संघनन किसे कहते हैं (sanghanan kise kahate hain) –
जलवाष्प के घनीभूत होकर जल में बदलने की प्रक्रिया को संघनन कहते हैं अर्थात जलवाष्प का पुनः द्रव या ठोस रूप में परिवर्तित होना, संघनन कहलाता है! वाष्पीकरण में जल से वाष्प बनती है जबकि संघनन में वाष्प से जल रूप में परिवर्तन होता हैं! संघनन वायुमंडल में उपस्थित सापेक्षिक आर्द्रता की मात्रा पर निर्भर करता हैं!
संघनन के प्रकार या रूप (sanghanan ke prakar) –
(1) ओस
(2) पाला
(3) कोहरा
(4) धुंध
(5) बादल
(1) ओस क्या है (ounce) –
रात्रि में ठंडी हुई भूमि से जब आर्द्र वायु संपर्क में आती है तो स्वयं भी शीतल होने लगती है! जिससे आर्द्र वायु में भूमि के निकट संघनन की क्रिया प्रारंभ हो जाती है! सर्दियों में जब रातें लंबी होती है तथा तापमान तेजी से नीचे गिरता है तो वायु में उपस्थित जलवाष्प धुआँ या धूल के कणों के चारों ओर जल कण के रूप में एकत्रित होते जाते हैं! ये जल कण पेड़-पौधों के पत्तों एवं घास पर ठहरने लगते हैं! ऐसा तब होता है जब तापमान और नीचे गिरता जाता है! यह ओस कहलाती है!
2) पाला या हिम कण (frost)-
जब संघनन क्रिया के समय भूमि के निकट की वायु के तापमान हिमांक बिंदु (0 सेंटीग्रेड) तक नीचे गिर जाते हैं तो पौधों के तनाव एवं भूमि में उपस्थित जल जमने लगता है यही पाला कहलाता है।जल जमने पर उसका आयतन 1/16 बढ़ जाता है अतः पौधे की नसें फटने लगती है, इसे ही पौधे पर पाला गिरना कहते है।
इसी प्रकार यदि यही क्रिया वायुमंडल में हो तो कपासी मेघों में संघनन व संवहन क्रिया से ओला या बर्फ जम जाती है, अन्यथा वायुमंडल के तापमान जब हिमांक बिंदु से नीचे पहुंच जाते हैं तो बादलों में हिमकण एकत्रित हो जाते हैं। यही पहली दशा ओलावृष्टि तथा बात की दशा को हिमपात कहते हैं।
(3) कोहरा किसे कहते हैं (kohra kise kahate hain) –
संक्षेप में या सरल भाषा में धरातल पर बादल निर्माण की क्रिया को कोहरा कह सकते हैं। धरातल के निकट नमीयुक्त वायु जब तेजी से ठंडी होने लगती है तो कोहरा बनने लगता है।
अद्धोष्ण व उष्ण-शीतोष्ण प्रदेशों में सर्दियों में एवं शीत-शीतोष्ण प्रदेशों में ठंडे धरातल पर उष्ण व आर्द्र वायु के प्रवेश से वायु की नमी शीघ्र शीतल होने लगती है और कोहरा दिखाई देने लगता है। कोहरे में वाष्प कण जल कण में बदलकर वायुमंडल को धुंधला या अदृश्य- सा बना देते हैं। सर्दियों की रातों में पिछले प्रहर में जब आद्र पवनों के तापमान अधिक नीचे गिरते हैं तो कोहरा बनता है यदि नमी अधिक हो तो कोहरा घना भी हो सकता है!
सभी प्रकार की कोहरे में दृश्यता तेजी से घटती है। यदि 1-2 किलोमीटर तक का दृश्य दिखाई दे तो उसे छिछला कोहरा या कुहासा एवं जब आधे से 1 किलोमीटर तक दिखाएं मैं तो उसे साधारण कोहरा एवं जब 250-300 मीटर तक ही दिखाई दे तो उसे घना कोहरा कहते हैं ऐसी दशा में वायु यातायात संभव नहीं है। इससे अधिक दृश्यता घटने पर सड़क यातायात भी कठिन हो जाता है।
(4) धुंध क्या है (dhundh kya hota hai) –
यह कोहरे का ही एक रूप है जब जल वाष्प एवं धुंए के बादल का आकार इतना बढ़ जाय कि सूर्य को किरणों को पृथ्वी तक पहुंचने में बाधा पड़ने लगती है एवं 1-2 किलोमीटर दूर की वस्तुएं भी दिखाई नहीं देती तो उसे धुंन्ध कहा जाता है।
” संघनन क्रिया के कारण जल वाष्प के छोटे कण जल के रूप में वायु में अधिक लंबे समय तक लटके रहते हैं, जिसे धुंन्ध कहते हैं।”
(4) मेघ या बादल (Badal) –
मेघ या बादल धरातल से प्रर्याप्त उंचाई पर घने कोहरे की भांति किंतु अलग-अलग आकृतियों में फैले एवं विविध स्वरूप वाले होते हैं। जब जल भरी या विशेष आर्द्र पवने किसी भी कारण से ऊपर उठने लगती है तो उनमें संधनन की क्रिया प्रारंभ हो जाती है और भिन्न-भिन्न ऊंचाइयों पर भिन्न-भिन्न प्रदेशों में विविध प्रकार के बादल बनने लगते हैं। उष्ण कटिबन्ध में बादलो ऊंचाई 3 से 7.5 हजार मीटर एवं शीत-शीतोष्ण कटिबंध में 2.5 से 5 हजार मीटर के मध्य रहती है।
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