सुनामी क्या है (Sunami kya hai) –
स्यु-ना-मी (सुनामी) जापानी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है बंदरगाही लहरें! ये वस्तुतः बहुत लंबी एवं कम कंपन वाली समुद्री लहरें हैं, जो महासागरीय भूकंपों के प्रभाव से उत्पन्न होती है एवं इनका ज्वारीय तरंगों से कोई संबंध नहीं होता है!
सुनामी लहरों के साथ जल की गति संपूर्ण गहराई तक होती है, इसलिए ये अधिक प्रलयकारी होती है! खुले सागरों में इन तरंगों की ऊंचाई अधिकतम 1 मीटर होती है, परंतु जब ये तटवर्ती क्षेत्र में प्रवेश करती है तो इनकी ऊंचाई में असामान्य रूप से वृद्धि हो जाती है, जिससे अल्प समय में ही महान विनाश की स्थिति उत्पन्न हो जाती है!
महासागरीय प्लेटों के अभिसरण क्षेत्र में यह सर्वाधिक शक्तिशाली होती है! सुनामी लहरों की दृष्टि से प्रशांत महासागर सबसे खतरनाक स्थिति में है! यहां पर अक्सर ज्वालामुखी फटने से भूकंप आते रहते हैं, जिसके कारण यह क्षेत्र रिंग ऑफ फायर के नाम से जाना जाता है! हालांकि प्रशांत महासागर में हद से ज्यादा सुनामी तूफान आते हैं परंतु अन्य महासागर भी इनसे अछूते नहीं हैं!
सुनामी के प्रकार (tsunami ke prakar) –
सुनामी तीन प्रकार की होती हैं –
(1) दूरस्थ सुनामी! (2) क्षेत्रीय सुनामी! (3) स्थानीय सुनामी
(1) दूरस्थ सुनामी –
दूरस्थ सुनामी को टेली-सुनामी या समुद्र-व्यापी सुनामी भी कहा जाता है! आमतौर पर इसके स्रोत से 1,000 किमी के बाहर इसकी उत्पति होती हैं! दूरस्थ सूनामी उत्पन्न होने के कम से कम 3 घंटों के पश्चात प्रभावित तटरेखाओं तक पहुंच सकती हैं! हालांकि दूरस्थ सुनामी पहली बार स्थानीय सुनामी की तरह दिखाई दे सकती है!
यह समुद्र के बेसिन के व्यापक क्षेत्रों में यात्रा करती है। दूरस्थ सुनामी में जगह को खाली करने और सुनामी से बचने के लिए अधिक समय होता है, लेकिन यह भूमि के एक बड़े हिस्से को भी कवर करता है और व्यापक विनाश का कारण बनता है।
(2) क्षेत्रीय सुनामी –
एक क्षेत्रीय सुनामी वह है जो किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र में विनाश करने में सक्षम है, आमतौर पर इसके स्रोत से 1,000 किमी के भीतर। क्षेत्रीय सूनामी उत्पन्न होने के 1-3 घंटों के भीतर प्रभावित तटरेखाओं तक पहुंच सकती हैं, हालांकि, स्थानीय सुनामी की तरह, सीमित चेतावनी समय के कारण वे अभी भी बहुत विनाशकारी और घातक साबित हो सकती हैं।
(3) स्थानीय सुनामी
एक स्थानीय सुनामी वह होती है जो प्रभावित तटरेखा से लगभग 100 किमी या 1 घंटे से कम की सूनामी यात्रा के समय से निकलती है। स्थानीय सूनामी के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोग हताहत हो सकते हैं क्योंकि अधिकारियों के पास आबादी को चेतावनी देने या उन्हें तटीय क्षेत्रों से निकालने के लिए बहुत कम समय होता है।
सुनामी लहरों का संचलन (sunami lahar ka sanchalan) –
समुद्र तल की अपनी सामान्य स्थिति में वापस आ जाने पर कई लहरें पैदा होती है और उनका फैलाव सभी दिशाओं में होता है! ये लहरें एक समान नहीं होती है! सुनामी लहरें पानी उथला होने के कारण तथा महासागरीय धाराओं के सुनामी के फैलाव की दिशा के तिरछे चलने के कारण दिशा (पानी की लहरों का अपवर्तन) बदल सकती है!
