प्रत्यक्ष विदेशी निवेश क्या है? प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रकार, उद्देश्य, लाभ, हानि

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश क्या है (pratyaksh videshi nivesh kya hai) –

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जब कोई विदेशी निवेशक किसी भारतीय कंपनी में 10% या उससे अधिक शेयर प्राप्त करता है, जिससे वह कंपनी के निदेशक मंडल में शामिल होकर प्रत्यक्ष भागीदारी कर सके, तो उसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (foreign direct investment) कहते हैं! यह दो प्रकार से होता है! स्वचालित माध्यम से और सरकारी अनुमोदन के माध्यम से! 10% से कम शेयर खरीदने पर वह एफआईआई या एफआईपी के रूप में परिभाषित होता है!  

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एक ऐसा निवेश हैं जो प्राप्तकर्ता देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है! इस प्रकार के निवेश अधिकांशतः बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों और विकसित देशों द्वारा उचित प्रतिफल की लालसा में किए जाते हैं! प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में श्रम, पूंजी और  प्रौद्योगिकी तीनों का समावेश होता है! 

विदेशी निवेश के कई कारण हो सकते हैं जिनमें श्रेष्ठ बाजार की उपलब्धता, सस्ते श्रम का लाभ उठाना, किसी देश द्वारा पूरे देश या किसी क्षेत्र विशेष में उपलब्ध कराई जाने वाली विशेष सुविधाओं यथा – करों में छूट, बाजार तक पहुंच की दिशा में आने वाली बाधाओं में कमी या समाप्ति आदि से लाभ कमाना इत्यादि शामिल है! एफडीआई से निवेशक तथा जिस देश में निवेश किया जाता है, दोनों को लाभ होता है! 

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रकार (pratyaksh videshi nivesh ke prakar) – 

(1) ग्रीनफील्ड FDI

(2) ब्राउनफील्ड FDI

(1) ग्रीनफील्ड FDI –

जब कोई निवेशक बिल्कुल नई कंपनी की स्थापना करता है तो उसे एक ग्रीनफील्ड FDI कहते हैं

(2) ब्राउनफील्ड FDI – 

जब कोई निवेशक पहले से स्थापित किसी कंपनी में सहभागिता कर ले या अधिग्रहण कर ले तो उसे ब्राउनफील्ड FDI कहते

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का उद्देश्य (pratyaksh videshi nivesh ke uddeshy) – 

भारत सरकार द्वारा उदारीकरण के पश्चात प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति के प्रमुख उद्देश्य अपेक्षाकृत कम समय में भारत को विश्व के शीर्ष औद्योगिक देशों में शामिल करना, आम जनता के जीवन स्तर को ऊंचा उठाना, औद्योगिक क्रियाकलापों में निवेश हेतु अधिकाधिक अवसरों का सर्जन करना, विदेशी पूंजी के आगम मार्ग को सुगम बनाना, घरेलू स्तर पर प्रतियोगी वातावरण निर्मित करना तथा निर्यात घाटे को कम करना आदि थे! इन उद्देश्य की पूर्ति हेतु सरकार अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने का प्रयास करती है! 

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव (pratyaksh videshi nivesh ka bhartiya arthvyavastha par prabhav) – 

भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है! वित्तीय स्थिरता प्रदान करने तथा ऊंची संवृद्धि दर को बनाए रखने में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है! भारत में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) वित्त वर्ष 2021-22 में 83.57 अरब डॉलर हो गया हैं!  

जिसने भारत के विदेशी मुद्रा भंडार तथा समेकित आर्थिक संतुलन में सकारात्मक योगदान दिया है! इससे भारत अब उन समस्याओं की ओर ध्यान देने में सक्षम हो गया है जो अभी तक धन की कमी के कारण उपेक्षित हो रही थी! जिन क्षेत्रों में भारत ने एफडीआई को आकर्षित किया है उनमें सकारात्मक परिणाम में परिलक्षित हुए हैं!  

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लाभ या फायदे (pratyaksh videshi nivesh ke labh) – 

(1) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से निवेश करने वाली कंपनी को नए बाजार में प्रवेश करने का अवसर प्राप्त होता है तो वहीं घरेलू अर्थव्यवस्था में पूंजी और नवीनतम तकनीक का समावेश होता है! 

(2) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से भारत की 42 करोड़ असंगठित क्षेत्र से जुड़ी जनता को काफी हद तक संगठित क्षेत्र जैसा रोजगार प्राप्त हो सकेगा! 

(3) पुरानी तकनीक, अपर्याप्त आधारभूत ढांचा, कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था जैसी स्थितियों के कारण विकासशील देशों के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संवृद्धि के आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु प्राणवायु सिद्ध होगा! 

(4) एफडीआई से कांटेक्ट फॉर्मिंग तथा लघु एवं मध्यम उद्योगों के क्षेत्र में भी विकास देखने को मिलेगा! 

(5) एफडीआई से उत्पादकों को मिलने वाले मूल्य एवं उपभोक्ताओं द्वारा सामान हेतु चुकाए जाने वाला खुदरा मूल्य में अंतर घटेगा जिससे भारत के लोगों को अपनी वास्तविक आय का स्तर सुधारने का अवसर मिलेगा! 

(6) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के तहत विदेशी कंपनियां भारत को ‘समर्थन कर’ देगी जिससे राष्ट्रीय तथा सकल राष्ट्रीय उत्पाद में वृद्धि होगी जो भारतीय अर्थव्यवस्था को बल प्रदान करेगी! 

