44 वां संविधान संशोधन अधिनियम 1978 (44 va Samvidhan Sansodhan in hindi) –
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आपातकाल में संकटकालीन प्रावधानों का जिस प्रकार दुरुपयोग किया गया, उससे इन प्रावधानों के विरुद्ध प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक था.इसके अतिरिक्त 1977 में सत्तारूढ़ जनता पार्टी संविधान के संकटकालीन प्रावधानों में ऐसे परिवर्तन के लिए वचनबद्ध थी, जिससे वर्तमान या भविष्य में सरकारों द्वारा इसका दुरुपयोग न किया जा सके! 44 वें संविधान संशोधन के समय प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई थे!
इस संविधान संशोधन द्वारा 42 वें संविधान संशोधन में किए गए अनेक प्रावधानों में संशोधन किया गया! 44 वां संविधान संशोधन 1978 में पारित हुआ था! 44 वें संविधान संशोधन (44 va Samvidhan Sansodhan) 1978 द्वारा संविधान में किए गए संशोधन इस प्रकार हैं –
44 वां संविधान संशोधन के प्रावधान (provisions of 44 va Samvidhan Sansodhan in hindi)-
(1) लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को पुनः 6 वर्ष से 5 वर्ष कर दिया गया!
(2)अब आपातकाल युद्ध भारी आक्रमण सशस्त्र विद्रोह अथवा इस प्रकार की आशंका होने पर ही घोषित किया जा सकेगा केवल आंतरिक अशांति के नाम पर आपातकाल घोषित नहीं किया जा सकता!
(3) राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 352 के अंतर्गत आपातकाल की घोषणा तभी की जा सकेगी जब मंत्रिमंडल लिखित रूप से राष्ट्रपति को ऐसा परामर्श दें!
(4) आपातकाल की घोषणा के 1 माह के अंदर संसद के विशेष बहुमत से इसकी स्वीकृति आवश्यक होगी और इसे लागू रखने के लिए प्रति 6 माह बाद पुनः स्वीकृति आवश्यक होगी! अर्थात एक बार में केवल 6 माह के लिए ही आपातकाल लगाया जा सकता है!
(5) आपातकाल को लोकसभा के साधारण बहुमत द्वारा हटाया जा सकता है तथा राष्ट्रपति द्वारा की गई संकटकालीन घोषणा को न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है!
(6) राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया गया कि वह मंत्रिपरिषद की सलाह को एक बार पुनर्विचार के लिए कह सकता है हालांकि पुनर्विचार के बाद दी गई सलाह को मानने के लिए राष्ट्रपति बाद जो होगा!
(7) उच्चतम न्यायालय को राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के निर्वाचन संबंधी विवाद को हल करने का अधिकार दिया गया
(8) 44 va Samvidhan Sansodhan द्वारा संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बना दिया गया
(9) लोकसभा या विधानसभा सत्र के लिए कोरम या गणपूर्ति को आवश्यक कर दिया गया!
(10) संसदीय विशेषाधिकारों के संबंध में ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमंस के संदर्भ को हटा दिया गया!
(11) संसद एवं राज्य विधानमंडल की कार्यवाही की रिपोर्ट को समाचार पत्र में प्रकाशन के लिए संवैधानिक संरक्षण प्रदान किया गया
(12) अनुच्छेद 20 और 21 द्वारा प्रदत्त मूल अधिकारों को राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान निलंबित नहीं किया जा सकता!
(13) अध्यादेश जारी करने में राष्ट्रपति, राज्यपाल तथा प्रशासक की संतुष्टि के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया!
(14) 44 va Samvidhan Sansodhan द्वारा सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय को कुछ शक्तियां पुनः प्रदान की गई!
उपरोक्त आर्टिकल में 44 va Samvidhan Sansodhan का वर्णन किया गया है, आपको यह आर्टिकल कैसा लगा या आपका कोई सुझाव हो, तो हमें कमेंट करके जरूर बताये!
प्रश्न :- 44 वां संविधान संशोधन कब हुआ था
उत्तर :- 44 वां संविधान संशोधन 1978 में पारित हुआ था! 44 वें संविधान संशोधन (44 va Samvidhan Sansodhan) 1978 द्वारा संविधान में किए गए संशोधन इस प्रकार हैं –
प्रश्न :- 44 वें संविधान संशोधन के समय प्रधानमंत्री कौन था
उत्तर :- 44 वें संविधान संशोधन के समय प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई थे! आपातकाल में संकटकालीन प्रावधानों का जिस प्रकार दुरुपयोग किया गया, उससे इन प्रावधानों के विरुद्ध प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक था.इसके अतिरिक्त 1977 में सत्तारूढ़ जनता पार्टी संविधान के संकटकालीन प्रावधानों में ऐसे परिवर्तन के लिए वचनबद्ध थी, जिससे वर्तमान या भविष्य में सरकारों द्वारा इसका दुरुपयोग न किया जा सके
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