव भी हो सकते हैं! इनका चयन एवं नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और एक केवल राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदाई होते हैं और उसी के द्वारा किसी भी समय इन्हें हटाया जा सकता है!
(3) अमेरिकी राष्ट्रपति राज्य और सरकार दोनों का मुखिया होता है! एक राज्य का मुखिया होने के नाते उसे राज्य की स्थिति प्राप्त होती है और सरकार का मुखिया होने के नाते वह सरकार के कार्यकारी अंगो का नेतृत्व करता है
(4) शक्तियों के विभाजन का सिद्धांत अमेरिका राष्ट्रपति शासन व्यवस्था का आधार है! सरकार के विधायी, कार्यकारी एवं न्यायिक शक्तियां को सरकार की 3 स्वतंत्र इकाइयों में विभाजित एवं विस्तृत किया गया है!
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली के दोष (adhyakshatmak shasan pranali ke dosh) –
राष्ट्रपति शासन प्रणाली के दोष इस प्रकार हैं –
(1) राष्ट्रपति शासन प्रणाली व्यवस्थापिका तथा कार्यपालिका दोनों से स्वतंत्र होने के कारण दोनों के मध्य कोई सहयोग नहीं होता है! इस प्रणाली के अंतर्गत यह भी संभावना है कि कार्यपालिका एवं व्यवस्थापिका पर दो विभिन्न दलों का नियंत्रण हो!
(2) राष्ट्रपति शासन प्रणाली में व्यवस्थापिका उत्तरदाई नहीं होती हैं! व्यवस्थापिका या सामान्य जनता कार्यपालिका की नीतियों के संबंध में कोई भी नियंत्रण रखने में सक्षम नहीं होते हैं! व्यवस्थापिका के सदस्य न तो राष्ट्रपति और न ही उसके मंत्रियों से प्रश्न पूछ सकते हैं और नहीं शासनाध्यक्ष को पद से हटा सकते हैं!
(3) राष्ट्रपति शासन प्रणाली के अंतर्गत शासन की कमियों पर दायित्व निश्चित करना कठिन होता है! कार्यपालिका और व्यवस्थापिका दोनों एक दूसरे पर भूलो और गलतियों के लिए दायित्व डालते रहते हैं!
(4) राष्ट्रपति शासन प्रणाली बाहय क्षेत्रों में कमजोर होती है!राष्ट्रपति युद्ध की घोषणा नहीं कर सकता और यह अधिकार या शक्ति व्यवस्थापिका में सन्निहित होती है! इस प्रकार राष्ट्रपति दूसरों देशों से संधि कर सकता है परंतु वह कानूनी रूप से सार्थक तब तक नहीं हो पाती जब तक उन्हें व्यवस्थापिका के द्वारा प्रमाणित न कर दिया जाए!