(7) दलाल संस्कृति पर नियंत्रण प्राप्त करने में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश रामबाण सिद्ध हो सकता है जिससे खुदरा कारोबार, कृषि, जन वितरण निकाय आदि क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार को कम किया जा सकेगा! 

(8) एफडीआई के आने से संबंधित क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण सृजित होगा जो भारतीय मिश्रित अर्थव्यवस्था में संवृद्धि एवं विषमता के मध्य संतुलन स्थापित करेगा! 

(9) भारत के हित में एफडीआई भूमंडलीकरण का उत्तम उदाहरण बनेगा तथा देश को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में सहायक सिद्ध होगा! 

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नुकसान या हानि (pratyaksh videshi nivesh ke nuksan) –

(1) भारत में चीन के बने उत्पाद भारतीय लघु एवं मध्यम वर्गीय उद्योगों को नष्ट कर सकते हैं जिनका प्रभाव वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक एवं कुटीर उद्योगों पर दिखाई दे रहा है! 

(2) वैश्विक आपूर्ति श्रंखला एवं संगठित एफडीआई के कारण लोग क्रय शक्ति का हनन होगा जिसका समेकित प्रभाव भारत की मध्यम वर्ग की जनता पर पड़ेगा! 

(3) निश्चित ही एफडीआई से बिचौलियों तथा सक्षम आपूर्ति श्रृंखला नष्ट होगी, लेकिन भारतीय किसानों के मानवीय एवं आर्थिक शोषण की भी संभावना है! 

(4) जो राज्य विकसित है वही विदेशी कंपनियां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करने के लिए आतुर रहती है जो पिछड़े राज्यों के समेकित एवं समावेशी विकास की अवधारणा के विपरीत है! 

(5) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करने वाली कंपनियां मात्र उन्हीं क्षेत्रों में निवेश करती है जहां उन्हें आर्थिक लाभ हासिल हो! वह जनहित में शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना और इस क्षेत्र में पर्याप्त प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नहीं करती है! 

(6) एफडीआई से राजनीतिक क्षेत्र में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिससे राजनीति में दलाली प्रथा तथा लॉबिंग को प्रोत्साहन प्राप्त होता है! 2G स्पेक्ट्रम घोटाला, शस्त्र खरीद घोटाला आदि प्रत्यक्ष प्रमाण है जिससे भारत की आर्थिक, सामरिक और वैश्विक छवि धूमिल हुई! 

भारत में विदेशी निवेश को आकर्षित करने हेतु सुझाव (bharat me pratyaksh videshi nivesh ko aakarshit karne ka upay) – 

(1) एफडीआई द्वारा निर्यात में वृद्धि हेतु टैरिफ दर में कमी लाने की नितांत आवश्यकता है ताकि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का अर्थव्यवस्था में सकारात्मक वृद्धि हेतु प्रयोग किया जा सके! 

(2) काले धन की समस्या को समाप्त करने तथा मॉरीशस जैसे देशों के रास्ते आने वाले अत्याधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को तर्कसंगत बनाना होगा! 

(3) वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में अधिकाधिक रूप से एफडीआई को बढ़ाने के लिए हमारे वैज्ञानिक एवं तकनीकी क्षेत्र से संबंधित प्रावधानों को उदार बनाने की आवश्यकता है! 

(4) मौद्रिक नीति को प्रत्यक्ष निवेश के अनुकूल बनाए जाने की सख्त आवश्यकता है जिससे महंगाई पर नियंत्रण हेतु कीमतों और ब्याज दरों को हटाना होगा 

(5) fdi प्रवाह के द्वारा निर्यात में वृद्धि के लिए तेरे दर को कम किए जाने की जरूरत है यह भारत अभी भी विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा अधिक है! 

(6) शिक्षा, चिकित्सा, आधारभूत अवसंरचना, कृषि प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में जनकल्याण को ध्यान में रखकर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देने हेतु उपाय करना चाहिए! 

(7) कारपोरेट क्षेत्र के सामाजिक उपादेयता को संवर्धित करना होगा तथा उस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ाने हेतु सकारात्मकता परिलक्षित करनी होगी! 

भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने के सरकारी प्रयास या पहल (bharat me pratyaksh videshi nivesh ko aakarshit karne ke liye sarkari prayaas ya pahal) – 

भारत सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में निहित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अनेक संस्थानों का गठन किया है, यथा – विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड, औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग, निवेश आयोग आदि! इसके अतिरिक्त प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर निगरानी सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी), भारतीय रिजर्व बैंक तथा वित्त मंत्रालय सहित अन्य मंत्रालय भी क्रियाशील है! भारत सरकार अपनी इन संस्थाओं के माध्यम से अपने एफडीआई नीति की समय-समय पर समीक्षा करती रहती है! 

भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन (bharat me pratyaksh videshi nivesh ki vartman sthiti ka mulyankan) – 

भारत एक युवा देश है जहां 65% क्रियाशील जनसंख्या निवास करती है! अतः युवा क्रियाशील जनता को ध्यान में रखकर भारत में ऐसी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति को बनाए जाने की आवश्यकता है जिसमें यदि किसी क्षेत्र में एफडीआई भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा हो तब उसमें तुरंत हस्तक्षेप पर सुधारात्मक उपाय किया जा सके! 

इसके अतिरिक्त मानव विकास के शिक्षा, स्वास्थ्य और चिकित्सा सहित जीवन के विकास में एफडीआई को बढ़ावा देना चाहिए, तभी सामाजिक न्याय तथा सामाजिक कल्याण की अवधारणा तथा भारत के विकसित देश बनने की संभावना साकार हो सकेगी!  

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