उपग्रह एवं अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (Satellite Space Technology in hindi UPSC) –
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अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्या है (What is space technology in hindi Mppsc) –
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अंतरिक्ष विज्ञान या एयरोस्पेस इंडस्ट्री द्वारा स्पेस फ्लाइट, उपग्रहों या अंतरिक्ष अन्वेषण में उपयोग हेतु विकसित प्रौद्योगिकी है! अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अंतर्गत मुख्य रूप से अंतरिक्ष यानों, कृत्रिम उपग्रह, अंतरिक्ष स्टेशनों, अंतरिक्ष अनुसंधान में आवश्यक संरचनाओं का विकास करना आदि सम्मिलित है!
- अंतरिक्ष विज्ञान द्वारा स्पेस फ्लाइट ,उपग्रहों या अंतरिक्ष अन्वेषण में उपयोग की जाने वाली प्रौद्योगिकी की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी लाती है (Satellite Space Technology)
- अंतरिक्ष एक विशाल त्रिविमीय क्षेत्र है जो पृथ्वी के वायुमंडल की समाप्ति की सीमा से आरंभ होता है!
- भारत में 1960 के दशक में प्रारंभिक वर्षों में अंतरिक्ष अनुसंधान की शुरुआत मुख्यतः साउंडिंग रॉकेट की मदद से हुई ! (Satellite Space Technology)
- 1962 में डॉ विक्रम साराभाई तथा डॉ रमनाथन के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति का गठन किया गया!
- डॉ विक्रम साराभाई को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है !
- भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति का पुनर्गठन कर के 15 अगस्त 1969 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो की स्थापना की गई! इसरो का मुख्यालय बेंगलुरु में है !
- अंतरिक्ष आयोग का गठन 1972 में किया गया !
- भारत सरकार द्वारा अंतरिक्ष विभाग का गठन जून 1972 में किया गया!
- SITE – Satellite Instructional Television Experiment !
- STEP – Satellite Telecommunication Experiments Project !
- 1992 में भारत सरकार द्वारा पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी एंट्रीक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड का गठन किया गया!
- भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना विक्रम साराभाई ने 1947 में अहमदाबाद गुजरात में की थी ! यह अंतरिक्ष विभाग द्वारा सहयोग प्राप्त एक स्वायत्त संस्था है !
- सेमीकंडक्टर लेबोरेटरी चंडीगढ़ पंजाब में स्थित है अंतरिक्ष विभाग भारत सरकार के अधीन स्वायत्तशासी संस्था है , यह माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र अनुसंधान और विकास के लिए देश की सामरिक आवश्यकता को पूरा करने के कार्य से जुड़ी है
- राष्ट्रीय वायुमंडल अनुसंधान संस्थान प्रयोगशाला तिरुपति आंध्रप्रदेश में है !
- उत्तर-पूर्वी अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र उमियाम शिलांग मेघालय में स्थित है !
- भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान का उद्घाटन 14 सितंबर 2007 को अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया !
- एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड को सितंबर 1992 में अंतरिक्ष उत्पाद और तकनीकी परामर्श सेवाओं और ईश्वर द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी वाणिज्य दोहान एवं प्रचार प्रसार के लिए सरकार के स्वामित्व में एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में स्थापित किया गया था! इसे 2008 में भारत सरकार द्वारा लघु रत्न कंपनी का दर्जा दिया गया ! (Satellite Space Technology)
इसरो के प्रमुख केंद्र –
- विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र तिरुअनंतपुरम केरल में स्थित है !
- सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा आंध्रप्रदेश में स्थित है!
- द्रव प्रबंधन प्रणाली केंद्र वलीयमाला तिरुअनंतपुरम और बेंगलुरु में विस्तारित है!
- अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र अहमदाबाद स्थित है
- राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र की स्थापना 1 सितंबर 2008 को हैदराबाद में की गई !
- विकास और शैक्षिक संचार यूनिट अहमदाबाद में स्थित है !
- इसरो की मुख्य नियंत्रण सुविधा ( मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी ) का नाटक के हासन और मध्यप्रदेश के भोपाल में स्थित है!
- लैबोरेट्री फॉर electro-optical सिस्टम बेंगलुरु में स्थित है प्रथम भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट का निर्माण यहीं पर किया गया था !
- इसरो नोदन कॉम्पलेक्स तमिलनाडु तिरुनेलवेली जिले के कन्याकुमारी के पास महेंद्र गिरी की पहाड़ियों में स्थित है! यह इसरो केंद्र व नॉर्दर्न प्रणाली का मुख्य परीक्षण केंद्र है!
