भारतीय अर्थव्यवस्था में वनों का महत्व (bhartiya arthvyavastha me vano ka mahatva upsc)

भारतीय अर्थव्यवस्था में वनों का महत्व  (bhartiya arthvyavastha me vano ka mahatva upsc) –

वनों से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं! वन किसी देश की महत्वपूर्ण निधि तथा राष्ट्रीय उन्नति के द्योतक होते हैं! पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसलिए कहाक था, उगता हुआ वृक्ष प्रगतिशील राष्ट्र का प्रतीक है!”

इसी संदर्भ में श्री चटरबक कहते हैं, वन राष्ट्रीय संपदा है तथा किसी राष्ट्र के विकास के लिए वनों की नितांत आवश्यकता है! ये केवल ईंधन की लकड़ी प्रदान नहीं करते वरन एक बड़ी संख्या में कच्चा माल तथा राष्ट्र की आय के स्रोत भी हैं! “वर्तमान में देश की लगभग 3% राष्ट्रीय आय वनों से प्राप्त होती है!  

वनों से प्राप्त लाभों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है –

(1) प्रत्यक्ष लाभ

(2) अप्रत्यक्ष लाभ

(1) वनों के प्रत्यक्ष लाभ upsc (vano ke pratyaksh labh upsc) – 

(1) वनों से प्रचुर मात्रा में इमारती लकड़ी प्राप्त होती है! इमारती लकड़ी प्रदान करने वाले वृक्षों में साल, सागवान, शीशम, देवदार तथा चीड प्रमुख है! 

(2) वनों से जलाने के लिए लकड़ी की प्राप्ति होती है! 

(3) कागज, दियासिलाई, रबर, लुगदी तथा अन्य बहुत से उद्योग वनों से प्राप्त कच्चे माल पर निर्भर करते हैं! 

(4)  वनों का उपयोग करने से प्रतिवर्ष सरकार को राजस्व एवं रॉयल्टी के रूप में प्रतिवर्ष 500 करोड़ से अधिक की पूंजी प्राप्त होती हैं! 

(5) भारतीय वनों से अनेक उप-उत्पाद भी प्राप्त होते हैं जिनमें कत्था, रबर, कुनैन, मोम तथा जड़ी बूटियों की प्राप्ति उल्लेखनीय हैं! 

(6) भारतीय वनों से करोड़ों लोगों को रोजगार प्राप्त होता है! यह लोग लकड़ी काटने, लकड़ी चीरने, वन वस्तुएँ ढोने, नाव, रस्सी, बान आदि तैयार करने तथा गोंद, लाख, राल, कंद-मूल आदि एकत्रित करने में लगे हैं! वन क्षेत्र में लगभग 2.5 करोड आदिवासियों का निवास स्थान है जो उनके जीवन यापन एवं अनेक कुटीर उद्योग का यही वन आधारभूत या महत्वपूर्ण साधन है! 

(7) भारतीय वनों से प्रतिवर्ष लगभग 900 करोड़ से अधिक बहुमूल्य पदार्थों का निर्यात किया जाता है!

(2) वनों के अप्रत्यक्ष लाभ (vano ke apratyaksh labh upsc)- 

उपयुक्त प्रत्यक्ष लाभों की अपेक्षा वनों से होने वाले अप्रत्यक्ष लाभ कहीं अधिक हैं –

(1) वन वर्षा के जल को स्पंज की भांति चूस लेते हैं! अतः निम्न प्रदेशों में बाढ़ का प्रकोप का भय नहीं रहता और जल का बहाव धीमा होने के कारण समीपवर्ती भूमि का क्षरण भी रुक जाता है! 

(2) वनों से नमी निकलती रहती है! जिससे वायुमंडल का तापमान सम होकर वातावरण आर्द्र बन जाता है! इससे वर्षा होती है! 

(3) वनों के वृक्षों से पत्तियां सूख कर गिरती है, वह धीरे-धीरे सूखकर मिट्टी में मिल जाती है और भूमि को अधिक उपजाऊ बना देती है! 

(4) वन प्रदेश वायु की तेजी को रोककर बहुत से भागों को शीत अथवा तेज बालू की आंधियों के प्रभाव से मुक्त कर देते हैं!   

(5) वन सुंदर एवं मनमोहक दृश्य उपस्थित करते हैं और देश के प्राकृतिक सौंदर्य में वृद्धि करते हैं! अतएव वे देशवासियों में सौंदर्य भावना जागृत करते हैं और उन्हें सौंदर्य एवं प्रकृति प्रेमी बनाते हैं! 

(6) घने वनों में कई प्रकार के कीड़े-मकोड़े तथा छोटे-मोटे असंख्य जीव-जंतु रहते हैं जिन पर बडे़ जीव निर्भर करते हैं! भारतीय वनों में कई प्रकार के शाकाहारी (बारहसिंगा, हिरन, सांभर, बैल, सुअर) तथा मांसाहारी (तेंदुआ, रीछ, शेर) वन्य प्राणी रहते हैं जिनका शिकार कर बहुत से व्यक्ति अपना पेट पालते हैं! भारतीय वनों में लगभग 400 से अधिक वन्य पशुओं की प्रजातियां पाई जाती है! 


(7) ये वर्षों के जल को भूमि में रोक देते हैं और धीरे-धीरे बहने देते हैं! इसमें मैदानी भागों में कुओं का जल तल से अधिक नीचे नहीं पहुंच पाता हैं! 

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