फुकुशिमा दाइची परमाणु आपदा क्या हैं? इसके कारण, प्रभाव, प्रबंधन

फुकुशिमा दाइची परमाणु आपदा क्या हैं (fukushima daiichi parmanu aapda kya hai) –

11 मार्च, 2011 को जापान में आई सुनामी से फुकुशिमा नामक शहर के नाभिकीय रिएक्टर में दुर्घटना घटित हुई, जिसे फुकुशिमा दाइची परमाणु आपदा या दुर्घटना कहा जाता है! यह दुर्घटना सुनामी की लगभग 13 मीटर ऊंची लहरों के रिएक्टर में प्रवेश करने के कारण हुई थी! इसे अंतरराष्ट्रीय रिएक्टर स्केल पर लेवल 7 का दर्जा दिया गया था! 

घटना –

11 मार्च 2011 को जापान टोकोहु प्रांत में 9 रिएक्टर की तीव्रता वाला भूकंप आया, जिससे फुकुशिमा प्रांत की ओर लगभग 13 मीटर ऊंची सुनामी की लहरें टकराई! फुकुशिमा में 6 परमाणु रिएक्टर थे जिनकी बाहरी दीवार 10 मीटर ऊंची थी! ये लहरें दीवारों को पार करते हुए देखते में प्रवेश कर गई! 

इससे रिएक्टर के निचले स्तर में पानी भर गया, जहां पर रिएक्टर 1 से 5 तक के इमरजेंसी जनरेटर रखे हुए थे! सुनामी की लहरों ने इन जनरेटर को नष्ट कर दिया! रिएक्टर 6 ऊंचाई पर होने के कारण उस पर दुर्घटना का असर नहीं पड़ा दुर्घटना के दिन रिएक्टर 1,2,3 कार्यरत थे, जबकि 4,5 व 6 में ईधन भरे जाने के कारण यह बंद थे!

इमरजेंसी जनरेटरों के नष्ट होने के पश्चात रिएक्टरों को बंद कर दिया गया! संयंत्र बंद होने पर रिएक्टर 3 से प्राप्त ऊर्जा रिएक्टर 2 व 3 के शीतलक पंपों को चलाया जा सका, लेकिन रिएक्टर 1 का शीतलक पंप नहीं चल पाया! बंद अवस्था में भी रिएक्टर अपनी ऊर्जा का 6 प्रतिशत उत्पन्न करते हैं! 

इससे रिएक्टर गर्म होता गया और उत्पन्न वाष्प फिल्टर को पार करते हुए संघनित हाइड्रोजन बन गई, जिसके वायु के संपर्क में आते ही विस्फोट हो गया! इसी कारण पहला विस्फोट 12 मार्च 2011 को एक संयंत्र में हुआ, जिससे संयंत्र की दीवाल में गडढे तक पड़ गए तथा अत्यधिक मात्रा में विकिरण हवा में मुक्त हुई! धीरे धीरे अन्य रिएक्टरों में भी विस्फोट हो गए! केवल रिएक्टर 5 व 6 सुरक्षित रहे!    

फुकुशिमा दाइची परमाणु आपदा  के प्रभाव (fukushima daiichi parmanu aapda ke prabhav) –

(1) अत्याधिक मात्रा में विकिरण उत्सर्जित हुई, जो चेरनोबिल परमाणु संयंत्र दुर्घटना की तुलना में 10 से 30% तक थी! 

(2) पेयजल तथा हवा प्रदूषित हो गई! 

(3) काफी बड़ी मात्रा में जनधन की हानि हुई! 

(4) लोगों को कैंसर, जैसे ल्यूकेमिया तथा म्यूटेशन से होने वाली विकृति का सामना करना पड़ा! 

(5) 2012 मैं एक स्वास्थ्य शिविर में यह जानकारी मिली कि फुकुशिमा के आसपास के क्षेत्र में लगभग 36% बच्चों में थायराइड ग्रंथि में अनियंत्रित वृद्धि हो रही है! 

फुकुशिमा दाइची परमाणु आपदा का प्रबंधन (fukushima daiichi parmanu aapda ka prabandhan)- 

(1)  ऐसे संगठन बनाए गए, जो लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव तथा विकिरणों से प्रभावित क्षेत्रों की जांच करेंगे! 

(2) विकिरण का स्तर पता करने के लिए रोबोट्स भेजे गए, ताकि मानव जीवन की कोई हानि ना हो! 

(3) अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के दिशा निर्देशों का पालन किया गया! साथ ही उसका दिशा निर्देश एवं सहायता से विकिरण का स्तर भी जांचा गया! 

यद्यपि जापान के फुकुशिमा में हुई यह घटना चेर्नोबिल की परमाणु संयंत्र त्रासदी से थोड़ी कम घातक थी, लेकिन इसमें विकिरणों से जन-धन प्रभावित हुआ तथा परमाणु संयंत्रों में और बेहतर तकनीकों की आवश्यकता महसूस हुई! यह दुर्घटना आगे आने वाले दिनों में प्रकृति के प्रति हमारे जागरूकता को और अधिक बढ़ाने पर जोर देती है! 

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