नाभिकीय रिएक्टर क्या है? नाभिकीय रिएक्टर के उपयोग, प्रकार, कार्यप्रणाली, घटक

नाभिकीय रिएक्टर क्या है (Nuclear reactor kya hai) –

नाभिकीय रिएक्टर या परमाणु भट्टी एक ऐसा संयंत्र है जिसकी सहायता से नाभिकीय अभिक्रिया नियंत्रित कर, निर्मुक्त ऊर्जा का उपयोग रचनात्मक कार्यों के लिए किया जाता है! आजकल नाभिक रिएक्टरों का उपयोग विद्युत उत्पादन के लिए किया जा रहा है! एक नाभिकीय रिएक्टर परमाणु ऊर्जा ग्रह का मुख्य भाग होता है! 

भारत सहित अनेक देशों में नाभिकीय रिएक्टर द्वारा विद्युत ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है! इसके अलावा रिएक्टरों का उपयोग रेडियोधर्मी समस्थानिकों के उत्पादन में भी किया जाता है! रिएक्टरों की सहायता से uranium-238 को प्लूटोनियम 239 में परिवर्तित किया जाता है, जो विखंडनीय होने के नाते परमाणु बम में प्रयोग किया जाता है! 

नाभिकीय रिएक्टर के प्रकार (nuclear reactor ke prakar) –

नियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया को संचालित करने वाले परमाणु रिएक्टर कई प्रकार के होते हैं! इनका वर्गीकरण मुख्यतः इनकी उपयोगिता, रिएक्टर में इस्तेमाल होने वाले ईधन, न्यूट्रॉनों की गति और रिएक्टर में उपयोग होने वाले मंदक और शीतलको के आधार पर किया जाता है! 

ईधन के आधार पर – 

(1) प्राकृतिक यूरेनियम रिएक्टर – 

इन परमाणु रिएक्टर में ईंधन के तौर पर वही यूरेनियम इस्तेमाल होता है, जिसमें यूरेनियम का प्राकृतिक अनुपात संरक्षित होता है! 

(2) कृत्रिम यूरेनियम रिएक्टर –  

कृत्रिम यूरेनियम रिएक्टर में उपयोग होने वाले यूरेनियम ईंधन में यूरेनियम 235 के अनुपात को कृत्रिम विधियों से संवर्धित कर दिया जाता है! 

उपयोगिता के आधार पर – 

(1) अनुसंधान रिएक्टर – 

अनुसंधान रिएक्टर, ऐसे परमाणु रिएक्टर होते हैं, जिनमें नाभिकीय विखंडन प्रक्रिया में उत्सर्जित न्यूट्रॉनों का इस्तेमाल कर रेडियो आइसोटोप (समस्थानिक) उत्पादित किए जाते हैं! यह रेडियो आइसोटोप (समस्थानिक) परमाणु ऊर्जा से जुड़े विभिन्न शोध कार्यों में बहुत उपयोगी होते हैं! 

(2) न्यूक्लियर पावर रिएक्टर – 

यह रिएक्टर विखंडन प्रक्रिया में उत्सर्जित होने वाली तापीय ऊर्जा का उपयोग करते हैं! प्रमुख रूप से इस तापीय ऊर्जा से बिजली बनाई जाती है! भविष्य में राकेट में ईंधन के तौर पर इस नाभिकीय ऊर्जा के प्रयोग हेतु अनुसंधान किए जा रहे हैं! 

नाभिकीय रिएक्टर के घटक (Nuclear reactor ke ghatak) – 

(1) प्रशीतक या शीतलक – 

प्रशीतक वह पदार्थ है, जो ऊष्मा का संवहन तो करता है पर न्यूट्रॉनों को अवशोषित नहीं करता! प्रशीतक का कार्य रिएक्टर के क्रोड को द्रवित होने से रोकना तथा वाष्प निर्मित करना है! जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड का मुख्य रूप से प्रशीतक के रूप में प्रयोग किया जाता है! 

(2) मंदक – 

मंदकों की सहायता से न्यूट्रॉनों की गति पर नियंत्रण रखा जाता है, इसमें वंचित परिणाम प्राप्त हो सके! ग्रेफाइट एवं भारी जल का उपयोग मंदक के रूप में किया जाता है! 

