व्यापार संबंधी निवेश उपाय या ट्रिम्स समझौता क्या है (Trims in hindi) –
ट्रिम्स का फुल फार्म Trade Related Investment Measures (Trims) है! ट्रिम्स केवल वस्तुओं के व्यापार संबंधी निवेश उपायों पर लागू होते हैं, यह एक क्षीण समझौता है! यह विदेशी निवेश की बाधाओं को दूर करने की व्यवस्था करता है जो स्वतंत्र व्यापार में बाधा बनती है, उत्पादन की शर्तों को प्रभावित करती है तथा लागत और कीमतों को प्रभावित करती है!
निवेश पर ये बाधाएं अधिकतर विकासशील देशों में पाई जाती है और स्वतंत्र और बिना रुकावट विदेशी पूंजी के बहाव के विरुद्ध होती है! इसके अतिरिक्त यह बाधाएं शर्तों के रूप में होती है जिन्हें विदेशी निवेशकों को प्रवेश प्राप्त करने से पहले पूरा करना पड़ता है!
ट्रिम्स समझौते के अनुसार सदस्य देशों को एक समय सीमा के अंदर ऐसे उपायों को समाप्त करना है जिनसे व्यापार प्रभावित होता हो! ट्रिम्स समझौते के तहत ऐसे उपायों की पहचान भी की गई है! गैर प्रस्तावों से असंगत समझौते को समाप्त करने हेतु अंतिम तिथि या अवधि विकसित देशों के लिए 1 जुलाई, 1997 विकासशील देशों के लिए वर्ष 2000 तथा अल्पविकसित देशों के लिए 2002 तक निर्धारित की गई!
ट्रिम्स समझौते के उद्देश्य (Purpose of trims in hindi) –
ट्रिम्स का उद्देश्य विश्व व्यापार का विस्तार और प्रगतिशील उदारीकरण और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर निवेश की सुविधा को आसन बनाना ताकि सभी व्यापारिक भागीदारों, विशेष रूप से विकासशील देश के सदस्यों के आर्थिक विकास को बढ़ाया जा सके, और मुक्त व्यापार को सुनिश्चित करना शामिल है।
व्यापार संबंधी निवेश उपाय (Trims) की अनिवार्य शर्तें (Essential Requirements for Business Investment Measures (Trims) in hindi) –
ट्रिम्स की अनिवार्य शर्त इस प्रकार है –
(1) विदेशी निवेशकों को राष्ट्रीय व्यवहार तथा सभी सुविधा देना जो घरेलू निवेशकों को उपलब्ध है!
(2) बाहरी निवेशकों को मेजबान देश के प्राथमिकतापूर्ण क्षेत्रों में निवेश के लिए विवश न करना!
(3) विदेशी निवेश को सभी सुविधा उपलब्ध कराएं ताकि वैश्विक उत्पादन और रोजगार के स्तर में वृद्धि हो तथा उससे सदस्य देशों के भुगतानों के संतुलन को राहत मिले!
(4) 5 वर्षों की अवधि में सभी ट्रिम्स लागू करना!
प्रश्न :- ट्रिम्स क्या है
उत्तर :- ट्रिम्स का फुल फार्म Trade Related Investment Measures (Trims) है! ट्रिम्स केवल वस्तुओं के व्यापार संबंधी निवेश उपायों पर लागू होते हैं, यह एक क्षीण समझौता है! यह विदेशी निवेश की बाधाओं को दूर करने की व्यवस्था करता है जो स्वतंत्र व्यापार में बाधा बनती है, उत्पादन की शर्तों को प्रभावित करती है तथा लागत और कीमतों को प्रभावित करती है!