- इसरो जड़त्वीय प्रणाली यूनिट तिरुअनंतपुरम में स्थित है!
कक्षा –
- कक्षा अंतरिक्ष में स्थित एक बिंदु के आसपास के मार्ग को कहते हैं, जिस पर चलकर कोई वस्तु उस बिंदु की परिक्रमा करती है
- ऊंचाई के आधार पर कक्षाएं चार प्रकार की होती है निम्न भू-कक्षा, मध्यम भू-कक्षा,भू-तुल्यकालिक कक्षा, भू- स्थैतिक कक्षा!
- निम्न भू- कक्षा पृथ्वी सतह से लगभग 200 से 2000 किलोमीटर की ऊंचाई में स्थित होती है इसे ध्रुवीय कक्षा भी कहते हैं!
- मध्य भू- कक्षा पृथ्वी सतह से लगभग 2000 से 35786 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है ! इस ऊंचाई पर उपग्रह लगभग 12 घंटे में कक्षा पूर्ण कर लेते हैं!
- भू-तुल्यकालिक कक्षा धरती के चारों ओर 36000 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित दीर्घवृत्ताकार कक्षा है, जिसमें घूमने वाले पिंड का आवर्तकाल लगभग 24 घंटे का है!
- भू- स्थैतिक कक्षा पृथ्वी से लगभग 36,000 कि. मी.की ऊंचाई पर स्थित संचार तथा मौसम उपग्रह की कक्षा में स्थापित किया जाता है !
- सूर्य तुल्यकालिक कक्षा एक ऐसी भू केंद्रीय कक्षा है जिसकी ऊंचाई तथा झुकाव किस प्रकार संयोजित होता है एक कि उसमें तीर्थों पूरा सदैव सूर्य के प्रकाश का सामना करें!
- भू-तुल्यकालिक स्थानांतरण कक्षा से कम ऊंचाई पर स्थित एक प्रकार की अति दीर्घवृत्ताकार कक्षा होती है जहां तक उपग्रहों को प्रमोशन यान की सहायता से पहुंचा दिया जाता है!
- ट्रांसपोर्टर आपस में जुड़ी हुई अनेक यूनिटों जैसे – एंपलीफायर, फ्रीक्वेंसी, ट्रांसलेटर, फिल्टर आदि से मिलकर बना होता है!
- अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ द्वारा संचार हेतु में लाई जाने वाली सूक्ष्म तरंगों तथा रेडियो तरंगों को आवृत्तियों के आधार पर कुछ समूहों में बांट दिया गया है! इन समूह को बैंड कहते हैं! (Satellite Space Technology)
उपग्रह के मुख्य घटक –
- उपग्रह का वह हिस्सा जो पेलोड और संबंधित उपकरणों का वहन करता है, बस कहलाता है !
- उपग्रह अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए उपग्रह को एंटीना, कैमरा, रडार जैसे वैज्ञानिक उपकरणों की आवश्यकता होती है इन्हें पेलोड कहां जाता है! (Satellite Space Technology)
- उपग्रह का यह तंत्र उपग्रह को पृथ्वी के उस हिस्से की केंद्रित करता है इसके लिए उपग्रह का प्रक्षेपण किया जाता है वह ऊॅॅॅॅचाई नियंत्रण तंत्र कहलाता है
- ऊर्जा तंत्र उपग्रह के बाहर पैनलों में लगे हुए सोलर सेेेेलों से बिजली पैदा करता है!
- एक उपग्रह अंतरिक्ष में जाकर अपने संचालन के बारे में जो सोचना है पति और प्रेषित करता है उसे टेलिमेटरी कहा जाता है !
- राकेट ईधन के रूप में प्रयुक्त होने वाले पदार्थों को तकनीकी भाषा में प्रणोदक कहा जाता है !
भारत के उपग्रह प्रक्षेपण अभियान –
उपग्रह प्रक्षेपण यान ( SLV ) –
भारत में उपग्रह प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास का कार्यक्रम वर्ष 1979 में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निर्देशन में आरंभ हुआ slv-3 भारत का पहला प्रायोगिक उपग्रह प्रक्षेपण यान था इसे 18 जुलाई 1980 में सफलतापूर्वक श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया! इससे पहले 1980 में slv-3 की पहली उड़ान को आंशिक सफलता प्राप्त हुई थी ! (Satellite Space Technology)
संवर्द्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (ASLV ) –
Slv-3 के बाद भारत में संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान विकसित करने की कोशिश से प्रारंभ की भारत को तीसरी बार 20 मई 1952 में एएसएलवी D3 को प्रक्षेपित करने में सफलता प्राप्त हुई ! यह पांच चरणों वाला प्रक्षेपण यान था ,जो ठोस ईंधन से चलता था! (Satellite Space Technology)
ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV) –
उपग्रह प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास का उच्च स्तर पीएसएलवी के साथ शुरू हुआ और भारत ने वर्ष 1994 में पीएसएलवी डी2 द्वारा आईआरएस डी2 को सफलतापूर्वक ध्रुवीय कक्षा में प्रक्षेपित किया!
