ध्वनि किसे कहते हैं (Sound in hindi) –
ध्वनि (Sound) एक प्रकार की ऊर्जा है जिसकी उत्पत्ति किसी न किसी वस्तु के कंपन करने से होती है! ध्वनि तरंगे अनुदैर्ध्य तरंगे होती हैं, जो निर्वात में गमन नहीं कर सकती! इनके संचालन के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है जैसे – वायु, द्रव अथवा ठोस! वायु में ध्वनि की चाल 332 मी./से. होती है!
ध्वनि (Sound) एक स्थान से दूसरे स्थान तक तरंगों के माध्यम से पहुंचती है, इसे तरंग संचरण कहते हैं! ध्वनि संचरण के लिए किसी न किसी माध्यम जैसे – ठोस, द्रव और गैस का होना आवश्यक है! ध्वनि निर्वात में होकर नहीं चल सकती हैं!
विभिन्न माध्यमों में ध्वनि की चाल –
माध्यम | ध्वनि की चाल (m/s, 0°C) |
कार्बन डाइऑक्साइड | 260 |
वायु | 332 |
भाप | 405 |
अल्कोहल | 1,213 |
हाइड्रोजन | 1,269 |
पारा | 1,450 |
जल | 1,483 |
समुद्री जल | 1,533 |
लोहा | 5,130 |
कांच | 5,640 |
एलुमिनियम | 6,420 |
ध्वनि तरंगों की आवृत्ति परिसर (Frequency range of sound waves in hindi) –
(1) अवश्रव्य ध्वनि किसे कहते है (ashravya dhwani kise kahate hain) –
वह ध्वनि तरंगे जिनकी आवृत्ति 20 Hz से नीचे होती है उन्हें “अवश्रव्य ध्वनि तरंगें” कहते हैं! इसे हमारे कान नहीं सुन सकते हैं! इस प्रकार की तरंगों को बहुत बड़े आकार के स्त्रोतों से उत्पन्न किया जा सकता है!
(2) श्रव्य तरंगे किसे कहते हैं (shravya dhwani kise kahate hain) –
20 Hz से 20,000Hz के बीच की आवृत्ति वाली तरंगों को श्रव्य तरंगे कहते हैं! इन तरंगों को हमारे कान सुन सकते हैं!
(3) पराश्रव्य ध्वनि तरंगे (parashravya dhwani kise kahate hain) –
20,000Hz से ऊपर की आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगों को पराश्रव्य तरंगें कहा जाता है! मनुष्य की कान इसे नहीं सुन सकते हैं! परंतु कुछ जानवर जैसे – कुत्ता, बिल्ली, चमगादड़ आदि, इसे सुन सकते हैं!
पराश्रव्य तंरगों के उपयोग –
(1) समुद्र की गहराई का पता लगाने में!
(2) कल कारखानों की चिमनियों से कालिख हटाने में!
(3) दूध के अंदर हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने में!
(4) गठिया रोग के उपचार एवं मस्तिष्क के ट्यूमर का पता लगाने में!
ध्वनि का माध्यम किसे कहते हैं –
वह स्त्रोत या पथ जिसके द्वारा ध्वनि का संचरण होता है, ध्वनि का माध्यम कहलाता है! ध्वनि तरंगों के संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है :- जैसे वायु, द्रव अथवा ठोस! गैस की अपेक्षा ठोस एवं द्रव ध्वनि के अच्छे चालक है! दूर से आती रेलगाड़ी की ध्वनि वायु में होकर कान को नहीं सुनाई पड़ती, जबकि रेल की पटरी पर काम रखकर सुने तो यह ध्वनि स्पष्ट सुनाई पड़ती है!
ध्वनि की विशेषताएं या लक्षण (Signs or features of sound in hindi) –
(1) प्रबलता –
प्रबलता ध्वनि का वह अभिलक्षण है जिसके कारण कोई ध्वनि तीव्र या मंद सुनाई देती है! ध्वनि की प्रबलता का मात्रक फोन है! ध्वनि की प्रबलता तरंगों की ऊर्जा से संबंधित तथा तरंग आयाम पर निर्भर करती है!
