सतत विकास लक्ष्य क्या है (sustainable development goals in hindi) –
सतत विकास लक्ष्य (sdg) 17 वैश्विक लक्ष्यों का एक संग्रह है जिसे “सभी के लिए एक बेहतर और अधिक टिकाऊ भविष्य प्राप्त करने का खाका” बनने के लिए डिज़ाइन किया गया है! संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2015 में निर्धारित एसडीजी और वर्ष 2030 तक हासिल करने का इरादा, संयुक्त राष्ट्र के संकल्प 70/1, 2030 एजेंडा का हिस्सा हैं! यह लक्ष्य व्यापक आधारित और अन्योन्याश्रित हैं।
2015 के अंत में सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों के निरस्त हो जाने पर सतत विकास लक्ष्य उनको प्रतिस्थापित कर रहे हैं! वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 70 वीं बैठक में 2030 सतत विकास हेतु एजेंडा के तहत सदस्य देशों द्वारा 17 विकास लक्ष्य अर्थात एसडीजी तथा 169 प्रायोजन अंगीकृत किए गए!
सतत विकास लक्ष्य की आवश्यकता (satat vikas lakshya ki avashyakta) –
लोगों को लक्ष्य को देखने में मदद मिल सके और उन्हें अधिक प्रबंधनीय और दूरदराजी बनाकर सतत विकास को प्राप्त किया जा सकता है! लोगों को सतत विकास ओर बढाने के लिए नेतृत्व किया जा सकता है! राष्ट्रपति केनेडी ने इस अवसर पर यह कहा था कि लक्ष्य ओर की अनूप रूप से बढ़ना है!
सतत विकास लक्ष्य का उद्देश्य (satat vikas lakshya ke uddeshya) –
संयुक्त राष्ट्र ने इन महत्वकांक्षी सतत विकास लक्ष्यों का उद्देश्य अगले 15 वर्षों में गरीबी और भुखमरी को समाप्त करना और लिंग समानता सुनिश्चित करने के अलावा सभी को सम्मानित जीवन का अवसर उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया है!
17 सतत विकास लक्ष्य, सतत् विकास के लिए 2030 एजेंडा के अंग हैं जिसे सितम्बर, 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के शिखर सम्मेलन में 193 सदस्य देशों ने अनुमोदित किया था! यह एजेंडा पहली जनवरी 2016 से प्रभावी हुआ है! सतत विकास लक्ष्यों को निर्धारित करने के लिए हुई अभूतपूर्व परामर्श प्रक्रिया में राष्ट्रीय सरकारों और दुनिया भर के लाखों नागरिकों ने मिलकर बातचीत की और अगले 15 वर्ष के लिए सतत् विकास हासिल करने का वैश्विक मार्ग अपनाया!
सतत विकास लक्ष्यों का महत्व (importance sdg goals in hindi) –
औद्योगीकरण की शुरुआत के बाद से, दुनिया ने और अधिक तेजी से तकनीकी सफलताएं देखी हैं, जिससे विकास की गति तीव्र रही है जो पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों के निर्माण की गति से आगे निकल रही है! इसलिए सतत विकास का महत्व बढ़ जाता है!
सतत विकास के 17 लक्ष्य (17 goals of sustainable development in hindi) –

sdg goals list in hindi इस प्रकार हैं –
(1) गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से समाप्ति करना!
(2) भूखमरी की समाप्ति, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा!
(3) सभी उम्र के लोगों में स्वास्थ्य सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा!
(4) समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सभी को सीखने के लिए अवसर देना!
(5) लैंगिक समानता प्राप्त करने के साथ ही महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाना!
(6) सभी के लिये स्वच्छता और पानी के सतत प्रबंधन को सुनिश्चित करना!
(7) टिकाऊ, सस्ती, विश्वसनीय और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच सुनिश्चित करना!
(8) सभी के लिये निरंतर समावेशी और सतत आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोज़गार, और सभ्य काम को बढ़ावा देना!
(9) लचीली बुनियादी ढांचे, समावेशी और सतत औद्योगीकरण को बढ़ावा!
(10) देशों के बीच और भीतर असमानता को कम करना!
(11) सुरक्षित, लचीले और टिकाऊ शहर और मानव बस्तियों का निर्माण!
