पर्यावरण मानव-जीवन को आधार प्रदान करता है! पर्यावरण के तत्वों की विद्यमानता से ही पृथ्वी तल पर जीवन संभव हुआ है! इन तत्वों के अभाव के कारण ही अन्य ग्रहों एवं उपग्रहों पर जीवन संभव नहीं है! मानव इस पर्यावरण की सर्वश्रेष्ठ कृति है! जैव समुदाय की सभी आवश्यकताएँ पर्यावरण के तत्वों द्वारा ही पूर्ण होती है!
मानव जीवन की सभी मूलभूत आवश्यकताएं भी इन्हीं तत्वों द्वारा पूर्ण की जाती है! पर्यावरण के इन तत्वों का मानव जीवन से गहन संबंध है! ये तत्व मानव को प्रत्येक क्षेत्र में प्रभावित करते हैं! मानव जीवन में पर्यावरण का महत्व इस प्रकार हैं –
मैदानों को ‘सभ्यता के पालना‘ की संज्ञा दी गई है! विश्व की अधिकांश सभ्यताएँ नदी घाटी सभ्यताएँ ही है! नदियों द्वारा लाई गई जलोढ़ मिट्टी से निर्मित मैदान सदैव ही मानव को आश्रय प्रदान करते रहे हैं! ये मैदान कृषि, व्यापार, उद्योग, परिवहन की प्रगति के आधार होते हैं! इन पर किसी भी देश का आर्थिक विकास निर्भर करता है! भारत का विशाल गंगा का मैदान, चीन में ह्वांगहो का मैदान, दजला फरात का मैदान, मिस्र में नील नदी की घाटी इसके सर्वोत्तम उदाहरण है!
पर्वतों का मानव-जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता हैं! पर्वत मुख्यतः जलवायु एवं जन-स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं! पर्वत वह संपदा के अक्षय भंडार हैं, जिनसे अनेक जड़ी बूटियों प्राप्त होती है! इनसे पर्याप्त मात्रा में खनिज पदार्थ, बहुमूल्य लकड़ी प्राप्त होती है! अधिकांश नदियों के उद्गम स्त्रोत पर्वत श्रेणियां ही होती है! यहां से कीमती पत्थर भी प्राप्त होते हैं! इस प्रकार पर्वत श्रेणियां मानव जीवन के विकास में सहायक है! हिमालय पर्वत श्रेणी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है!
पठार एक ऐसी धरातलीय संरचना है, जो खनिज पदार्थों के अक्षुण्ण भंडार कहे जाते हैं! प्राकृतिक वन संपदा एवं चारागाहोंं में पठारों भूमि धनी होती है! ये सभी वस्तुएं मानवीय जीवन में सहायक होती है! भारत का प्रायद्वीपीय पठार इसका सर्वोत्तम उदाहरण है!
भूगर्भ के अंदर अनेक खनिज – लौह अयस्क, कोयला, मैगनीज, अभ्रक, तांबा, सोना, चांदी, खनिज तेल की पाए जाते हैं, जो मानव-जीवन के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं! संपूर्ण औद्योगिक विकास खनिज पदार्थों एवं शक्ति संसाधनों पर निर्भर करता है! भारत का प्रायद्वीपीय पठार खनिज पदार्थों में अत्याधिक धनी हैं, जिनसे देश का आर्थिक विकास संभव हो सका है!
जल के बिना जीवन की कल्पना करना नामुमकिन है! जल संसाधन मानव के लिए सर्वाधिक उपयोगी है! आंतरिक जल संसाधनों में नदियों का अपना महत्वपूर्ण स्थान है! नदियाँ मानव-जीवन का स्त्रोत है तथा मानव के लिए उपजाऊ मैदानों का निर्माण करती है जिससे मानव को यथेष्ट खाद्यान्नों की प्राप्ति होती है! इनसे मानव को सिंचाई, जलविद्युत शक्ति, पेयजल एवं परिवहन आदि की सुविधाएं प्राप्त होती है! हमारे देश में गंगा, जमुना, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, दामोदर आदि नदियां के प्रमुख उत्तम उदाहरण हैं!
जलवायु एवं धरातलीय संरचना के सहयोग से प्राकृतिक वनस्पति की उत्पत्ति होती है! प्राकृतिक वनस्पति से मानव को अनेक वस्तुएं – इमारती लकड़ी, बिरोजा, गोंद, औषधि, पशुओं के लिए चारागाह तथा कागज एवं दियासिलाई उद्योगों के लिए कच्चा माल प्राप्त होता है! वन मिट्टी के अपरदन को रोकने में सहायक होते हैं तथा कृषि भूमि में जीवाश्म की मात्रा में वृद्धि करते हैं, जिससे फसलों का भरपूर उत्पादन प्राप्त होता है! प्राकृतिक वनस्पति द्वारा जलवायु भी प्रभावित होती है!
इस प्रकार उपरोक्त विवरण से स्पष्ट होता है कि भौतिक पर्यावरण एवं मानव जीवन में गहन संबंध है तथा वह मानव जीवन को चारों ओर से प्रभावित करता है! पर्यावरण के कारक मानव जीवन को महत्ता प्रदान करते हैं! पर्यावरण के अनुरूप ही मानव के सभी क्रियाकलाप निर्धारित होते हैं! पर्यावरण की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए लॉप्ले नामक विद्वान ने कहा कि “प्रत्येक मानव समुदाय एक निश्चित पर्यावरण में निवास करता है और उस समुदाय के जीवन, कार्य तथा संगठन पर्यावरण के अनुसार ही निर्धारित होते हैं! मानव जीवन में पर्यावरण का महत्व बहुत अधिक हैं!
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