भारत के (CAG) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के कार्य और शक्तियांं का वर्णन कीजिए

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (niyantrak evam mahalekha parikshak) –

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भारत के संविधान (अनुच्छेद 148) में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के स्वतंत्र पद की व्यवस्था की गई है, जिसे संक्षेप में ‘महालेखा परीक्षक’ कहा गया है।

यह भारतीय लेखा परीक्षण और लेखा विभाग का मुखिया होता है। यह लोक वित्त का संरक्षक होने के साथ-साथ देश के संपूर्ण वितीय व्यवस्था का नियंत्रक होता है। इसका नियंत्रण राज्य व केंद्र दोनों स्तरों पर होता है।

cag ka full form in hindi –

cag ka full form – Comptroller and Auditor General of India होता है

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति व शपथ (niyantrak evam mahalekha parikshak ki niyukti evam shapath) :- 

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति संघ मंत्रिमंडल की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। अपना पद ग्रहण करने से पूर्व राष्ट्रपति और उनके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष पद और गोपनीयता की शपथ लेते हैं। 

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का वेतन :-

नियंत्रक महालेखा परीक्षक का वेतन 2,50,000 प्रतिमाह हैं!

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की पदावधि एवं सेवा की अन्य शर्तें (niyantrak evam mahalekha parikshak ki Padavadhi) : –

संविधान में प्रावधान किया गया है कि नियंत्रक महालेखा परीक्षक की पदावली एवं सेवा शर्तों का निर्धारण संसद द्वारा किया जाएगा। इस अधिकार का प्रयोग करते हुए संसद ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सेवा शर्ते) अधिनियम,1953 पारित किया।

बाद में वेतन एवं  सेवा शर्तों के निर्धारण के लिए संसद द्वारा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(कर्तव्य, शक्तियां तथा सेवा शर्ते) अधिनियम 1971 पारित किया गया, जिसमें 1976, 1984 और 1987 में संशोधन किए गए हैं।

वर्तमान में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की स्वतंत्रता के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं- 

(1) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को उसके पद ग्रहण की तिथि से 6 वर्ष की अवधि के लिए नियुक्त किया जाएगा लेकिन वह-

(a) यदि अपनी बताओ दी को पूरा करने के पहले ही इस वर्ष की आयु पूरी कर लेता है, तो वह पद मुक्त हो जाता है।

(b) वह किसी भी समय राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र दे सकता है।

(c) वह राष्ट्रपति द्वारा उसी तरह से हटाया जा सकता है, जैसे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाया जाता है 

(2) उसका वेतन उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान होगा, 

(3) उसका समस्त वेतन, भत्ते, पेंशन आदि भारत की संचित निधि पर भारित होंगे, 

(4) सेवा मुक्त होने के बाद वह भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन कोई लाभ का पद नहीं धारण करेंगा।  

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का कार्य और शक्तियांं (niyantrak evam mahalekha parikshak ke karya) – 

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (cag) के कार्य एवं शक्तियां निम्नलिखित है- 

(1) वह भारत, प्रत्येक राज्य एवं संघ राज्यक्षेत्र की संचित निधि से किए जाने वाले सभी व्यय की समंपरीक्षा करेगा तथा इस संबंध में यह प्रतिवेदन देगा की व्यय विधि के अनुसार किया गया है या नहीं, 

(2) वह संघ तथा राज्यों की आकस्मिक निधि तथा सार्वजनिक लेखाओं के लिए किए जाने वाले सभी व्यय की संपरीक्षा करेगा तथा उन पर प्रतिवेदन देगा, 

(3) वह संघ या राज्य के विभिन्न विभागों द्वारा किए गए सभी व्यापार तथा विनिमय के लाभ तथा हानि लेखाओं की संपरीक्षा करेगा तथा उन पर प्रतिवेदन देगा, 

(4) वह संघ और प्रत्येक राज्य की आय और व्यय की संपरीक्षा करेगा, जिससे उसका यह समाधान हो जाए कि राजस्व के निर्धारण, संग्रहण, समुचित आवंटन हेतु पर्याप्त जांच करने के लिए उचित प्रक्रिया तथा नियम का पालन किया गया है या नहीं, 

(5) वह निम्नलिखित निकायो की प्राप्ति और की समीक्षा करेगा उस पर प्रतिवेदन देगा –

(a) संघ और राज्य के राजस्व से वित्त पोषित सभी निकाय और प्राधिकारियों की,

(b) सरकारी कंपनियों की,

(c) अन्य निगमों और निकायों की,   

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का प्रतिवेदन :-

अनुच्छेद 151 के अनुसार भारत का नियंत्रक महालेखा परीक्षक प्रतिवर्ष अपने संपरीक्षा प्रतिवेदन राष्ट्रपति के माध्यम से संसद को प्रस्तुत करता है। ठीक इसी प्रकार नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक राज्य के लेखा संबंधी प्रतिवेदन राज्यपाल को प्रस्तुत करता है, राज्य विधानसभा के समक्ष रखवाता है। 

नियंत्रक महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट एवं सरकार के मामलों में संसदीय लोक लेखा समिति को तथा राज्य में राज्य विधानमंडल की लोक लेखाखा समिति को सौंपी जाती है।

प्रश्न :- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की स्थापना कब हुई?

उत्तर :- महालेखाकार का कार्यालय सन 1858 में स्थापित किया गया था, ठीक उसी वर्ष जब अंग्रेज़ों ने ईस्ट इंडिया कंपनी से भारत का प्रशासनिक नियंत्रण अपने हाथों में लिया था।

प्रश्न :- भारत के प्रथम नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक कौन थे?

उत्तर :- भारत के प्रथम नियंत्रक महालेखा परीक्षक वी० नरहरि राव थे, जिनका कार्यकाल 1948 से 1954 तक रहा!

प्रश्न :- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक 2021 कौन है बताइए?

उत्तर :- नियंत्रक महालेखा परीक्षक 2021 गिरीश चंद्र मूर्मू है। वे भारत के 14वें नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक हैं।

प्रश्न :- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का कार्यकाल कितना होता है?

उत्तर :- नियंत्रक महालेखा परीक्षक का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो पहले हो तक होता है!

प्रश्न :- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति कौन करता है?

उत्तर :- नियंत्रक महालेखा परीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है!

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