मानव विकास सूचकांक क्या है? Human Development Index के मापदंड, महत्व

मानव विकास सूचकांक क्या है (Human Development Index in hindi) – 

मानव विकास सूचकांक (Human Development Index) एक सूचकांक है जिसका उपयोग देशों को “मानव विकास” के आधार पर आंकने के लिए किया जाता है! इस सूचकांक से इस बात का पता चलता कि कोई देश विकसित है या विकासशील अथवा अविकसित है! 

मानव विकास सूचकांक जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और प्रति व्यक्ति आय संकेतों का एक समग्र आंकड़ा है, जो मानव विकास के चार स्तरों पर देशों को श्रेणीबद्ध करने में उपयोग किया जाता है! जिस देश की जीवन प्रत्याशा, शिक्षा स्तर और जीडीपी प्रति व्यक्ति अधिक होती है उसे उच्च श्रेणी प्राप्त होती है!  

इस प्रकार मानव विकास सूचकांक जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और आय सूचकांकों का एक संयुक्त सांख्यिकी सूचकांक है जिसे मानव विकास के तीन आधार पर तैयार किया जाता है! इसे अर्थशास्त्री महबूब उल हक द्वारा तैयार किया गया था, जिसका 1990 में अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन द्वारा समर्थन किया गया और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा प्रकाशित किया गया!

मानव विकास सूचकांक के मापदंड (manav vikas suchkank ke mapdand) –

अपने 2010 की मानव विकास विवरण में यूएनडीपी ने Human Development Index की गणना के लिए एक नई विधि का उपयोग शुरू किया है! जिसमें निम्नलिखित इन सूचनाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है! 

(1) जीवन प्रत्याशा सूचकांक (लंबा एवं स्वस्थ जीवन) 

(2) शिक्षा सूचकांक (शिक्षा का स्तर) 

(3) आय सूचकांक (जीवन स्तर) 

इन तीनों सूचकांक का औसत मानव सूचकांक होता है! इसका मान 0 से 1 के बीच होता है! 

(1) शिक्षा सूचकांक – 

इसके लिए सर्वप्रथम वयस्क सूचकांक को अस्तित्व में लाया जाता है, तत्पश्चात संयुक्त संपूर्ण नामांकन अनुपात ज्ञात किया जाता है, फिर दोनों की मदद से शिक्षा सूचकांक को अस्तित्व में लाया जाता है! 

(2) जीवन प्रत्याशा सूचकांक – 

यह सूचकांक जन्म के समय सापेक्ष जीवन प्रत्याशा की माप करता है! यदि इस सूचकांक में बढ़ोतरी होती है  तो वह ज्ञात होता है कि जीवन प्रत्याशा पहले से बड़ी हुई है! 

(3) सकल घरेलू उत्पाद सूचकांक – 

किसी देश की घरेलू सीमा के अंतर्गत 1 साल में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं! इसकी गणना प्रति व्यक्ति आय के आधार पर की जाती है! 

मानव विकास सूचकांक का महत्व (manav vikas suchkank ka mahatva) –

किसी राष्ट्र के समग्र विकास की गणना के लिए विकास के सामाजिक उपायों को निर्धारित करना आवश्यक है। मानव विकास सूचकांक सामाजिक, आर्थिक कारकों को मापता है और इसलिए, इन कारकों के संदर्भ में किसी देश के प्रदर्शन को मापने में बहुत प्रभावी माना जाता है।

मानव विकास सूचकांक हर साल दुनिया भर के देशों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के मूल्यांकन में एक उपकरण के रूप में कार्य करता है और इस तरह राष्ट्रों के विकास के एक विश्वसनीय संकेतक के रूप में कार्य करता है।

मानव विकास सूचकांक की सीमाएं (manav vikas suchkank ki simaye) –

मानव विकास सूचकांक की अवधारणा के पीछे साम्यवादी विचार के बावजूद, सांख्यिकीय माप काफी हद तक सरल है! एचडीआई गणना का वर्तमान संस्करण केवल कुछ कारकों पर विचार करता है जो किसी देश के विकास को प्रभावित करते हैं! किसी देश के विकास के अधिक का सटीक विश्लेषण करने के लिए, अन्य कारकों जैसे रोजगार के अवसर, सशक्तिकरण, आंदोलन, और सुरक्षा की भावना को सूचकांक गणना में शामिल किया जाना चाहिए!

प्रश्न :- मानव विकास सूचकांक कौन जारी करता है

उत्तर :- मानव विकास सूचकांक रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा प्रतिवर्ष प्रकाशित की जाती हैं! मानव विकास सूचकांक जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और प्रति व्यक्ति आय संकेतों का एक समग्र आंकड़ा है, जो मानव विकास के चार स्तरों पर देशों को श्रेणीबद्ध करने में उपयोग किया जाता है! जिस देश की जीवन प्रत्याशा, शिक्षा स्तर और जीडीपी प्रति व्यक्ति अधिक होती है उसे उच्च श्रेणी प्राप्त होती है!  

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