(3) परिरक्षक – 

रिएक्टर का कोर स्टील अथवा कंक्रीट के आवरण से ढका रहता है, जिससे उत्सर्जित विकिरण एवं ऊष्मा का कोई नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न न हो! 

(4) नियंत्रक छड़ – 

नियंत्रित छड़ लंबी धातु की बनी छड़ होती है, जिसमें कैडमियम या बोरान जैसे तत्व होते हैं! ये तत्व मुक्त इलेक्ट्रॉनों को अवशोषित कर लेते हैं और इस प्रकार श्रृंखला अभिक्रिया को नियंत्रित करने में मदद करते हैं! 

(5) क्रोड – 

क्रोड़ में ही नाभिकीय ईधन होता है और इसलिए यह रिएक्टर का वह भाग है जहां विखंडन होता है! क्रोड रिएक्टर नलिका के फर्श के समीप होता है! इसमें मुख्य रूप से नाभिकीय ईधन हीं रहता है जो नलिका की ऊपरी तथा निचली पट्टिकाओं के बीच में रहता है! 

नाभिकीय रिएक्टर की कार्यप्रणाली (working of nuclear reactor in hindi) – 

नाभिकीय रिएक्टर की कार्यप्रणाली (working of nuclear reactor in hindi)

नाभिकीय रिएक्टर में यूरेनियम 235 को ईधन के रूप में प्रयुक्त किया जाता है! जब एक मंद गति वाला न्यूट्रॉन u-235 के नाभिक से टकराता है तो तीन नये न्यूट्रॉन मुक्त होते हैं जो एक श्रृंखला बनाते हैं! इन मुक्त न्यूट्रॉनों को नियंत्रण में रखने के लिए कैडमियम तथा बोरान की छड़ जब पूर्णतः ईधन में घुसा दी जाती है तो समस्त ने न्यूट्रॉनों का अवशोषण कर लेती है और श्रृंखला अभिक्रिया रुक जाती है!   

इन छडो़ को बाद में ईंधन से धीरे-धीरे उतना ही बाहर निकाला जाता है जिससे कि केवल उतने ही न्यूट्रॉन उत्सर्जित हो, जो नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया को नियंत्रित रूप से संचालित कर सके और निश्चित परिणाम में ऊर्जा प्राप्त होती रहे! 

ईंधन के विखंडन में उत्पन्न ऊर्जा, जल या तरल सोडियम द्वारा अवशोषित की जाती है जिसका उपयोग उष्मा परिवर्तक में भाग बनाने में किया जाता है! यह भाप टरबाइन को घुमाती है, जिससे संबद्ध आर्मेचर शक्तिशाली चुंबक क्षेत्र में घूमती है और विद्युत उत्पन्न होती है! जब भाप संघनित हो जाती है, तो इसे फिर दूसरे चक्र में काम में लाया जाता है! 

नाभिकीय रिएक्टर के उपयोग या लाभ (nuclear reactor ke upyog) – 

(1) इसे प्राप्त नाभिकीय ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा को प्राप्त किया जा सकता है! 

(2) रिएक्टर में अनेक प्रकार के समस्थानिक उत्पन्न किए जा सकते हैं! जिसका उपयोग चिकित्सा, विज्ञान एवं कृषि आदि में किया जा सकता है! 

(3) नाभिकीय रिएक्टर से प्लूटोनियम का उत्पादन किया जा सकता है जिसका उपयोग परमाणु बम बनाने में किया जाता है!

प्रश्न :- नाभिकीय रिएक्टर किस सिद्धांत पर आधारित है?

उत्तर :- नाभिकीय रिएक्टर नाभिकीय संलयन के सिद्धांत पर आधारित है! नाभिकीय रिएक्टर या परमाणु भट्टी एक ऐसा संयंत्र है जिसकी सहायता से नाभिकीय अभिक्रिया नियंत्रित कर, निर्मुक्त ऊर्जा का उपयोग रचनात्मक कार्यों के लिए किया जाता है!

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