भारत में ऋतु के प्रकार बताइए (bharat mein ritu ke prakar)

भारत में ऋतु के प्रकार (bharat mein ritu ke prakar) –

ऋतु (Ritu) एक वर्ष से छोटा कालखंड है, जिसमें मौसम की दशाएँ एक विशेष प्रकार की होती हैं! भारत में मुख्यतः 4 प्रकार की ऋतुएँ पायीं जाती हैं, जो इस प्रकार हैं –

(1) शीत ऋतु (sheet ritu) –

भारत में शीत ऋतु का समय 15 दिसंबर से 15 मार्च के मध्य तक होता है! इस समय सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में रहता है जिसके कारण उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत में शीत ऋतु होती है! उत्तरी गोलार्ध में तापमान निम्न एवं वायुदाब उच्च रहता है! पवनें उच्च वायुदाब से निम्न वायुदाब अर्थात स्थल से समुद्र की ओर चलने लगती है! स्थल से चलने के कारण यह ठंडी और शुष्क होती है! इनकी दिशा उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर होती है! इस ऋतु में स्वच्छ आकाश निम्न तापमान एवं आर्द्रता, मंद समीर और वर्षा रहित सुहावना मौसम होता है! 

(2) ग्रीष्म ऋतु (grishma ritu) – 

भारत में ग्रीष्म ऋतु का समय 16 मार्च से 14 जून के मध्य तक होता है! यह अवधि में सूर्य उत्तरी गोलार्ध में चमकने लगता है! तापमान में क्रमशः वृद्धि होने लगती है! संपूर्ण उत्तरी भारत गर्म हो जाता है! उत्तर पश्चिमी भागों में तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है! दोपहर में गर्म और शुष्क हवा चलने लगती है, जिन्हें लू कहा जाता है! मानसून के आने से पूर्व प्रायद्वीप पठार में वर्षा होती है, इसे मैंगो शावर (आम्र वर्षा), केरल में इसे फूलों वाली बौछार कहा जाता है!

(3) वर्षा ऋतु (varsha ritu) –

भारत में वर्षा ऋतु का समय 16 जून से 14 सितंबर के मध्य तक होता हैयह समय आगे बढ़ते हुए मानसून का होता है! जून के प्रारंभ में दक्षिण पश्चिम मानसून केरल के तट पर पहुंच जाता है! इसी के साथ वर्षा ऋतु प्रारंभ होती है! आर्द्रता युक्त मानसूनी गर्म पवनें मध्य जुलाई तक भारत के अधिकांश भागों में फैल जाती है! जिससे मौसमी दशाएं संपूर्णतः बदल जाती है! इन पवनोंं से संपूर्ण भारत में वर्षा होने लगती है! 

(4) शरद ऋतु (sharad ritu) –

भारत में शरद ऋतु का समय 16 सितंबर से 14 दिसंबर के मध्य तक होता है! इस समय उत्तरी भारत के तापमान में गिरावट आने लगती है! अत: अधिक वायुदाब का क्षेत्र बनता है! हवा की दिशा उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर होती है! स्थल से सागर की ओर चलने के कारण इन हवाओं से वर्षा नहीं होती है! इस समय दक्षिण-पश्चिम मानसून पीछे हट रहा होता है इसलिए इसे पीछे हटते मानसून की ऋतु भी कहते हैं!   

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