(2) तारत्व –
तारत्व ध्वनि का वह लक्षण है, जिससे ध्वनि को मोटी या पतली कहा जाता है! तारत्व आवृत्ति पर निर्भर करता है! ध्वनि की आवृत्ति अधिक होने पर तारत्व अधिक होता है, एवं ध्वनि पतली होती है! वही आवृत्ति कम होने तारत्व कम होता है और ध्वनि मोटी होती है!
(3) गुणता –
ध्वनि का वह लक्षण जिसके कारण हमें समान प्रबलता तथा समान तारत्व की ध्वनियों में अंतर प्रतीत होता है गुणता कहलाता है! ध्वनि की गुणवत्ता संनादी स्वरों की संख्या, क्रम और अपेक्षित तीव्रता पर निर्भर करती है!
(1) डॉप्लर प्रभाव क्या है-
जब किसी ध्वनि स्त्रोत एवं श्रोता के बीच आपेक्षिक गति होती है, तो श्रोता को ध्वनि की आवृत्ति उसकी वास्तविक आवृत्ति से अलग सुनाई पड़ती है, इसे भी डॉप्लर प्रभाव कहा जाता है!
डॉप्लर प्रभाव के कारण ही जब रेलगाड़ी निकट आ रही होती है तो उसके सीटी अधिक तीखी सुनाई पड़ती है, जबकि रेलगाड़ी दूर जा रही हो तो कम तीखी सुनाई पड़ती है!
(2) प्रतिध्वनि किसे कहते हैं-
जब ध्वनि तरंगे दूर स्थित किसी दृढ़ टावर या पहाड़ से टकराकर परावर्तित होती है तो उस परावर्तित ध्वनि को प्रतिध्वनि कहते हैं! प्रतिध्वनि सुनने के लिए श्रोता एवं परावर्तक सतह के बीच न्यूनतम 17 मीटर की दूरी होना चाहिए!
(3) ध्वनि का अपवर्तन क्या है –
वायु की विभिन्न परतों का ताप भिन्न-भिन्न होता है तथा ध्वनि का वेग ठंडी वायु की अपेक्षा गर्म वायु में अधिक होने के कारण, ध्वनि इन परतों में संचरित होने पर अपने मार्ग से मुड़ जाती है! ध्वनि के इस मुड़ने की घटना को ध्वनि का अपवर्तन कहते हैं! गर्म दिन में भूमि के निकट वायु ऊपर की अपेक्षा अधिक गर्म होती है अतः भूमि के निकट की वायु परत में ध्वनि का वेग अपेक्षाकृत अधिक होता है!
प्रश्न :- आवृत्ति किसे कहते हैं?
उत्तर :- कंपन करने वाली वस्तु एक सेकंड में जितना कंपन करती हैं, उसे उसकी आवृत्ति कहते हैं! आवृत्ति का SI मात्रक हटर्ज हैं!
प्रश्न :- श्रव्य ध्वनि तरंगे किसे कहते हैं
उत्तर :-20 Hz से 20,000Hz के बीच की आवृत्ति वाली तरंगों को श्रव्य तरंगे कहते हैं! इन तरंगों को हमारे कान सुन सकते हैं!
प्रश्न :- ध्वनि संचरण किसे कहते हैं
उत्तर :- ध्वनि (Sound) एक स्थान से दूसरे स्थान तक तरंगों के माध्यम से पहुंचती है, इसे तरंग संचरण कहते हैं! ध्वनि संचरण के लिए किसी न किसी माध्यम जैसे – ठोस, द्रव और गैस का होना आवश्यक है! ध्वनि निर्वात में होकर नहीं चल सकती हैं!
प्रश्न :- साउंड किसे कहते हैं (dhvni kise kahate hain)
उत्तर :- साउंड (Sound) या ध्वनि एक प्रकार की ऊर्जा है जिसकी उत्पत्ति किसी ना किसी वस्तु के कंपन करने से होती है! ध्वनि तरंगे अनुदैर्ध्य तरंगे होती हैं जो निर्वात में गमन नहीं कर सकती इनके संचालन के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है जैसे – वायु, द्रव अथवा ठोस! वायु में ध्वनि की चाल 332 मी./से. होती है
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