हिमालय पर्वत के लाभ (himalaya parvat ke labh) –
विशाल हिमालय भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे महत्वपूर्ण भु-आकृतिक विशेषता है! ऐसा भी कहा जाता है कि हिमालय भारत का शरीर और आत्मा दोनों ही है! भारत के लिए हिमालय पर्वत के लाभ को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) जलवायु संबंधी प्रभाव –
हिमालय का जलवायु पर विशेषकर वर्षा के वितरण और तापमान पर काफी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। हिमालय अपनी ऊंचाई और विस्तार के कारण बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से आने वाली ग्रीष्मकालीन मानसून को रोकने का महत्वपूर्ण कार्य करता है।
इसी प्रकार यह साइबेरिया से आने वाली ठंडी हवाओं को भारत में प्रवेश करने से रोकता है। नवीन मौसम वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार जेट प्रवाह को हिमालय ही दो शाखाओं में विभाजित करता है, जिनका भारत में मानसून के आगमन तथा इसकी सफलता में बड़ी भूमिका होती है।
(2) वन संपदा –
हिमालय की श्रेणियां वन संसाधनों के दृष्टिकोण से काफी धनी है। इसकी प्राकृतिक वन संपदा आद्र उष्णकटिबंधीय से लेकर कोंणधारी और अल्पाइन तक की विशेषता प्रस्तुत करती है। इसके जंगल इमारती लकड़ी, गोंद, रेजीन, औषधिय जड़ी-बूटी, जलाने की लकड़ी के अतिरिक्त औद्योगिक महत्व के अन्य वन संसाधनों की भी आपूर्ति करते हैं। इसके अपेक्षाकृत ऊंचे हिस्से में अल्पाइन वनस्पति विद्वान है, जिसे यहां की जनजातीयां ग्रीष्मकाल में पशुओं के चाराग्रह के लिए उपयोग करती है।
(3) प्रतिरक्षा –
भारत के इतिहास में इसके उत्तर से एक भी विदेशी आक्रमण का साक्ष्य नहीं मिलता है। आधुनिक शस्त्रों के विकास के बाद भी हिमालय अपनी प्रतिरक्षा संबंधी महत्ता को बनाए हुए हैं। वर्तमान में इस क्षेत्र में चीन, तिब्बत, नेपाल और भूटान की सीमाओं तथा उच्चमार्गो का विकास हो चुका है।
(4) प्राकृतिक सौंदर्य –
हिमालय प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्व में लोकप्रिय है। जब ग्रीष्म काल में पड़ोसी मैदानी भाग झूलसाने वाली गर्मी से तपते हैं, तब हिमालय की ठंडी और आराम देने वाली जलवायु देशी-विदेशी सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
इस प्रकार शीतकाल में इसक बर्फ से ढके होने का सौंदर्य भी सैलानीयो के आकर्षण का एक महत्वपूर्ण कारण बनता है। श्रीनगर, गुलमर्ग , सोनमर्ग ,वुलर-राऊंड, चंबा, डलहौजी, धर्मशाला, शिमला, कांगड़ा, कुल्लू, मनाली नैनीताल, रानीखेत, अल्मोड़ा और दार्जिलिंग हिमालय के पूर्व लोकप्रिय पर्यटक स्थल है।
(5) सदावाहिनी नदियों का स्त्रोत –
उत्तर भारत की अधिकांश नदियों का स्त्रोत हिमालय में विधमान हिमनदो, झीलो या फिर झरनों से ही है। यह नदियां भारत के करोड़ों लोगों के जीविकापार्जन में बड़ी भूमिका निभाती है।
(6) पनबिजली उत्पादन –
हिमालय पर्वत श्रेणी पनबिजली उत्पादन के लिए उपयुक्त अनेक स्थानों से भरा है। भाखड़ा- नांगल, तुलबुल, दुलहस्ती, टिहरी, बगलिहार इत्यादि हिमालय में स्थित महत्वपूर्ण पनबिजली परियोजनाएं है।
(7) उर्वर का स्त्रोत –
यहां से निकलने वाली सदावाहिनी नदियां और उनकी शाखाएं अपने साथ भारी मात्रा में जलोढ़ मृदाओं को लाती है। भारत के महान मैदान इन नदियों द्वारा लाई गई उर्वर जलोढ़ मृदाओं के निक्षेपों से ही निर्मित है।
(8) खनिज संसाधन –
हिमालय श्रेणियों में कई धात्विक एवं अधात्विक खनिजों की प्रचुरता है । जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश ,उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश के हिमालय क्षेत्र में तांबा ,सीसा, जस्ता, निकेल सोना, चांदी ,टंगस्टन, मैग्नेसाइट, चूना पत्थर, बेशकीमती और अर्ध बेशकीमती रत्नो इत्यादि के भंडार विधमान है । यद्यपि हिमालय की दुर्गमता इसके खनिज संसाधनों के दोहन में सबसे बड़ा अवरोध है।
(9) तीर्थ स्थल –
पर्यटन के आकर्षण स्थलों के अतिरिक्त हिमालय एक धार्मिक केंद्रों के लिए भी जाना जाता है, जो इसे तीर्थाटन के लिए भारत एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बनाता है – अमरनाथ, हजरतबल, (श्रीनगर)कैलाश, वैष्णोदेवी, केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, ज्वालाजी आदि इसके महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है ।
(10) फलोद्यान –
हिमालय अनेक महत्वपूर्ण फलों जैसे – सेब, नाशपाती, चेरी, अखरोट, पीच, बादाम आदि के लिए जाना जाता है!
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