पीएसएलवी के निम्न संस्करण है – PSLV -G, PSLV-CA,
PSLV-XL,
भू – तुल्यकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान ( GSLV) –
जीएसएलवी द्वारा भारत द्वारा निर्मित 3 चरणों वाला प्रथ प्रक्षेपण यान है इसका उद्देश्य भारी संचार उपग्रह
को जीटीओ में स्थापित करना है ! जीएसएलवी मार्क 2 की प्रथम उड़ान 1530 किलोग्राम भार वाले जीसैट के प्रक्षेपण द्वारा 18 अप्रैल 2001 को संपन्न हुई ! (Satellite Space Technology)
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क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग राकेट और मिसाइलों में किया जाता है जहां ईधनों को क्रायोजेनिक तकनीक की मदद से तरल अवस्था में बदल दिया जाता है! (Satellite Space Technology)
जीएसएलवी मार्क 3 को फैट बॉय के नाम से भी जाना जाता है!
जीएसएलवी मार्क 2 को नॉटी बॉय के नाम से भी जाना जाता है !
कार्टोसैट उपग्रह को आई इन द स्काई के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसे अंतरिक्ष में तस्वीर लेने के लिए बनाया गया है(Satellite Space Technology)
चीनी वैज्ञानिकों द्वारा मिसियस क्वांटम उपग्रह का प्रयोग कर विश्व में पहली बार लंबी दूरी के बीच क्वांटम क्रिप्टोग्राफी को सफलतापूर्वक स्थापित किया गया है, जो क्वांटम एंटेंगलमेंट पर आधारित है
पान जियान वी को चीन में क्वांटम तकनीकी का पिता माना जाता है !
चंद्रयान 1 –
इसरो द्वारा 22 अक्टूबर 2008 को श्री हरीकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी सी11 के जरिए चंद्रयान को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया! इस उपलब्धि के साथ भारत अमेरिका ,रूस, यूरोप, जापान और चीन के बाद छटा देश हो गया जिसने चंद्रमा की सतह के अध्ययन के लिए अभियान संचालित किया!
चंद्रयान -1 चंद्रमा की कक्षा में 8 नवंबर 2008 को पहुंच गया(Satellite Space Technology)
चंद्रयान – 2 –
जीएसएलवी MK3 द्वारा श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से 22 जुलाई 2019 को chandrayaan-2 का सफल प्रक्षेपण किया गया यह चंद्रयान-1 का उन्नत संस्करण है परंतु यह मिशन पूर्णतः सफल नहीं हुआ !
आर्बिटर, लैंडर विक्रम, प्रज्ञान रोवर आदि chandrayaan-2 के भाग थे! (Satellite Space Technology)
मंगलयान मिशन –
मंगलयान मिशन को पीएसएलवी सी 25 के द्वारा प्रक्षेपित किया गया ! 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक मंगलयान के प्रवेश करने के साथ ही भारत विश्व का पहला राष्ट्रपति जिसने अपने प्रथम प्रयास में ही मंगल मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया! (Satellite Space Technology)
एस्ट्रोसेट –
खगोलीय सोच को समर्पित भारत का पहला बहु- तरंगदैर्ध्य अंतरिक्ष वेधशाला एस्ट्रोसेट को सितंबर 2015 में आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया ! यह मिशन एक ही समय में अल्ट्रावायलेट, ऑप्टिकल, लो एंड हाई एनर्जी एक्स रे वेवबैंड पर ब्रह्मांड की निगरानी करने में सक्षम है! (Satellite Space Technology)
IRNSS –
आरती क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली यह आई आर एन एस एस इसरो द्वारा विकसित एक स्वतंत्र रीजनल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम है जो पूर्णता भारत सरकार के अधीन है इसका नाम नाविक है!
गगन –
भारत का उपग्रह आधारित हवाई यातायात संचालन तंत्र है इसे इसरो और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा विकसित किया गया है ! गगन भूमध्य रेखा क्षेत्र में सेवा उपलब्ध कराने वाले विश्व का पहला एसबीएएस तंत्र बन गया है ! (Satellite Space Technology)
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