सुनामी चेतावनी प्रणाली ‘डार्ट’-
डार्ट एक खास तकनीक है, जिसके माध्यम से सुनामी का पता लगाने के बाद उचित स्थानों पर तत्काल सूचनाएं भेजी जाती है! इसके दो प्रमुख हिस्से होते हैं – सुनामी मीटर और सिग्नल एंड कम्युनिकेटिंग उपकरण!
DOART – Deep Ocean Assessment and Reporting of Tsunami
सुनामी के प्रभाव या हानि (Tsunami ke Prabhav) –
(1) बड़े पैमाने पर जनजीवन –
सुनामी की चपेट में आकर अभी तक लाखों लोगों मृत्यु के शिकार हो चुके हैं! दिसंबर 2004 में इंडोनेशिया में आई सुनामी में लाखों लोगों की मौत हो गई तथा बहुत से लोगों को बेघर होना पड़ा!
(2) संपत्ति की हानि –
सुनामी में अपार संपत्ति की हानि होती है! सुनामी की ऊंची ऊंची लहरों के सामने बड़े-बड़े भवन, मालवाहक जहाज, तटवर्ती बाजार, गलियां, सडकें, मोटर गाड़ियां देखते ही देखते तबाह हो जाते है! दिसंबर, 2004 में आई सुनामी ने भारत में हजारों करोड़ों की संपत्ति को नुकसान किया था!
(3) पर्यटन उद्योगों की हानि –
सुनामी से न केवल स्थानी लोग प्रभावित होते हैं, बल्कि तटवर्ती इलाकों में आए पर्यटक भी मृत्यु के शिकार हो जाते हैं! ऐसे में विदेशी पर्यटक उन इलाकों में जाने से कतराते हैं, जो कभी सुनामी से ग्रसित रहे हैं, इससे पर्यटन उद्योग को नुकसान होता है!
(4) बंदरगाहों की तबाही –
सुनामी का एक अन्य बुरा प्रभाव बंदरगाह नगरों पर भी पड़ता है! यह बंदरगाह नगर आयात निर्यात के केंद्र होते हैं!सुनामी के आने से कहीं जहाजों समेत बंदरगाह तबाह हो जाते हैं, जिससे बड़ी मात्रा में आर्थिक क्षति होती है!
(5) पुनर्वास की समस्या –
सुनामी के कारण सरकार के सामने पुनर्वास की सबसे बड़ी समस्या उत्पन्न हो जाती है! सुनामी प्रभावित लोगों के लिए खाद्यान्न, घर एवं व्यवसाय की व्यवस्था करने में सरकार के ऊपर करोड़ों रुपए का आर्थिक बोझ बढ़ता है!
सुनामी से बचने के उपाय (tsunami se bachane ke upay) –
(1) सर्वप्रथम आपदा नियंत्रण कक्ष की स्थापना करना एवं प्रभावित क्षेत्र का वायरलेस हो गया आदि तकनीक के माध्यम से संपर्क स्थापित करना!
(2) पहले से ही बचाव कार्य दल तैनात करना!
(3) भविष्य में सुनामी की संभावना को ध्यान में रखते हुए मजबूत भवनों के निर्माण की तकनीक प्रयुक्त करनी चाहिए!
(4) सुनामी संभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को प्रशिक्षण देना!
(5) सुनामी संबंधित आपदाओं की क्षति की आशंका वाले लोगों का बीमा कराना!
(6) सुनामी में घरों, भवनों, ऊंची ऊंची इमारतों तो आदि की भारी क्षति होती है! अतः सुनामी संभावित क्षेत्रों में सुनामीरोधी भवन निर्माण तकनीक का प्रयोग करना चाहिए!