(12) स्थायी खपत और उत्पादन पैटर्नो को सुनिश्चित करना!
(13) जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिये तत्काल कार्रवाई करना!
(14) स्थायी सतत विकास के लिये समुद्र, महासागरों,और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उपयोग!
(15) सतत उपयोग को बढ़ावा देने वाले स्थलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों, सुरक्षित जंगलों और जैव विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकने का प्रयास करना!
(16) सतत विकास के लिये शांतिपूर्ण और समावेशी समितियों को बढ़ावा देने के साथ ही सभी स्तरों पर इन्हें प्रभावी, जवाबदेह जवाबदेहपूर्ण बनाना ताकि सभी के लिये न्याय सुनिश्चित हो सके!
(17) सतत विकास के लिये वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के अतिरिक्ति कार्यान्वयन के साधनों को मज़बूत बनाना!
सतत विकास लक्ष्य, सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य से कैसे भिन्न हैं –
सतत विकास लक्ष्य सहस्राब्दी विकास लक्ष्य से इन मायने में अलग है कि सतत विकास लक्ष्य वैश्विक है, जबकि सहस्राब्दी विकास लक्ष्य सिर्फ विकासशील एवं गरीब देशों में लागू किए गए थे! विकसित देशों की जिम्मेदारी सिर्फ आर्थिक संसाधन जुटाने और तकनीकी सहायता जुटाने में थीं! सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों का परिणाम मिश्रित रहा!
जहां कुछ देशों में गरीबी कम करने, शिक्षा का स्तर बढ़ाने खासकर बालिका शिक्षा, महिलाओं के सशक्तिकरण इत्यादि में खासी प्रगति रही! लेकिन ज्यादातर देशों के परिणाम उत्साहजनक नहीं रहे! परंतु कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि इसकी उपलब्धि असमान एवं अपर्याप्त रहीं! सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों में सबसे कमजोर कड़ी अंतरराष्ट्रीय भागीदारी रही जिसने विकसित देश एवं अन्य देशों को सकल घरेलू उत्पाद का 0% 7% देने में असफल रहे!
हालांकि कुछ देशों ने बेहतर प्रयास किए कुछ देशों और क्षेत्रों को आर्थिक सहायता उपलब्ध हुई! लेकिन 2014 तक वैश्विक स्तर पर यह सहायता सर्वाधिक 0.3% तक पहुंची! वैश्विक भागीदारी के अभाव में सतत विकास लक्ष्य के परिणाम एवं प्राप्त उपलब्धियां आशाजनक नहीं रहे!
सतत विकास लक्ष्यों के सकारात्मक पक्ष (satat vikas lakshya ke sakaratmak parinam) –
सतत विकास लक्ष्य सहस्त्राब्दी लक्ष्य की तुलना में प्रगतिशील है! यह ललक्ष्य वैश्विक हैं और दुनिया के सभी देशों में लागू किए जाएंगे! यह उल्लेखनीय है कि पहली बार सतत विकास पर ऐसी वैश्विक सहमति बनी है और इसके लिए सभी देशों का योगदान अपेक्षित है! स्थायित्व आज प्रत्येक देश की चिंता है और सब देश मिलकर गरीबी और भूख को खत्म करने, स्वास्थ्य सुधार, आर्थिक विकास को समावेशी और पर्यावरण के अनुसार संवेदनशील बनाने का प्रयास करेंगे यह काफी उत्साहजनक है!
सतत विकास लक्ष्यों के नकारात्मक पक्ष (satat vikas lakshya ke sakaratmak parinam) –
सतत विकास लक्ष्य समकालीन मूल समस्याओं जैसे कि वैश्विक आर्थिक, वित्तीय और व्यापार की संरचना में मौजूद परिवर्तन की आवश्यकता को नजरअंदाज करता है! जिसके बिना दुनिया से भूख, गरीबी, असमानता दूर करना मुश्किल है! बहुत लोगों का मानना है कि इन समस्याओं की जड़ नवउदारवादको बढ़ाने वाली पूंजीवादी व्यवस्था है और इन व्यवस्थाओं और संस्थाओं में आमूल परिवर्तन के बिना दुनिया में स्थायित्व लाना असंभव है!
प्रश्न :- सतत विकास लक्ष्यों की कुल संख्या है
उत्तर :- सतत विकास लक्ष्यों की कुल संख्या 17 है
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