सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या हैं (public distribution system in hindi)-
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (public distribution system) का आशय उस प्रणाली से है, जिसके अंतर्गत सार्वजनिक रूप से उपभोक्ताओं को विशेषकर कमजोर वर्गों के उपभोक्ता वस्तु को निर्धारित कीमतों पर उचित मात्रा में विभिन्न उपभोक्ता वस्तुएं बेची जाती है! इस प्रणाली में विभिन्न वस्तुओं की (गेहूं, चावल, चीनी आदि) का विक्रय राशन की दुकान और सहकारी उपभोक्ता भंडार के माध्यम से कराया जाता है! इन विक्रेताओं के लिए लाभ की दर निश्चित रहती है तथा इन्हें निश्चित कीमत और निश्चित मात्रा में वस्तुएं राशनकार्ड धारियों को बेचनी पड़ती है!
भारत सरकार ने गरीबों पर ध्यान केंद्रित करते हुए जून 1997 में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली शुरू की थी! लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अधीन राज्यों के लिए यह अपेक्षित था कि वह खाद्यान्नों की सुपुर्दगी की देने और उचित स्तर पर इनका पारदर्शी और जवाबदेही तरीके से वितरण करने के लिए गरीबों की पहचान करने की पुख्ता व्यवस्था बनाएं और उनका क्रियान्वयन करें!
सार्वजनिक वितरण प्रणाली का संचालन, केंद्र तथा राज्य सरकार मिलकर करती है! केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को खाद्यान्न एवं अन्य वस्तुओं का आवंटन किया जाता है एवं इन वस्तुओं का मूल्य भी तय किया जाता है! राज्यों को केंद्र द्वारा निर्धारित मूल्य में परिवहन व्यय सम्मिलित करने का अधिकार है!
इस प्रणाली के अंतर्गत प्राप्त वस्तुओं का परिवहन, संग्रहण, वितरण और निरीक्षण राज्य सरकार द्वारा किया जाता है! राज्य सरकार चाहे तो अन्य वस्तुएं जिन्हें वे खरीद सकते हैं, सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सम्मिलित कर सकती है!
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के उद्देश्य (sarvajanik vitaran pranali ke uddeshya) –
(1) निर्धनों को उचित कीमत पर आवश्यक उपभोग वस्तुएँ उपलब्ध कराना!
(2) लाभार्थियों को मूल्य की अस्थिरता एवं और मुद्रास्फीति से बचाना!
(3) निर्धनों सहित सभी के लिए खाद्यान्न सुरक्षा को सुनिश्चित करना!
(4) किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य प्रदान करना!
(5) आवश्यक वस्तुओं के वितरण में सामाजीकरण लागू करना!
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभ/ महत्व (Benefits/Importance of Public Distribution System) –
(1) गरीब से गरीब व्यक्ति को भी सस्ता एवं सुलभ भोवन उपलब्ध कराकर राष्ट्र की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
(2) बफर स्टॉक बनाए रखने में मदद करती है, जिससे संकट के समय में भी खाद्यान्नों का प्रवाह सुनिश्चित होता है।
(3) इसने देश के अधिशेष क्षेत्रों से कमी वाले होगों में साधान्न की आपूति करके अनाज के पुनर्वितरण में मदद की है।
(4) न्यूनतम समर्थन मूल्य और खरीद प्रणाली ने खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि में योगदान दिया है।
(5) इसने खाद्यान्न कीमतों को स्थिर रखने में मदद मिलती है।
(6) यह राष्ट्र की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायता करता है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की सीमाएं (Limitations of Public Distribution System in hindi) –
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Public distribution system) केंद्र और राज्य सरकारों की संयुक्त जिम्मेदारी के अधीन चलाई जाती है! पर दोनों के मध्य समन्वय की कमी है, खाद्यान्नों की खरीद, भंडारण, ढलाई और बल्क आंवटन करने में पारदर्शिता की कमी तथा लक्षित परिवारों की पहचान करने, राशन कार्ड जारी करने और उचित दरों पर दुकानों के कार्यकरण का पर्यवेक्षण करने सहित अन्य प्रचालानत्मक कार्रवाई में कमी जैसे लक्षण देखे जाते हैं!
