प्रतिचक्रवात क्या हैं? प्रतिचक्रवात के प्रकार एवं विशेषताएं (pratichakravat)

प्रतिचक्रवात क्या हैं (pratichakravat kya hai) –

प्रतिचक्रवात (pratichakravat) एक विशाल वायु मंडलीय भंवर है! इनके केन्द्र में उच्च वायुदाब होता है! इसी उच्च दाब के चारों ओर हवाएं उत्तरी गोलार्ध में दक्षिणावर्त होती हैं और इनके ऊपर वायुमंडल का भार आसपास की तुलना में अधिक होता है!

प्रतिचक्रवात के बीच में थोड़ी थोड़ी दूरी पर कुछ समदाब रेखाएं अंडाकार या वी (v) आकार में एक क्षेत्र को घेरे हुए होती है! इसमें हवाएं बाहर की ओर धीमी गति से चलती है! प्रतिचक्रवातों में मौसम स्वच्छ और साफ रहता है! 

प्रतिचक्रवातों के उत्पत्ति क्षेत्र –  

प्रतिचक्रवात उपोष्ण कटिबंधीय उच्च दाब क्षेत्रों में अधिक विकसित होते हैं! विषुवत रेखीय भागों में इनका अभाव रहता है! 

प्रतिचक्रवात के प्रकार (pratichakravat ke prakar) – 

प्रतिचक्रवातों को हम्फ्रीज ने निम्नलिखित तीन भागों में बांटा है -(1) यांत्रिक प्रतिचक्रवात 

(2) तापीय प्रतिचक्रवात 

(3) विकिरण प्रतिचक्रवात

उपरोक्त के अतिरिक्त सन 1909 में जर्मन के हैजलिक महोदय ने सामान्य लक्षणों के आधार पर प्रतिचक्रवात ओं को निम्न प्रकार से विभाजित किया है –

(1) शीत प्रदेश के प्रति चक्रवात!

(2) उष्ण प्रदेश के प्रतिचक्रवात! 

(3) अवरोधी प्रतिचक्रवात! 

(1) शीत प्रदेश के प्रति चक्रवात – 

यह प्रतिचक्रवात आर्कटिक एवं ध्रुवीय प्रदेशों के द्वीपों एवं स्थलखंडों पर विकसित होते हैं! यहां विकसित होने के बाद ध्रुवीय पवनों के साथ यात्रा करते हैं और बाद में पछुआ पवनों के प्रभाव से दक्षिण-पूर्व क्षेत्रों की ओर आगे बढ़ते हैं!

(2) उष्ण प्रदेश के प्रतिचक्रवात –

इन चक्रवातों की उत्पत्ति 25° से 35° अक्षांशों के मध्य दोनों गोलार्ध में उच्चदाब पेटी में होती है! इनकी उत्पत्ति का मुख्य कारण हवाओं का क्षोभमंडल के उच्चस्तरीय क्षेत्रों में धरातल पर उतारना है! इस प्रकार इनकी उत्पत्ति का कारण गतिक और यांत्रिक दोनों हैं! इनमें वर्षा का अभाव रहता है! मौसम गर्म एवं धूपधार होता है! इनकी हवाएं गर्म तथा शुष्क रहती है! 

(3) अवरोधी प्रतिचक्रवात –

इस प्रकार के प्रतिचक्रवातों का विकास क्षोभमंंडल के ऊपरी भाग में वायुसंचार के अवरोधों के कारण होता है! यह उष्ण चक्रवातों की पट्टी के ऊपर विकसित होते हैं! इसलिए इनकी विशेषता भी उन्ही के समान होती है! ये जेट धाराओं से प्रभावित होते हैं जिनका प्रभाव इनकी ऊंचाई पर पड़ता है! 

इनकी उत्पत्ति का क्षेत्र उत्तरी-पश्चिमी प्रशांत महासागर एवं उपोष्ण अटलांटिक महासागर में ग्रीनविच से 30° पश्चिमी देशांतर के मध्य तक उत्तर पश्चिमी यूरोपीय तट हैं! 

प्रतिचक्रवातों की विशेषताएं (pratichakravat ki visheshta) – 

(1) यह चक्रवातों के विपरीत विशेषताओं वाले होते हैं और शीतोष्ण चक्रवातों के पश्चात आते हैं! 

(2)  इनके केंद्र में उच्च वायुदाब क्षेत्र होते हैं और केंद्र से बाहर की ओर समदाब रेखाओं का मान बढ़ता जाता है! 

(3) प्रतिचक्रवातों के केंद्र से हवाओं का अपसरण होता रहता है! अर्थात हवाएं केन्द्र से बाहर की ओर चलती हैं! 

(4) वायुमंडल की निचली सतह में ऊंचाई के साथ तापमान घटने के स्थान पर बढ़ता है! 

(5) सर्दी के मौसम में इनकी उपस्थिति सुखदाई मानी जाती है, क्योंकि बिना रुकावट के धूप धरातल पर पहुंचती है!

(6) जहां प्रतिचक्रवात होते हैं उनके ऊपर क्षोभमंडल के उच्च स्तर में निम्न दाब की उत्पत्ति होती है! अतः हवाएं क्षोभमंडल के उच्च स्तर में चक्रवाती क्षेत्र में उतरती रहती हैं! 

प्रतिचक्रवातों का मौसम पर प्रभाव (pratichakravat ka mausam par prabhav) – 

प्रतिचक्रवात में केंद्र से बाहर की ओर हल्की गर्म या शीतल पवने धीमी गति से उच्च दाब से निम्न दाब वाले भागों की ओर बहती है! यूरोप में इस समय खुली धूप मिलती है, जिसके लिए यूरोपवासी तरसते हैं! अत: ऐसे मौसम को उत्सव की भांति खुले में मनाते हैं! कभी-कभी तापमान अधिक नीचे गिरने पर आंग्ल-अमेरिका में एवं पूर्वी यूरोप में सर्दियों में शीत लहर भी चल सकती है! 

प्रतिचक्रवात भूमि से या तट से सागरीय भाग के निकट पहुंचकर समाप्त हो जाते हैं! अतः प्रति चक्रवाती दशा वर्षा में बाधक है, क्योंकि इसके केंद्रीय भाग में वायु ऊपर से नीचे उतरती है, इस कारण उसके नमी ग्रहण करने की क्षमता बढ़ जाती है! 

जब भी दो भिन्न लक्षणों वाली पवनें आपस में मिलने लगती है, प्रति चक्रवातीय दशा समाप्त हो जाती है फिर भी विशेष परिस्थिति में प्रतिचक्रवात का भाग तटीय समुद्र से नमी ग्रहण करके भी क्रियाशील रह जाए तो यह तट या तट के निकट के द्वीपों पर हल्की बौछार के रूप में वर्षा कर सकता है! 

आपको यह भी पढना चाहिए –

चक्रवात क्या हैं? चक्रवात के प्रकार, कारण एवं महत्व

उष्णकटिबंधीय चक्रवात किसे कहते हैं? उष्णकटिबंधीय चक्रवात के प्रकार, उत्पत्ति, विशेषता, प्रभाव

शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात किसे कहते हैं? शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात के प्रकार, उत्पति, विशेषता

Leave a Comment

error: Content is protected !!