महादेशजनक बल क्या हैं (mahadesh janak bal kya hai)

महादेशजनक बल क्या हैं (Epeirogentic force in hindi) – 

अग्रेजी का Epeirogentic शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों से बना हैं, एपीरो (Epeirog) जिसका शाब्दिक अर्थ ‘महाद्वीप’ तथा जेनेसिस (Genesis) जिसका शाब्दिक अर्थ ‘उत्पत्ति’ होता हैं! अर्थात महाद्वीपों की उत्पत्ति से संबंधित बलों को महादेशजनक बल (mahadesh janak bal) कहते हैं! यह उत्थान अथवा उन्मजन तथा अधोन्मुखी अथवा निमज्जन नामक दो प्रकार के बल होतें हैं! 

जी. के. गिलबर्ट ने महाद्वीपों के निर्माण की प्रक्रिया को महादेशजनक क्रिया तथा पर्वत निर्माणकारी प्रक्रिया को पर्वत निर्माण क्रिया के नाम से पुकारा! उन्होंने दोनों के संयुक्त प्रभाव को भी विरूपणी बल नाम दिया! 

उत्थान अथवा उन्मजन बल के प्रभावधीन भूमि का बहुत बड़ा भाग ऊपर उठ जाता है! भूमि के उन्मजन के अनेकों उदाहरण मिलते हैं! पिछले लगभग 100 वर्षों में स्वीडन का दक्षिण पूर्वी भाग लगभग 1 मीटर ऊपर उठ गया है! समुद्र से दूर अनेक उठे हुए चबूतरे मिलते हैं जहां समुद्री अवशेष बड़ी मात्रा में मिलते है! इससे यह सिद्ध होता है कि किसी समय ये चबुतरे समुद्र में डूबे हुए थे! 

अधोमुखी अथवा निमज्जन बल के प्रभावाधीन भूमि का कुछ भाग नीचे धस जाता है! यह धसाव दो प्रकार का होता है –

(1) स्थल का कुछ भाग स्थानीय या प्रादेशिक रूप में निकटवर्ती भूमि के तल से नीचे गिर जाता है! इस प्रक्रिया को अवतलन कहते हैं! 

(2) स्थलखंड सागर तल से नीचे चला जाता है और जलमग्न हो जाता है! इस प्रक्रिया को निमज्जन कहते हैं! 

आपने इस आर्टिकल में महादेशजनक बल के बारे में जाना, इसी प्रकार की जानकारी पाने के लिए आप हम से जुड़े हैं!

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