कुपोषण क्या है (Kuposhan in hindi) –
कुपोषण (Kuposhan) वह अवस्था है जिसमें पौष्टिक पदार्थ और भोजन, अव्यवस्थित रूप से लेने कारण शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है और जिसे कारण गंभीर स्थिति पैदा हो जाती है! दरअसल हम स्वस्थ रहने के लिए भोजन के जरिए ऊर्जा और पोषक तत्व प्राप्त करते हैं लेकिन यदि भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और खनिज सहित पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलते तो कुपोषण का शिकार हो सकते हैं!
कुपोषण के प्रभाव (Kuposhan Ke prabhaav) –
(1) शरीर को आवश्यक संतुलित आहार लंबे समय तक नहीं मिलने से बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वह आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार हो जाते हैं!
(2) कुपोषण(Kuposhan) के कारण मानव उत्पादकता 10 से 15% तक कम हो जाती है, जो जीडीपी को 5 से 10% तक कम कर सकता है!
(3) बच्चों और स्त्रियों के अधिकांश रोगों की जड़ कुपोषण ही है!स्त्रियों में रक्ताल्पता या घेंघा रोग अथवा बच्चों में सुखा रोग या रतौंधी और यहां तक कि अंधापन भी कुपोषण का ही दुष्परिणाम है!
(4) व्यवहार में चिड़चिड़ापन एवं अनियमितता देखी जाती है! एकाग्रता का भाव व कार्य करने में रुचि नहीं रहती!
(5) रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी तथा शीघ्र ही संक्रमण व बीमारियां देखी जाती है!
(6) नींद में कमी व बेचैनी रहती है भूख एवं प्यास में अनियमितता देखी जाती है!
(6) कुपोषण के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था 6.4% का नुकसान होता हैं!
(7) कुपोषण के कारण मनुष्य का विकास अवरुद्ध हो सकता हैं, जिससे लंबाई और वजन कम हो सकता हैं!

कुपोषण के कारण (Kuposhan ke karan) –
(1) पोषण की कमी और बीमारियां कुपोषण के सबसे प्रमुख कारण है! अशिक्षा और गरीबी के चलते भारतीयों के भोजन में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जिसके कारण कई प्रकार के रोग जैसे एनीमिया, घेंघा व बच्चों की हड्डियां कमजोर होना आदि रोग हो जाते हैं!
(2) स्वास्थ्य सेवा की अनुपलब्धता! सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में लगभग 1600 मरीजों पर एक डॉक्टर उपलब्ध हो पाता है, जबकि वैश्विक स्तर पर 1000 मरीजों पर 105 डॉक्टर उपलब्ध होते हैं!
(3) कुपोषण का बड़ा कारण लैंगिक असमानता भी है! भारतीय महिला के निम्न सामाजिक स्तर के कारण उसके भोजन की मात्रा और गुणवत्ता में पुरुष के भजन के अपेक्षा कहीं अधिक अंतर होता है!
(4) स्वच्छ पेयजल की अनुपलब्धता तथा गंदगी भी कुपोषण का एक बहुत बड़ा कारण है!
(5) नींद पूरी ना होने से शरीर में वायु दोष की वृद्धि होती है और शरीर का मेटाबॉलिज्म गड़बड़ होने से, कुपोषण पैदा करता है!
कुपोषण दूर करने के उपाय (Kuposhan ko Dur Karne ke upay) –
(1) कुपोषण एवं गरीबी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं! कुपोषण की समस्या सबसे अधिक वही पाई जाती हैं जहां निर्धनता विद्यमान हो, इसलिए निर्धनता को दूर कर कुपोषण को रोका जा सकता है!
(2) खाद्यय किलेबंदी के माध्यम से आवश्यक पोषक तत्व को बच्चों एवं महिलाओं तक पहुंचाया जाए!
(3) यदि झुग्गियों में और बच्चों के आसपास सफाई का पूरा ध्यान रखा जाए,तो संक्रमण से अधिकाधिक बचा जा सकता है!
(4) बच्चों एवं मां को पोषक आहार दिया जाए तथा 6 महीने तक केवल मां का दूध ही उसके बाद शिशुओं को पूरक आहार दिया जाए! किशोरियों को आयरन की गोली देना आवश्यक है, ताकि वह रक्ताल्पता की शिकार ना हो जाए!
(5) भारत में कुपोषण को समाप्त करने में फोर्टीफाइड खाद्यान्न महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है क्योंकि इसे कम मूल्य पर वंचित एवं कुपोषित आबादी को जरूरी पोषक पदार्थ उपलब्ध कराए जा सकते हैं!
(6) सरकारी मशीनरी का भी लोगों के प्रति संवेदनशील होना आवश्यक है ताकि वह विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में नौकरशाही रुकावट नहीं बल्कि जन कल्याण का दूत बन सकें!
प्रश्न उत्तर (FAQ ) –
प्रश्न:- कुपोषण की परिभाषा क्या है?
उत्तर :- कुपोषण (Kuposhan) वह अवस्था है जिसमें पौष्टिक पदार्थ और भोजन, अव्यवस्थित रूप से लेने कारण शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है और जिसे कारण गंभीर स्थिति पैदा हो जाती है! दरअसल हम स्वस्थ रहने के लिए भोजन के जरिए ऊर्जा और पोषक तत्व प्राप्त करते हैं लेकिन यदि भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और खनिज सहित पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलते तो कुपोषण का शिकार हो सकते हैं!
प्रश्न :- पूरक आहार किसे कहते हैं? परिभाषा
उत्तर :- पूरक आहार का उद्देश्य मां के दूध की सम्पूर्ति करना तथा यह सुनिश्चित करना है कि शिशु को पर्याप्त ऊर्जा, प्रोटीन तथा अन्य पोषक तत्व प्राप्त हो रहें हैं, ताकि वह सामान्य रूप से विकसित हो सके।
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