एकात्मक शासन व्यवस्था किसे कहते हैं (Unitary government in hindi) –
एकल य एकात्मक शासन व्यवस्था वह है जिसमें समस्त शक्तियां एवं कार्य केंद्र सरकार और क्षेत्र सरकार में निहित होती हैं! फ्रांस, ब्रिटेन, जापान, चीन, इटली, बेल्जियम, नार्वे, स्वीडन, स्पेन आदि में सरकार का एकात्मक स्वरूप पाया जाता है!
एकात्मक शासन व्यवस्था की परिभाषा (ekatmak shasan vyavastha ki paribhasha) –
डायसी के अनुसार – “एकात्मक राज्य में कानून बनाने की समस्त शक्तियां केंद्रीय सत्ता के हाथों में निवास करती है! “
फाइनर के अनुसार – “एकात्मक शासन व शासन है जिसमें संपूर्ण सकता शक्ति केंद्र में निहित होती है और जिसकी इच्छा एवं अभिकरण पूर्ण क्षेत्र पर वैध रूप से माननीय होते हैं!”
संविधान की एकात्मक शासन व्यवस्था के लक्षण या विशेषताएं (ekatmak shasan ke lakshan) –
उपरोक्त संघीय ढांचे के अलावा भारतीय संविधान की निम्नलिखित एकात्मक या गैर- संघीय शासन व्यवस्था की विशेषता इस प्रकार है –
(1) एकल संविधान –
सामान्यता एक संघ में राज्यों को केंद्र सेट कर अपना संविधान बनाने का अधिकार प्राप्त होता है परंतु भारत में राज्यों को इस प्रकार की कोई शक्ति प्रदान नहीं की गई है! भारत का संविधान सिर्फ केंद्र के लिए नहीं, बल्कि राज्यों के लिए भी समान रूप से लागू होता है! राज्य एवं केंद्र दोनों को इसी एक ढांचे का पालन करना अनिवार्य है!
(2) सशस्त्र केंद्र –
संविधान द्वारा शक्तियों का विभाजन केंद्र के पक्ष में है, जो कि संघीय दृष्टिकोण से काफी विरुद्ध है! प्रथमतः केंद्र सूची में राज्य के मुकाबले ज्यादा विषय है! दूसरा, केंद्रीय सूची में ज्यादा महत्वपूर्ण विषय शामिल है! तीसरा, समवर्ती सूची में केंद्र को पर रखा गया है तथा आपातकालीन स्थिति में केंद्र सरकार को संपूर्ण शक्तियां प्राप्त होती है! इस तरह संविधान केंद्र को सशक्त बनाता है
(3) संविधान का लचीलापन –
अन्य संघीय प्रणाली की तुलना में भारतीय संविधान में संशोधन की प्रक्रिया कम कठोर है! संविधान को एक बड़े हिस्से को, संसद द्वारा साधारण या विशेष बहुमत द्वारा एकल प्रणाली से संशोधित किया जा सकता है! यानी संविधान संशोधन की अधिकतम शक्ति केंद्र के हाथ में है!
(4) आपातकालीन उपबंध –
भारतीय संविधान में तीन तरह के आपातकाल की व्यवस्था की गई है राष्ट्रीय, राज्य एवं वित्त! आपातकाल के दौरान केंद्र सरकार के पास समस्त शक्तियां आ जाती है और राज्य, केंद्र के पूर्ण नियंत्रण में आ जाते हैं! यह बिना किसी संविधान संशोधन के संघीय ढांचे को एकल ढांचे में बदल देता है! ऐसी व्यवस्था किसी अन्य संघ में नहीं पाई जाती है!
(5) एकल नागरिकता –
दोहरी शासन व्यवस्था के बावजूद भारत का संविधान, कनाडा की तरह एकल नागरिकता व्यवस्था को अपनाता है! यहां केवल भारतीय नागरिकता है, कोई अन्य पृथक राज्य नागरिकता नहीं है! विश्व के अन्य संघीय व्यवस्था वाले देशों में जैसे- अमेरिका, स्विजरलैंड एवं आस्ट्रेलिया में दोहरी नागरिकता ( केंद्र एवं राज्य नागरिकता) का प्रावधान है!
(6) राज्यपाल की नियुक्ति –
राज्यपाल राज्य का प्रमुख होता है, राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है! वह केंद्र के एजेंट के रूप में कार्य करता है, राज्यपाल के माध्यम से केंद्र, राज्य पर नियंत्रण रखता है! इसके विपरीत अमेरिका में राज्य का प्रमुख निर्वाचित होते हैं, इस संदर्भ में भारत ने कनाडाई प्रणाली को अपनाया गया है!
(7) एकीकृत न्यायपालिका –
भारत का संविधान एक ऐसी न्यायपालिका की स्थापना करता है, जो अपने आप में एकीकृत होने के साथ-साथ स्वतंत्रता है! भारत की न्याय व्यवस्था में सर्वोच्च न्यायालय शीर्ष पर हैं! न्यायालय का एकल तंत्र, केंद्रीय कानूनों के साथ-साथ राज्य कानूनों को लागू करता है! दूसरी ओर, अमेरिका में न्यायालयों की दोहरी व्यवस्था है! संघीय कानून, संघीय न्यायपालिका और राज्य कानून, राज्य न्यायपालिका द्वारा लागू किया जाते हैं!
एकात्मक शासन व्यवस्था के दोष (ekatmak shasan vyavastha ke dosh –
(1) लोकतंत्र की भावना के विरुद्ध –
एकात्मक शासन प्रणाली लोकतंत्र की भावना के विरुद्ध है. क्योंकि इसमें प्रांतीय अथवा स्थानीय स्वशासन को वह महत्व नहीं मिलता है, जो लोकतंत्र में मिलता है!
(2) स्थानीय संस्थाओं के क्रियाकलापों पर प्रतिबंध –
एकात्मक शासन व्यवस्था में शासन में इतनी कठोरता और अंकुश रहता है कि इससे स्थानीय संस्थाओं के क्रियाकलापों पर प्रतिबंध लग जाता है और उनकी स्वायत्तता लगभग समाप्त हो जाती है!
(3) कार्यों के प्रति उदासीनता –
एकात्मक शासन प्रणाली में जनता को सार्वजनिक कार्य में भागीदारी का पूर्ण अवसर प्राप्त नहीं हो पाता है, जिसके कारण जनता सार्वजनिक कार्यों के प्रति उदासीन रहती है! जनता को प्रशासनिक कार्यों में भाग लेने का अवसर प्राप्त न होने के कारण उन्हें राजनीतिक ज्ञान प्राप्त नहीं हो पाता हैं!
(4) शासन की निरंकुशता का भय –
एकात्मक शासन प्रणाली में शासन की निरंकुशता का भय सदैव बना रहता है क्योंकि शासन की समस्त शक्तियां केंद्र के पास नहीं होती है! केंद्र अपनी शक्तियों को बढ़ाकर निरंकुश न हो जाए और शासन के सभी क्षेत्रों में अपनी मनमानी न करने लगे, इस बात की संभावना हमेशा बनी रहती है!
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