राज्यपाल (Governor in hindi) –
भारत का संविधान संघात्मक है इसमें संघ तथा राज्यों के शासन के संबंध में प्रावधान किया गया है! भारतीय संविधान में राज्य सरकार की कल्पना उसी तरह की गई है, जैसे केंद्र के लिए! संविधान के भाग 6 में अनुच्छेद 152 से 237 तक राज्य की कार्यपालिका, विधायिका एवं न्यायपालिका हेतु प्रावधान किए गए हैं! संघ के समान राज्य की भी शासन पद्धति संसदीय है!
राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख राज्यपाल (Governor) होता है वह प्रत्यक्ष रूप से अथवा अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से इसका उपयोग करता है! अर्थात राज्यों में राज्यपाल की स्थिति कार्यपालिका के प्रधान की होती है परंतु वास्तविक शक्ति मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद में निहित होती है!
राज्यपाल की नियुक्ति (Appointment of governer in hindi) –
राज्यपाल (Governor) को न तो सीधे जनता द्वारा चुना जाता है न हीं अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रपति की तरह संवैधानिक प्रक्रिया के तहत उसका निर्वाचन होता है! उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति के मुहर लगे आज्ञापत्र के माध्यम से होती है! इस प्रकार वह केंद्र सरकार द्वारा मनोनीत होता है लेकिन उच्चतम न्यायालय ने 1979 में व्यवस्था के अनुसार, राज्य में राज्यपाल का कार्यालय केंद्र सरकार के अधीन रोजगार नहीं है! एक स्वतंत्र संविधानिक कार्यालय है और यह केंद्र सरकार के अधीनस्थ नहीं है!
राज्यपाल का वेतन (Governor’s salary in hindi) –
2008 में संसद द्वारा राज्यपाल का दिया जाने वाला वेतन ₹36,000 था, जिसे 2008 में बढ़ाकर ₹1,10,000 कर दिया गया! वर्तमान में राज्यपाल का वेतन ₹ 3,50,000 है!
राज्यपाल के कार्य एवं शक्तियां (Functions and Powers of Governor in hindi) –
इस प्रकार केंद्र में कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होती है उसी प्रकार राज्य में कार्यपालिका की शक्ति राज्यपाल (Governor) में निहित होती है परंतु राज्यपाल को राष्ट्रपति के समान कूटनीतिक, सैन्य, आपातकालीन शक्तियां प्राप्त नहीं होती! राज्यपाल की शक्तियां और उसके कार्यों को हम निम्नलिखित भागों में विभक्त कर सकते हैं!
(1) कार्यकारी शक्तियां! (2) विधायी शक्तियां! (3) वित्तीय शक्तियां! (4) न्यायिक शक्तियां
(1) कार्यकारी शक्तियां –
अनुच्छेद 154 के अनुसार राज्यपाल (Governor) की कार्यकारी शक्तियां इस प्रकार है –
(1) राज्य सरकार के सभी कार्यकारी कार्य औपचारिक रूप से राज्यपाल के नाम से किए जाते हैं!
(2) वह राज्य सरकार के कार्य के लेन-देन को अधिक सुविधाजनक और उक्त कार्य के मंत्रियों में आवंटन हेतु नियम बना सकता है!
(3) वह मुख्यमंत्री से प्रशासनिक मामलों या किसी विधायी प्रस्ताव की जानकारी प्राप्त कर सकता है!
(4) राज्यपाल इस संबंध में नियम बना सकता है कि उसके नाम से बनाए गए और कार्य निष्पादित आदेश और अन्य प्रपत्र कैसे प्रमाणित होंगे!
(5) राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करता है, लेकिन उन्हें सिर्फ राष्ट्रपति द्वारा ही हटाया जा सकता है!
(2) विधायी शक्तियां –
राज्यपाल (Governor) राज्य विधानसभा का अभिन्न अंग होता है संविधान द्वारा राज्यपाल को व्यापक विधायी शक्तियां प्रदान की गई है! जो इस प्रकार है –
(1) राज्यपाल राज्य विधानसभा के सत्र को आहूत, सत्रावसान,और विघटित कर सकता है!
(2) राज्यपाल किसी सदन या विधानमंडल के सदनों को विचाराधीन विधेयको या अन्य किसी मामले पर संदेश भेज सकता है!
(3) राज्यपाल राज्यविधान परिषद की कुल सदस्य संख्या के 1/6 सदस्यों को जिन्हें विज्ञान, साहित्य, कला, समाजसेवा, सहकारी आंदोलन आदि के क्षेत्र में विशेष ज्ञान, अनुभव या योगदान हो को मनोनीत कर सकता है!
(4) विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद खाली होने पर विधानसभा के सदस्यों कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए नियुक्त कर सकता है!
(5) राज्यपाल विधानमंडल द्वारा पारित किसी विधेयक पर हस्ताक्षर करता है और राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद ही विधेयक अधिनियम के रूप में प्रवृत्त होता है!
वित्तीय शक्तियां –
संविधान द्वारा राज्यपाल को निम्नलिखित वित्तीय शक्तियां प्रदान की गई है –
(1) धन विधेयक को राज्यपाल की पूर्व सहमति के पश्चात ही राज्य विधानसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है!
(2) वह किसी अप्रत्याशित व्यय के वहन के लिए राज्य की आकस्मिक निधि से अग्रिम धन ले सकता है!
(3) राज्यपाल की सहमति के बिना किसी तरह के अनुदान की मांग नहीं की जा सकती!
(4) राज्यपाल राज्य के वित्तमंत्री के माध्यम से राज्य विधानसभा में राज्य के वार्षिक बजट को प्रस्तुत करवाता है!
न्यायिक शक्तियां –
(1) राष्ट्रपति राज्यपाल द्वारा संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति के मामले में राज्यपाल से विचार किया जाता है!
(2) वह राज्य उच्च न्यायालय के साथ विचार कर जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति स्थानांतरण और प्रोन्नति कर सकता है!
(3) राज्यपाल, राज्य न्यायिक आयोग से जुड़े लोगों की नियुक्ति भी करता है, इन नियुक्तियों में वह राज्य उच्च न्यायालय और राज्य लोक सेवा आयोग से विचार करता है!
(4) राज्यपाल न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध किए गए अपराधियों को क्षमा करने, उनके दंड को कम करने या निलंबन करने या विलंबित करने की शक्ति रखता है, लेकिन इस शक्ति प्रयोग उसके द्वारा उसी सीमा तक किया जा सकता है, जिस सीमा तक राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार है!
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