उच्च न्यायालय क्या है? uchch nyayalaya का क्षेत्राधिकार एवं शक्तियां

उच्च न्यायालय क्या है (uchch nyayalaya kya hai) – 

भारत में उच्च न्यायालय (uchch nyayalaya) संस्था का सर्वप्रथम गठन 1862 में तब हुआ, जब कलकत्ता, मुंबई और मद्रास उच्च न्यायालय की स्थापना हुई। भारत के संविधान में प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय की व्यवस्था की गई है लेकिन सातवें संशोधन अधिनियम, 1956 में संसद को अधिकार दिया गया है कि वह दो या दो से अधिक राज्यों एवं एक संघ राज्य क्षेत्र के लिए एक साझा उच्च न्यायालय की स्थापना कर सकती है। इस समय देश में 25 उच्च न्यायालय है। केंद्र शासित प्रदेशों में केवल दिल्ली में ही उच्च न्यायालय स्थित है!

उच्च न्यायालय का गठन (uchch nyayalaya ka gathan) – 

प्रत्येक उच्च न्यायालय का गठन एक मुख्य न्यायाधीश तथा ऐसे अन्य न्यायाधीशों को मिलाकर किया जाता है जिन्हें राष्ट्रपति समय-समय पर नियुक्त करें (अनुच्छेद 216)। इस प्रकार अलग-अलग उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या भी अलग-अलग होती है। 

न्यायाधीशों की नियुक्ति (uchch nyayalaya ke nyayadhish ki niyukti) – 

संविधान के अनुच्छेद 217 के अनुसार उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। राष्ट्रपति ऐसी नियुक्ति करने से पूर्व भारत के मुख्य न्यायाधीश, संबंधित राज्य के राज्यपाल तथा संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करेगा। किंतु व्यवहार में राष्ट्रपति 1998 ई. के तीसरे न्यायाधीश मामले में अपनाई गई परामर्श मण्डल प्रक्रिया के द्वारा दी गई सलाह के अनुसार ही नियुक्ति करता था।

वर्तमान में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायाधीश की नियुक्ति व स्थानांतरण के संबंध में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है। यह आयोग नियुक्ति व हस्तांतरण के संबंध में राष्ट्रपति को परामर्श देगा, जो राष्ट्रपति मानने के लिए बाध्य है।(वर्तमान में राष्ट्रीय नियुक्ति आयोग का गठन नहीं हो पाया है)। 

उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार एवं शक्तियां (uchch nyayalaya ka kshetradhikar avam shaktiyaan) – 

1. प्रारंभिक क्षेत्राधिकार :- 

प्रत्येक उच्च न्यायालय को नौकाधिकरण, इच्छा पत्र, तलाक, विवाह, (कंपनी कानून) न्यायालय की अवमानना तथा कुछ राजस्व संबंधी प्रकरणों नागरिकों के मौलिक अधिकारों की क्रियान्वयन (अनुच्छेद 226) के लिए आवश्यक निर्देश विशेषकर बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, निषेध, उत्प्रेषण तथा अधिकार-पृच्छा के लेख जारी करने के अधिकार प्राप्त है। 

2. अपीलीय क्षेत्राधिकार :- 

1. फौजदारी मामलों में अगर सत्र न्यायाधीश ने मृत्यु दंड दिया हो, तो उच्च न्यायालय में उसके विरुद्ध अपील हो सकती हैं। 

2. दीवानी मामलों में उच्च न्यायालय मैं उन सब मामलों की अपील हो सकती है, जो पांच लाख रुपये या उससे अधिक संपत्ति संबद्ध हो।  

3. उच्च न्यायालय पेटेंट और डिजाइन, उत्तराधिकार, भूमि-प्राप्ति दिवालियापन और संरक्षकता आदि मामलों में भी अपील सुनता है। 

3. उच्च न्यायालय में मुकदमों का हस्तांतरण :- 

यदि किसी उच्च न्यायालय को ऐसा लगे कि जो अभीयोग अधीनस्थ न्यायालय में विचाराधीन है, वह विधि के किसी सारगर्भित प्रश्न से संबंद्ध है तो उसे अपने यहॉ हस्तांतरित कर, या तो उसका निपटारा स्वयं कर लेता है या विधि से संबंध प्रश्न को निपटाकर अधीनस्थ न्यायालय को निर्णय के लिए वापस भेज देता है। 

4. प्रशासकीय अधिकारी :- 

उच्च न्यायालयों को अपने अधीनस्थ न्यायालयों में नियुक्त पदावनति, पदोन्नति तथा छुट्टियों के संबंध में नियम बनाने का अधिकार है।

उच्च न्यायालय से संबंधित प्रश्न उत्तर

प्रश्न :- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति कौन करता है?

उत्तर :- संविधान के अनुच्छेद 217 के अनुसार उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। राष्ट्रपति ऐसी नियुक्ति करने से पूर्व भारत के मुख्य न्यायाधीश, संबंधित राज्य के राज्यपाल तथा संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करता है!

प्रश्न :- भारत में कितने उच्च न्यायालय हैं वर्तमान मे

उत्तर :- वर्तमान में भारत में 25 उच्च न्यायालय हैं! सबसे प्राचीन उच्च न्यायालय कोलकाता उच्च न्यायालय हैं और आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय सबसे नवीन उच्च न्यायालय हैं, जिसकी स्थापना 1 जनवरी 2019 में की गई!

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