सर्वोच्च न्यायालय का गठन, शक्तियां एवं क्षेत्राधिकार का वर्णन कीजिए

सर्वोच्च न्यायालय का गठन – 

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संविधान के अनुच्छेद 124 में सर्वोच्च या उच्चतम न्यायालय के गठन के संबंध में प्रावधान किया गया है, जिसमें यह कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश तथा सात अन्य न्यायाधीश होंगे तथा संसद समय-समय पर न्यायाधीशों की संख्या का निर्धारण कर सकती है! वर्तमान समय में उच्चतम न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और 33 अन्य न्यायाधीश है।

फरवरी, 2009 में केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में कुल न्यायाधीशों की संख्या 26 से बढ़ाकर 31 कर दी है जिसमें मुख्य न्यायाधीश भी शामिल है। यह वृद्धि उच्चतम न्यायालय (न्यायाधीशों की संख्या) संशोधन अधिनियम, 2008 के अंतर्गत की गई है। 

सर्वोच्च न्यायालय का स्थान – 

सर्वोच्च न्यायालय का स्थान (sarvoch nyayalaya ka sthan)- 

उच्चतम न्यायालय की मुख्य पीठ नई दिल्ली में स्थित है, लेकिन यह नहीं दिल्ली के अतिरिक्त किसी अन्य स्थान पर भी सुनवाई कर सकता है। इस अन्य स्थान का निर्धारण मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति के अनुमति से कर सकता है। 

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की योग्यता – 

उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए किसी व्यक्ति में निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए। 

1. वह भारत का नागरिक होना चाहिए। 

2. वह किसी उच्च न्यायालय में लगातार कम से कम 5 वर्ष तक न्यायाधीश रह चुका हो,या किसी उच्च न्यायालय में लगातार 10 वर्षों तक अधिवक्ता रहा हो। 

3. राष्ट्रपति के मत से उसे सम्मानित न्यायवादी होना चाहिए

उपरोक्त से यह स्पष्ट है कि संविधान में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम आयु का उल्लेख नहीं है।

सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति –   

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति अन्य न्यायाधीशों एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सलाह के बाद करता है। इसी तरह अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति भी होती है। मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश का परामर्श आवश्यक है। 

न्यायाधीशों की शपथ – 

उच्चतम न्यायालय के लिए नियुक्त न्यायाधीशों को अपना कार्यकाल संभालने से पूर्व राष्ट्रपति इस कार्य के लिए उसके द्वारा नियुक्त व्यक्ति के सामने निम्नलिखित शपथ लेनी होगी कि मैं-  

1. भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा।

2. भारत की प्रभुता एवं अखंडता को अक्षुण्ण रखूंगा।

3. अपनी पूरी योग्यता ज्ञान और विवेक से अपने पद के कर्तव्यों भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना पालन करूंगा।

4. संविधान और विधियों की मर्यादा बनाए रखूंगा।  

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल –

संविधान में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल तय नहीं किया गया हालांकि इस संबंध में निम्नलिखित तीन उपबंध बनाए गए हैं-

1. वह 65 वर्ष की आयु तक पद पर बना रह सकता है। उस मामले में किसी प्रश्न के उठने पर संसद द्वारा स्थापित संस्था इसका निर्धारण करेगी। 

2. वह राष्ट्रपति को लिखित त्यागपत्र दे सकता है।

3. संसद की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा उसे पद से हटाया जा सकता है। 

सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियां एवं क्षेत्राधिकार – 

1. प्रारंभिक क्षेत्राधिकार:- 

 यह निम्न मामलों में प्राप्त है-

1. भारत संघ तथा एक या एक से अधिक राज्यों के मध्य उत्पन्न विवादों में।

2. भारत संघ तथा कोई एक राज्य अनेक राज्यों और एक या एक से अधिक राज्यों के बीच विवादों में। 

3. दो या दो से अधिक राज्यों के बीच ऐसे विवाद में, जिसमें उनके वैधानिक अधिकारों का प्रश्न निहित है।

आरंभिक क्षेत्राधिकार के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय उसी विवाद को निर्णय के लिए स्वीकार करेगा, जिसमें किसी तथ्य या विधि का प्रश्न शामिल है  

2. अपीलीय क्षेत्राधिकार – 

देश का सबसे बड़ा अपीलीय न्यायालय उच्चतम न्यायालय है। इसे भारत के सभी उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध अपील सुनने का अधिकार है। इसके अंतर्गत तीन प्रकार के प्रकरण आते हैं 

1. सांविधानिक

2. दीवानी और

3. फौजदारी। 

4. परामर्शदात्री क्षेत्राधिकार- 

(A) संवैधानिक मामले –

संवैधानिक मामलों में उच्च न्यायालय का निर्णय के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में तभी अपील की जा सकती है, जब संविधान की व्याख्या से संबंधित विधि के किसी महत्वपूर्ण प्रश्न पर अनेक उच्च न्यायालय के भिन्न-भिन्न निर्णय दिए हो और उच्चतम न्यायालय ने अपना निर्णय नही दिया हो!

राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह सार्वजनिक महत्व के विवादों पर उच्चतम न्यायालय का परामर्श मांग सकता है (अनुच्छेद-143)। न्यायालय के परामर्श को स्वीकार या अस्वीकार करना राष्ट्रपति के विवेक पर निर्भर करता 

(B) दीवानी मामले –

संविधान के अनुच्छेद 133 अनुसार भारत के राज्य क्षेत्र में स्थित किसी उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में अपील की जा सकती है, जब उच्च न्यायालय यह प्रमाणित कर दे कि –

(1) मामलों में विधि या सार्वजनिक महत्व का कोई सारभूत प्रश्न सम्मिलित हो!

(2) मामले का निर्णय उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जाना आवश्यक है!

4. पुनर्विचार संबंधित क्षेत्राधिकार- 

संविधान के अनुच्छेद-137 के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय को यह अधिकार प्राप्त है कि वह स्वयं द्वारा दिए गए आदेश या निर्णय पर पुनर्विचार कर सके तथा यदि उचित समझे तो उसमें आवश्यक परिवर्तन कर सकता है।

5. अभिलेख न्यायालय- 

संविधान का अनुच्छेद-129 उच्च न्यायालय को अभिलेख न्यायालय का स्थान प्रदान करता है। इसका आशय यह है कि इस न्यायालय के निर्णय साक्षी के रूप में स्वीकार किए जायेंगे और इसकी प्रमाणिकता के विषय में प्रश्न नहीं किया जायेगा अभिलेखीय न्यायालय के रूप में उच्चतम न्यायालय के पास दो शक्तियां हैं –

(1) उच्चतम न्यायालय की कार्यवाही, निर्णय और अभिलेख साक्ष्य के रूप में रखे जाएंगे! 

(2) उच्चतम न्यायालय को अपनी अवमानना के लिए दंडित करने का अधिकार होगा! 

6. मौलिक अधिकारों का रक्षक:- 

भारत का उच्चतम न्यायालय नागरिकों के मौलिक अधिकारों का रक्षक है। अनुच्छेद-32 सर्वोच्च न्यायालय को विशेष रूप से उत्तरदायी ठहराता है कि वह मौलिक अधिकारों को लागू कराने के लिए आवश्यक कार्रवाई करें। न्यायालय मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध अधिकार पृच्छा-लेख और उत्प्रेषण के लेख जारी कर सकता ।

सर्वोच्च न्यायालय से संबंधित प्रश्न उत्तर

प्रश्न :- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति कौन करता है?

उत्तर :- उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति अन्य न्यायाधीशों एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सलाह के बाद करता है।

प्रश्न :- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का वेतन कितना है?

उत्तर :- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का वेतन 2,80,000₹ है, जो कि भारत की संचित निधि से दिया जाता हैं!

प्रश्न :- सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार में कौन वृद्धि कर सकता है?

उत्तर :- सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार में संसद वृद्धि कर सकता है!

प्रश्न :- भारतीय सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना कब हुई थी?

उत्तर :- भारतीय सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना 28 जनवरी, 1950 हुई थी! 28 जनवरी, 1950 को संसद भवन के ‘चेंबर ऑफ प्रिसेस’ में पहली बार सर्वोच्च न्यायालय की बेंच बैठी थी। इससे पहले ‘फेडरल कोर्ट ऑफ इंडिया’ देश की सबसे बड़ी न्यायिक संस्था थी। वर्ष 1937 में स्थापित फेडरल कोर्ट ऑफ इंडिया को 28 जनवरी 1950 के दिन भारत का उच्चतम न्यायालय बनाया गया था।

प्रश्न :- सर्वोच्च न्यायालय कहां है?

उत्तर :- सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली में है!

प्रश्न :- सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश कौन थी?

उत्तर :- सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति फातिमा बीबी थी! न्यायमूर्ति फातिमा बीबी वर्ष 1989 में इस पद पर नियुक्त होने वाली पहली भारतीय महिला हैं।

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