जीन इंजीनियरिंग या आनुवंशिक इंजीनियरिंग क्या है (Genetic Engineering in hindi) –
आनुवांशिक इंजीनियरिंग (Genetic engineering) वह तकनीक है जिसमें जीन को परिवर्तित कर दिया जाता है या जीन का पूर्णसंयोजन किया जाता है! जीन में परिवर्तन के द्वारा वैज्ञानिक किसी जीव या उसकी संतानों के गुण में परिवर्तन ला देते हैं!
जीन अभियांत्रिकी वस्तुत: एक तकनीक है जिसके अंतर्गत किसी जीव के किसी विशेष लक्षण अथवा लक्षणों में व्यक्ति सुधार लाने के उद्देश्य से एक विशेष लक्षण अथवा लक्षणों को नियंत्रित करने वाले जीन में कृत्रिम तरीके से परिवर्तन किया जाता है! इसलिए किसी भी विशेष डी.एन.ए. खंड को या विशिष्ट जीन या जीनों को अलग करके उन्हें नए जीवों में आरोपित कर दिया जाता है!
जैसे – किसी जीन या जीनों का किसी जीवाणु से मनुष्य में अथवा पौधों, जंतुओं में स्थानांतरित करना या इसके विपरीत प्रक्रिया! इससे जीनों का एक बिल्कुल नए प्रकार का पुनर्संयोजन बनता है या दूसरे शब्दों में कहें तो पुनर्संयोजन डी.एन.ए. बनता है! इस प्रकार जीन अभियांत्रिकी तकनीक के माध्यम से किसी जीव में वांछित लक्षणों को प्राप्त किया जा सकता है!
आनुवांशिक इंजीनियरिंग का उपयोग आजकल अनुवांशिकी विज्ञान की एक शाखा के रूप में विस्तृत रूप से किया जाता है! इस शाखा का मुख्य उद्देश्य किसी जीव के जींस या अनुवांशिक पदार्थ में स्वेच्छा से परिवर्तन, काट-छांट, मरम्मत अथवा सुधार आदि करके उनके लक्षणों को परिवर्तित करना है!
अनुवांशिक इंजीनियरिंग का उपयोग एवं महत्व (Importance and applications of genetic engineering in hindi) –
जेनेटिक इंजीनियरिंग का उपयोग इस प्रकार है –
(1) आजकल जीन थेरेपी का उपयोग करके कई रोगों को जड़ से खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है!
(2) जेनेटिक इंजीनियरिंग से जीन की संरचना एवं उसकी भावाकृति को समझने में मदद मिली है!
(3) इस तकनीक की सहायता से ऐसी जीवों को उत्पादित किया जा सकता है, जिनका जीन प्रारूप बिल्कुल नया हो, जिससे आवश्यकतानुसार नये लक्षणों को उभारा जा सके!
(4) पौधों की जंगली प्रजातियों से जीनों को प्राप्त करके उन्हें फसली पौधों में स्थानांतरित कर उनमें कीड़े-मकोड़े तथा परजीवियों के प्रति प्रतिरोधकता पैदा करने के प्रयास किए जा रहे हैं!
(5) इस तकनीक की सहायता से पौधों में भी स्वत: रोग प्रतिरोधकता उत्पन्न करने का प्रयास किया जा रहा है!
(6) कुछ ऐसी कोशिकाओं का उत्पादन का प्रयास किया जा रहा है, जो बायो-रिएक्टर्स पोषक खाद्य पदार्थ को उत्पन्न कर सकें!
(7) हरित लवक एवं केंद्रीय जींस को पुनः समायोजित कर फसली पौधों की प्रकाश संश्लेषण करने की क्षमता बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं!
(8) पुनर्योजन DNA तकनीक का उपयोग कुछ उत्पादों के संश्लेषण में किया गया है जो कृषि उत्पादकों की प्रोसेसिंग करने हेतु आवश्यक होते हैं!