जैव विविधता क्या है (jaiv vividhata kya hai) –
जैव विविधता (jaiv vividhata) से तात्पर्य पृथ्वी पर पाए जाने वाले जैव विविधता से है! अर्थात जैव विविधता का अर्थ किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों एवं वनस्पतियों की संख्या से है तथा इसका संबंध पौधों के प्रकारों, प्राणियों एवं सूक्ष्म जीवों से है! किंतु जैव विविधता जीवो की वैधता तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसके अंतर्गत उस पर्यावरण को भी शामिल किया जाता है जिसमें वह निवास करते हैं!
1992 में रियो डी जेनेरियो में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन में जैव विविधता की मानक परिभाषा अपनाई गई! इस परिभाषा के अनुसार, “जैव विविधता समस्त स्त्रोतों यथा – अंतर क्षेत्रीय, स्थलीय, सागरीय एवं अन्य जलीय पारिस्थितिकी तंत्रों के जीवो के मध्य अंतर और साथ ही उन सभी पारिस्थितिकी समूह, जिनके ये भाग हैं, में पाए जाने वाली विविधताएँ है! इसमें एक प्रजाति के अंदर पाई जाने वाली विविधता, विभिन्न जातियों के मध्य विविधता तथा पारिस्थितिकीय विविधता सम्मिलित है!”
जैव विविधता के प्रकार (jaiv vividhata ke prakar) –
जैव विविधता को अध्ययन समुदाय, प्रजाति एवं प्रजातियों के अनुवांशिकी में विविधता के आधार पर तीन भागों में विभाजित किया जाता है – अनुवांशिक विविधता, प्रजातीय विविधता, सामुदायिक या पारितंत्र विविधता!
(1) अनुवांशिक जैव विविधता क्या है (anuvanshik vividhata kya hai) –
अनुवांशिक विविधता का आशय किसी समुदाय के एक ही प्रजाति के जीवों के जीन में होने वाले परिवर्तन से है! पर्यावरण में वनस्पति, जीव-जंतुओं की विभिन्न प्रजातियों में परिवर्तन के साथ अपने आप को अनुकूलित करने की प्रक्रिया में जीन में परिवर्तन होता है!
(2) प्रजातीय जैव विविधता (prajatiya jaiv vividhta) –
प्रजाति विविधता से आशय किसी पारिस्थितिकी तंत्र के जीव-जंतुओं के समुदायों की प्रजातियों में विविधता से है! “प्रजाति विविधता किसी समुदाय में प्रजातियों की विभिन्न किस्म को बताती है! ” समुदाय में प्रजाति की संख्या स्थान या क्षेत्र के क्षेत्रफल के सापेक्ष बढ़ती है! सामान्यतः प्रजाति की संख्या बढ़ने के साथ प्रजाति की विविधता भी बढ़ती है!
(3) सामुदायिक या पारितंत्र जैव विविधता –
एक समुदाय के जीव-जंतुओं और वनस्पतियों एवं दूसरे समुदाय जीव-जंतुओं और वनस्पतियों के बीच पाए जाने वाली विविधता सामुदायिक विविधता या पारितंत्र विविधता कहलाती है! पारिस्थितिकी तंत्र में जीव समुदाय विभिन्न प्रकार के आवासों में साथ रहते है तथा एक दूसरे को प्रभावित करते हैं!

जैव विविधता का महत्व (jaiv vividhata ka mahatv) –
जैव विविधता का महत्व इस प्रकार हैं –
(1) जैव विविधता, कृषि के अनुवांशिक पदार्थ का स्त्रोत है जो कृषि के भविष्य के लिए अत्याधिक महत्व रखती है! कृषि जैव विविधता कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती प्रदान कर और उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर सभी प्रजातियों का पोषण करती है!
(2) जैव विविधता में हास प्रत्यक्ष रूप से सामाजिक जीवन को प्रभावित करता है! जैव विविधता पारितंत्र को स्वस्थ एवं स्थिर बनाए रखती है! जैव विविधता के हास् के कारण ही आज ग्लोबल वार्मिंग तथा अम्लीय वर्षा जैसी समस्याएं उत्पन्न हो गई है!
(3) जैव विविधता से अत्याधिक उत्पादों की प्राप्ति होती है जिससे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष आर्थिक लाभ अर्जित किया जाता है! मनुष्य को मृदा की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए जैविक खाद, फसलों के बीजों के संकरण विधि द्वारा नई उन्नत प्रजातियों की प्राप्ति जैव विविधता से होती है!
(4) प्रकृति से मनुष्य को फल एवं फूल की प्राप्ति हमेशा से होती रही है! मनुष्य आज पारिस्थितिकी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पालतू जानवरों, पक्षियों का संरक्षण चिड़ियाघर के माध्यम से, पौधों व वृक्षों का संरक्षण और उनके प्राकृतिक सौंदर्य को वानस्पतिक उद्यान द्वारा संरक्षित करता रहा है! मानव का अस्तित्व हमेशा से ही जैव विविधता की इन प्रजातियों से जुड़ा रहा है!
(5) विश्व में उन पादपों की प्रचुरता है जिनमें चिकित्सा संबंधी गुण पाए जाते हैं! विश्व के अनेक क्षेत्रों, जैसे भारत में ही औषधियों एवं जड़ी-बूटियों की अनेक प्रजातियां पाई जाती है जिनसे अनेक रोगों का उपचार सदियों से होता आ रहा है! कई पादपों से प्राप्त पदार्थों से दर्द निवारक, मलेरिया के उपचार से संबंधित, कैंसर आदि जैसी जटिल बीमारियों के उपचार की दवाई बनाई जाती है!
(6) प्रकृति ने वातावरण को पूर्ण रूप से संचालित किया है! मनुष्य एवं अन्य पशु श्वसन क्रिया द्वारा ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड को निकालते हैं! इसके विपरीत पौधे कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और ऑक्सीजन देते हैं! यह क्रिया प्रकाश संश्लेषण कहलाती है! प्रकाश संश्लेषण और श्वसन क्रिया में वातावरण में गैसों का संतुलित बना रहता है!
(7) जैव विविधता पारिस्थितिकी तंत्र एवं लोगों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं! जैव विविधता स्वस्थ जीवन का निर्माण करती है! यह विविध प्रकार का भोजन एवं पदार्थ प्रदान करती है और अर्थव्यवस्था में योगदान देती है!
जैव विविधता को खतरा (jaiv vividhata ko khatara) –
(1) जानवरों का अवैध शिकार और उनकी तस्करी के कारण जैव विविधता प्रभावित होती है!
(2) कृषि क्षेत्रों के विस्तार के कारण प्राकृतिक आवासों का नष्ट होना!
(3) तटीय क्षेत्र का नष्ट होना और जलवायु परिवर्तन!
(4) स्थलीय जल-भूमि को जल से भरने व उस पानी को निकालने की प्रक्रिया में अनेक प्रजातियां विस्थापित हो जाती है!
(5) जंगलों में लगी भीषण आग (अधिक गर्मी के कारण या मनुष्य की लापरवाही के कारण) जातियों को नष्ट होने की संभावना अधिक बढ़ा देती है!
(6) मनुष्य अपनी बढ़ती आवश्यकता की पूर्ति के लिए लगातार जंगलों को काटकर ऊंची-ऊंची इमारतों एवं उद्योग का निर्माण कर जैव विविधता को अत्यधिक नुकसान पहुंचा रहा है!
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Jaiv vividata ka mahatva
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