आर्द्रता किसे कहते हैं (Aadrata kise kahate hain) –
वायुमंडल में उपस्थित जलवाष्प को वायुमंडल की आर्द्रता(Humidity) कहते हैं! वायुमंडल में आद्रता (Aadrata) की मात्रा 0 से 4 प्रतिशत तक पाई जाती है, जो सामान्यतः गैसीय अवस्था (जलवाष्प), तरल अवस्था (जल की बूंदें) एवं ठोस अवस्था (हिम कण) के रूप में विद्यमान रहती है!
इस आर्द्रता की मात्रा में स्थान व समय के अनुसार परिवर्तन होता रहता है! आर्द्रता को ग्राम प्रति घनमीटर में मापा जाता है! भू-मध्य रेखा के आसपास सर्वाधिक आर्द्रता पाई जाती है और जैसे-जैसे हम भू-मध्य रेखा से उत्तर एवं दक्षिण ध्रुवों की ओर बढ़ते हैं, आर्द्रता में कमी देखी जाती है!
किसी निश्चित तापमान पर एक घन मीटर वायु जितने ग्राम जल को अवशोषित कर सकती है, उसे वायु की आर्द्रता सामर्थ्य कहते हैं!
जब किसी वायु में आर्द्रता सामर्थ के बराबर जलवाष्प आ जाती है, तो उसे संतृप्त वायु कहा जाता है, जिसकी मात्रा तापमान वृद्धि के साथ बढ़ती जाती है!
जिस न्यूनतम तापमान पर कोई वायु संतृप्त हो जाती है, उसे ओसांक बिंदु कहा जाता है!
आर्द्रता के प्रकार (Types of humidity in hindi) –
आर्द्रता (Aadrata) सामान्यतः तीन प्रकार की होती है!
(1) निरपेक्ष आर्द्रता (Absolute Humidity in hindi) –
वायु की प्रति इकाई आयतन में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा को निरपेक्ष आर्द्रता कहते हैं! इसे ग्राम प्रति घनमीटर में व्यक्त किया जाता है!
(2) विशिष्ट आर्द्रता (Specific Humidity in hindi) –
वायु के प्रति इकाई भार में जलवाष्प के भार को विशिष्ट आर्द्रता कहते हैं! इसे ग्राम प्रति किग्रा इकाई में मापा जाता है!
(3) सापेक्ष आर्द्रता (Relative Humidity in hindi) –
किसी भी तापमान पर वायु में उपस्थित जलवाष्प तथा उसी तापमान पर उसी वायु की जलवाष्प धारण करने की क्षमता के अनुपात को सापेक्षिक आर्द्रता कहते हैं! इसे प्रतिशत में व्यक्ति किया जाता है!
आर्द्रता का महत्व या लाभ –
वायु में आद्रता का रहना बहुत लाभदायक होता है स्वास्थ्य के लिए वायु में कुछ मात्रा में जलवाष्प का होना परम आवश्यक है! हवा में नमी अधिक रहने से हमें कम प्यास लगती है, क्योंकि हमारे शरीर के छिद्रों द्वारा जलवाष्प शरीर के अंदर पहुंच जाती है!