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की प्रमुख कमियां (bharat mein sarvjanik vitran pranali ki kamiya)-
(1) इस प्रणाली में वस्तुओं पर दी जाने वाली सब्सिडी के कारण राजकोष पर भारी दबाव पड़ता है! हालांकि सीधे लाभ हस्तांतरण द्वारा सब्सिडी को नियंत्रित करने का प्रयास सरकार द्वारा किया गया है!
(2) कुछ सर्वेक्षणों के आधार पर यह बात सामने आई है कि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों को अब भी खुले बाजारों पर अधिक निर्भर रहना पड़ता है अर्थात इन क्षेत्रों में पीडीएस का संपूर्ण लाभ नहीं पहुंच पाया है!
(3) सार्वजनिक वितरण प्रणाली वस्तुओं की कीमत में उछाल का प्रमुख कारण है, क्योंकि सरकार द्वारा खाद्यान्नों की बड़ी मात्रा में खरीदी की जाती है! जिससे खुले बाजारों में इसकी उपलब्धता में कमी आ जाती है, जिसे खाद्यान्न की कीमत में वृद्धि हो जाती है!
(4) लीकेज इस प्रणाली की एक और प्रमुख समस्या रही है! इसमें खाद्यान्न हितग्राहियों तक न पहुंच कर सीधे खुले बाजार में पहुंचता है!
एक देश, एक राशन कार्ड की भूमिका –
देश में एक देश, एक राशन कार्ड योजना लागू करने की दिशा में कार्य खाद्य, सार्वजनिक वितरण व उपभोक्ता मंत्रालय ने किया। खाद्य, सार्वजनिक वितरण व उपभोक्ता मंत्रालय के अनुसार जून 2020 में इस योजना को लागू कर दिया गया।
एक देश, एक राशन कार्ड योजना योजना के तहत किसी भी राज्य का व्यक्ति किसी भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकान से राशन ले सकता है। गौरतलब है कि सभी राशन कार्डों को आधार कार्ड से जोड़ने और पॉइंट ऑफ सेल (POS) मशीन के माध्यम से खाद्यान्न वितरण की व्यवस्थ अपने अंतिम चरण में है ।
वर्तमान में गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा, झारखंड, , केरल, महाराष्ट्र, तेलंगाना, राजस्थान और त्रिपुरा ऐसे 10 राज्य हैं, जहाँ खाद्य वितरण का 100 % कार्य पॉइंट ऑफ सेल मशीनों के जरिये हो रहा है। साथ ही साथ इन राज्यों में सार्वजनिक वितरण की सभी दुकानों को इंटरनेट के माध्यम जोड़ा जा चुका है। इन राज्यों में लाभार्थी सार्वजनिक वितरण की किसी भी दुकान से अपना अनाज प्राप्त कर सकते हैं!
प्र:- सार्वजनिक वितरण प्रणाली की शुरुआत कब हुई?
उत्तर:- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की शुरुआत भारत में 1960 के दशक में हुई थी। इसकी स्थापना का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना और गरीब और जरूरतमंद लोगों को सस्ते दाम पर आवश्यक खाद्य वस्त्र उपलब्ध कराना था। इसे विशेष रूप से 1960 के दशक के अंत में खाद्य संकट और महंगाई को नियंत्रित करने के लिए लागू किया गया था।
प्रश्न:- सार्वजनिक वितरण प्रणाली की शुरुआत किसने की
उत्तर:- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की शुरुआत भारत में पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार के तहत 1947 के दशक के अंत में की गई थी। यह प्रणाली खाद्य वस्त्रों की उपलब्धता और वितरण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाई गई थी, विशेषकर खाद्य संकट और महंगाई को नियंत्रित करने के लिए।
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बढ़िया है इसको अपनी भाषा में ही लिखो मौलिकता देखें
बहुत बहुत धन्यवाद