42 वां संविधान संशोधन क्या है (42 va samvidhan sansodhan kya hai) –
42 वां संविधान संशोधन अधिनियम को भारत का लघु संविधान भी कहते हैं, यह एक विवादास्पद संविधान संशोधन है. 42 वां सविधान संशोधन अधिनियम मुख्यतः सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए किया गया था
इस बिल को एचआर गोखले ने प्रस्तुत किया था 42 va samvidhan sansodhan संशोधन के समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी! 42 वां सविधान संशोधन अधिनियम का अधिकांश प्रावधान 3 जनवरी 1977 को लागू हुआ, अन्य 1 फरवरी से लागू किया गया और 27 अप्रैल 1 अप्रैल 1977 को लागू हुआ!
42 वां संविधान संशोधन प्रावधान (42nd Constitution Amendment Provisions in hindi) –
इस संविधान संशोधन अधिनियम में निम्न प्रावधान किए गए थे –
(1) 42 वां संविधान संशोधन के द्वारा प्रस्तावना में समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष एवं अखंडता आदि शब्दों को जोड़ा गया!
(2) 42 वां संविधान संशोधन द्वारा संविधान में दस मौलिक कर्तव्य को अनुच्छेद 51-क के अंतर्गत जोड़ा गया!
(3) राज्य के नीति निर्देशक तत्व को मूल अधिकारों पर वरीयता दे दी गई ‘अर्थात’ भाग-4 में उल्लेखित नीति निर्देशक तत्व को लागू करने के लिए बनाए गए किसी कानून को इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि, उस कानून से किसी मूल अधिकार का उल्लंघन होता है
(4) संविधान संशोधन को न्यायिक जांच से बाहर कर दिया गया अर्थात संसद द्वारा पारित किए गए किसी भी संविधान संशोधन को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती!
(5)इसके द्वारा निर्धारित किया गया कि राष्ट्रपति मंत्रीपरिषद एवं उसके प्रमुख प्रधानमंत्री की सलाह के अनुसार कार्य करेगा
(6) राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद द्वारा दी गई सलाह को मानने के लिए बाध्य होगा!
(7) संविधान के भाग 14-क में एक नया अध्याय “प्राधिकरण” जोड़ा गया, जिसके तहत केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण ( CAT) तथा राज्य प्रशासनिक अधिकरण(SAT) और अन्य मामलों के लिए प्राधिकरण की व्यवस्था की गई!
(8) लोकसभा एवं विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष से बढ़ाकर 6 वर्ष कर दिया गया !
(9) इसके द्वारा वन संपदा, शिक्षा, नाप-तौल, वन्यजीवों एवं पक्षियों का संरक्षण, और अधीनस्थ न्यायालय का गठन आदि विषयों को राज्य सूची से समवर्ती सूची में स्थानांतरित किया गया
(10) न्यायिक समीक्षा एवं रेट न्याय क्षेत्र में उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय की शक्ति में कटौती की गई !
(11) इसके द्वारा संसद को राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से निपटने के लिए कानून बनाने का अधिकार दिए एवं सर्वोच्चता स्थापित की!
(12) संपूर्ण भारत के बजाय भारत के किसी एक भाग में राष्ट्रीय आपातकाल लागू करना!
(13) राज्य में राष्ट्रपति शासन के कार्यकाल को एक बार में 6 माह से 1 साल तक बढ़ोतरी की जा सकेगी
(14) केंद्र द्वारा किसी राज्य में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए सैन्य बल भेजने की शक्ति!
(15) संसद और विधान मंडल में कोरम या गणपूर्ति की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया!
(16) अखिल भारतीय विधिक सेवा (All India Judicial Service) के निर्माण की व्यवस्था 42 va samvidhan sansodhan के द्वारा की गई!
(17) सिविल सेवक को दूसरे चरण पर जांच के उपरांत प्रतिवेदन के अधिकार को समाप्त कर अनुशासनात्मक कार्यवाही को छोटा किया गया!
(18) इसके द्वारा संसद को यह शक्ति प्रदान की गई कि समय-समय पर अपने सदस्यों एवं समितियों के अधिकार एवं विशेष अधिकारों का निर्धारण करें!
(19) 42 va samvidhan sansodhan द्वारा तीन नये नीति निदेशक तत्व को जोड़ा गया जैसे – सभी के लिए समान न्याय और निशुल्क कानूनी सहायता, उद्योगों के प्रबंधन में कर्मचारियों व श्रमिकों की भागीदारी, पर्यावरण तथा वन्य जीवों का संरक्षण आदि!
इस संविधान संशोधन के द्वारा न्यायपालिका पर विधायिका की सर्वोच्चता स्थापित करने का प्रयास किया गया था परंतु 43 एवं 44 वें संविधान संशोधन द्वारा इसमें से अधिकांश प्रावधानों को परिवर्तित कर दिया गया या हटा दिया गया!
FAQ –
प्रश्न :- 42 वां संविधान संशोधन कब पास हुआ और इस बिल को किसने प्रस्तुत किया था
उत्तर – 42 वां सविधान संशोधन अधिनियम का अधिकांश प्रावधान 3 जनवरी 1977 को लागू हुआ, अन्य 1 फरवरी से लागू किया गया और 27 अप्रैल 1 अप्रैल 1977 को लागू हुआ! इस बिल को एचआर गोखले ने प्रस्तुत किया था 42 va samvidhan sansodhan संशोधन के समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी!
प्रश्न:- 42 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 के द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में किन शब्दों को जोड़ा गया था ?
उत्तर :- 42 va samvidhan sansodhan संशोधन के द्वारा प्रस्तावना में समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष एवं अखंडता आदि शब्दों को जोड़ा गया!
उपरोक्त आर्टिकल में प्रमुख 42 वें संविधान संशोधन का वर्णन किया गया है, आपको यह आर्टिकल कैसा लगा या आपका कोई सुझाव हो, तो हमें कमेंट करके जरूर बताये!
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